Friday, May 31, 2013

दीवानगी ..


कल तक उनकी फेसबुकिया तस्वीरों ने खूब चौंकाया है हमें
सच ! आज मालुम पडा, बेटा उनका नौंबी पास हो गया है ?
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हाँ हम 'उदय', उनकी बातों पे मुहर जरुर लगा देंगे
पर, खुद में तो ढूँढ लें.......दो-चार आदमी पहले ?
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बड़ा जालिम है यार मेरा
दोस्ती टूटी, तो दुश्मनों में नाम लिख रक्खा है मेरा ?
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चलो, अब हम, खुद ही उनसे दूर हो लें 'उदय'
सच ! उनकी दीवानगी की इन्तेहा, अब हमसे देखी नहीं जाती ?
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मर्जी मर्जी है, उनकी भी अपनी मर्जी है
वो, जहां चाहेंगे वहां टिकाएंगे उसको ??
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Thursday, May 30, 2013

आतुर ...

गर तुम चाहो तो, मेरे रकीबों की बातों पे मुहर लगा दो
पर मेरे दोस्तों से पूंछ-पूंछ के खुद को शर्मिन्दा न करो ?
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कभी आगे - कभी पीछे, हमारा नाम होता है
अब तुम मान भी लो, शहंशाह हैं हम शेरों के ?
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लो 'उदय', चोरी की लत से वो, आज फिर बाज नहीं आये
सच ! किनारे समंदर के, नाम अपना लिख के चले आये ?
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न बोतल, न साकी, न मैकदा था 
अब किस किस को दूँ जवाब, हूँ मैं किस नशे में आज ?
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सच ! वो कुछ इस कदर बिकने को आतुर हैं 'उदय' 
गर दाम भी पूछा किसी ने, तो वो उधर हो जायेंगे ? 
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Monday, May 27, 2013

जैसे-तैसे ...


सच ! बेवजह के ख्यालों से अब मैं बाहर हूँ 'उदय'
उनकी दुनिया में तो हूँ, पर अब उनसा नहीं हूँ ??
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आज हम साहित्यिक ट्रैक से तनिक दूर हो गए हैं 'उदय'
वर्ना, कोई अनजान नहीं है हमारे शाब्दिक करतबों से ?
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सच ! रोज तय करते हैं मैकदा, रोज तोड़ देते हैं
उनकी यादें भी, अब हमसे संभाली नहीं जातीं ?
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कुछ बदले-बदले से नजर आ रहे हैं हुजूर
मिलना न चाहें भी तो कैसे रोकें खुद को ?
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हम तो, जैसे-तैसे भी काट लेंगे बिन तेरे ये जिन्दगी 
पर तू,.......................................ज़रा सोचले ? 
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Thursday, May 23, 2013

मुगालते ...


लो, तमाम मूर्ख, बे-वजह का हो-हल्ला मचा रहे हैं मुल्क में 'उदय' 
जबकि - दोष अधिनस्थों का नहीं, उनके चाटूकार समर्थकों का है ? 
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अब हम क्या कहें 'उदय', उनकी अदाएं भी बड़ी कातिल निकलीं 
फालोअर बनाने की चाह में, वो फ्रेंड बना के अन्फ्रेंड कर गए ?? 
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अतिउत्साह में हम आज, इशारा उनका समझ नहीं पाये 
करने गए थे मुंह मीठा, दांत खट्टे.......कर के चले आये ?
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कहीं कुछ भी तो नहीं है उनकी परछाइयों में 
तुम्हारे ही जेहन में बसे किसी खौफ ने तुम्हें डरा दिया होगा ?
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कौन जानता है साहित्यिक मुकाम 'उदय'
यहाँ तो, जिसे देखो वही मुगालते में है ?
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Thursday, May 16, 2013

जलसा ...


चेले-चपाटों की आड़ में गुरु बार बार बच रहे हैं 'उदय' 
वर्ना, कौन नहीं जानता, गुरुमंत्र दिया उन्होंने ही है ? 
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भू-भा, भा-भू, की लड़ाई में ये तो कमाल हो गया 
जो न भू था, और न भा था, वो जीत गया 'उदय' 
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उनकी फनकारी के, हम कायल हैं 'उदय', गर शोर थमा नहीं तो 
वे उसे, रेल से उतार कर,............हवाई जहाज में चढ़ा देंगे ??
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रंगों में रंगने की बात होती, तो हम रंग जाते  
उनकी शर्त थी, कि - हमसे हो जाओ तुम ??
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जिसकी अंतिम साँसें भी आजाद नहीं थीं 'उदय' 
उसकी लाश पे, सजा है गजब का जलसा यारो ? 
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Friday, May 10, 2013

चिट-फंड ...


क्या खूब गिड़-गिड़ा रहे हैं गिगिरगिट्टे 
जिन्होनें वक्त रहते रंग नहीं बदला ? 
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जोर उनका चलता नहीं है 
वर्ना, वो पिछवाड़े भी लगा के घूम लेते लाल बत्ती ? 
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मौत उसकी भी 'उदय',.....रंग ला रही है 
तमाम हिजड़ों की जुबाँ लप-लपा रही है ? 
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वक्त-वक्त की बात है 'उदय' 
वही कुत्ता, वही शेर है ????
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सरकार उनकी है, और खुद सरकार भी हैं वो 
चिट हो या हो फंड, कौन क्या बिगाड़ लेगा ? 
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Saturday, May 4, 2013

पैंतरेबाजी ...


खेत उनका, खलिहान उनका, और अब तो फसल भी हुई है उनकी 
कैसे ?.. आखिर वे सरकार हैं, व्यापारी हैं, और दलाल भी तो हैं ??
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हमारा उनसे 'उदय', कुछ इनडायरेक्ट सा कनेक्शन है 
भरी महफ़िल में, कैसे रु-ब-रु हो जाएँ हम उनसे ???
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किसने रोका है तुम्हें, कस के बरस जाया करो 
बन के बूँद-बूँद,......अब और न सताया करो ?
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उनकी राजनैतिक पैंतरेबाजी भी कमाल की है 'उदय' 
बिन पेंदी के होकर भी कहीं न कहीं थम ही जाते हैं ?
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वो अपने ख़्वाबों में सारी दुनिया जला लेते हैं 
बात जब उठी, तो एक बिड़ी न सुलगी उनसे ?
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