अब तुम, हमसे ही हमारा पता मत पूंछो
हम,..................... अभी खोये हुए हैं ?
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तुम कहते हो, तो उन्हें हम आज माफ़ कर देते हैं
पर, दिल हमारा..शायद उन्हें कभी माफ़ न करे ?
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रोज-रोज की आस है, रोज-रोज की प्यास
अब तुम, यहीं-कहीं..पड़े रहने दो हमको ?
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जाओ, अब हम किसी पुस्तक का लोकार्पण नहीं करेंगे
लगता है उन्हें, हमें फोटो खिंचाने में मजा आता है ??
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न तो किस्सों में कुछ धरा है, और न ही कहानियों में
गर कहीं कुछ है, तो बस.........अभिव्यक्तियों में है ?
1 comment:
जय फोटो जी
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