"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
Friday, July 8, 2011
... "बड़ा लेखक" !!
भईय्या प्रणाम ... आओ अनुज आओ, खुश रहो, कैसे हो ... ठीक हूँ भईय्या, पर ... ये पर क्या लगा रक्खा है, खुल के बता क्या बात है ... भईय्या आप तो जानते ही हो कि मुझे लिखने का शौक है, कुछ दिनों से मेरे मन में "बड़ा लेखक" बनने का ख्याल आ रहा है, क्या करूँ कुछ समझ नहीं आया इसलिए आपके पास आया हूँ ... अच्छा ये बात है, वैसे तो, तू लिखता तो अच्छा ही है फिर संकोच किस बात का, लिखते रहो, लिखते लिखते एक दिन "बड़े लेखक" बन जाओगे ! ... नहीं भईय्या, ऐसे-वैसे लिखते रहने से कोई बड़ा लेखक नहीं बन जाता है इसलिए ही तो मैं आपके पास आया हूँ, आशीर्वाद लेने ... यार तू बहुत सीरियस लग रहा है, इसमें चिंतित होने की क्या बात है जाओ किसी "लेखक बिरादरी" में घुस जाओ, अपने आप बड़े लेखक बन जाओगे ... भईय्या आप मुझे टरकाने की कोशिश कर रहे हैं ... अरे यार, तुझे टरका नहीं रहा, आजकल के जमाने का "बड़ा लेखक" बनने का सही रास्ता बता रहा हूँ, जा घुस कर देख ले किसी भी "बिरादरी" में, यदि तू बड़ा लेखक नहीं बना तो आकर कहना ... आप बिलकुल सीरियस हैं न ... हाँ हाँ सीरियस ही हूँ, क्योंकि यही आज के जमाने का सबसे सही "शार्टकट" है "बड़ा लेखक" बनने का, पर एक बात का ख्याल हमेशा रखना, "जी हुजूरी" करने तथा "तेल लगाने" से ज़रा भी पीछे मत हटना, समझ रहा है न मेरा मतलब, फिर देखते हैं तुझे आज के जमाने का "बड़ा लेखक" बनने से कौन रोकता है ... अब आपका आशीर्वाद मिल गया, तो समझो मैं "बड़ा लेखक" बन गया, मेरा मतलब बन ही जाऊंगा, आपके आशीर्वाद से न जाने कितने लोग कहाँ से कहाँ पहुँच गए ... बस, बस, अब तू यहीं शुरू मत हो जा, पर एक बात का ख्याल रखना, "गाँठ बाँध के दिमाग" में रख ले, तुझे सिर्फ आज के जमाने का "बड़ा लेखक" बन के ही नहीं रह जाना है वरन ... अब "वरन" को छोडो न भईय्या, अब तो मैं चला, "बड़ा लेखक" बन कर ही आपके पास आऊँगा, प्रणाम भईय्या ... अरे सुन सुन सुन ... !!
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3 comments:
bada aur achha lekhak banne me farq hai mitr. haan shayad aise badaa to ban hee sakte hain...
haa sach mei ab wo....bada lekhak ban jayega..........
यही विडम्बना है।
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