मेरे ही अन्दर ... तुम्हें ...
हर घड़ी ...
मिल जायेंगे ...
आग ...
पानी ...
हवा ...
शीतलता ...
धरा ... आसमाँ ...
धूप ... छाँव ...
घर ... आँगन ...
बस, तुम ...
उस मंसा से ...
छूना,... टटोलना मुझे ??
"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"