सिर्फ ख़्वाबों-औ-ख्यालों की बातें न कर
हम हकीकत में भी,…… तेरे दीवाने हैं ?
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अभी-अभी, तुम्हारे वादों ने, ख्यालों में सताया है हमें
चलो अच्छा ही है … हकीकत में … महफूज हैं हम ?
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तेरी ख्वाहिश की खातिर, आग से रिश्ता बनाया है
वर्ना, बर्फ के ……… आगोश में डूबे हुए थे हम ?
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रहम कर बे-रहम
जनता सोई हुई है ?
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उफ़ ! तनिक,…तू इंतज़ार तो कर
तुझे भी यकीं हो जाएगा हम पर ?
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