ब्लागजगत के उज्जवल भविष्य के लिये अभी भी वक्त है ... ब्लागवाणी के महानुभावो आखें खोल लो !! ... ब्लागवाणी एक जंक्सन है जहां लगभग ब्लागों का केंद्रियकरण होता है ... हम यह भी कह सकते हैं कि यह एक संगम स्थल है ... कुंभ का मेला है जहां से हम ब्लागों तक पहुंचते हैं यहां पर मठाधीषों का जमावडा होता है ... हमें किस ब्लाग को पढना है कौनसा ब्लाग/पोस्ट प्रभावशाली व प्रसंशनीय हो सकती है इसका निर्धारण भी कमोवेश यहां से किया जाना संभव है ...
... यहां पर कुछ अनियमितताएं परिलक्षित हो रही हैं इस अनियमितता की जड है
"पसंद/नापसंद का चटका" ... खैर इसमें कोई बुराई नहीं है यह व्यवस्था होनी चाहिये ... पर इसका सदुपयोग हो तो ठीक है ... अगर दुरुपयोग हो तो बहुत ही बुरा है ... हो ये रहा है कि कुछेक
"दुर्लभ सज्जन" अपने हुनर का बखूबी इस्तमाल कर रहे हैं ...
जिस पोस्ट को चाह रहे हैं उसे पसंद और जिसे नहीं चाह रहे उसे नापसंद से नवाज दे रहे हैं ...
... मैं यह नहीं कहता कि मैं बहुत अच्छा लिखता हूं ... हर किसी को पसंद ही आये ... ये बिलकुल संभव नहीं है ... बहुत सारे टिप्पणीकार हैं जो नपसंदगी संबंधी अपनी राय निसंकोच दर्ज कर देते हैं और मुझे सोचने के लिये मजबूर कर देते हैं ... उनका मैं आभार ही मानता हूं ...
... पर मुझे आज उन दो "दुर्लभ सज्जनों" का भी आभार व्यक्त करना पडा जिन्होंने मेरी पिछली पोस्ट
कालाधन(पार्ट-३) पर ब्लागवाणी में "नापसंद का चटका" जड दिया ... पर अभी-अभी मैंने देखा कि एक साथी ब्लॉगर
"विचार शून्य" की ताजातरीन पोस्ट
कुछ नये नानवेज (अश्लील) चुटकुले पर बेहतरीन दो पसंद के चटके लगे हुये हैं ...
... मैं इन दो पोस्टों की आपस में तुलना नही कर रहा ... क्योंकि मुझे साथी ब्लागर "विचार शून्य" की पोस्ट बेहद दिलचस्प लगी ... थोडी देर के लिये तो सोचने पर मजबूर हो गया कि मैं इतना दिलचस्प क्यों नहीं लिख सकता ... शायद कोशिश करूं तो लिख भी सकता हूं ... किसी दिन जरूर कोशिश करूंगा ...
... किसी भी पोस्ट को नापसंद करके नीचे गिरा देना और किसी भी पोस्ट को पसंद करके ऊंचा उठा देना ... वास्तव में लाजवाब काम है ... और बखूबी हो रहा है ...
मेरा मानना तो है कि यह लेखन के क्षेत्र का भ्रष्टाचार है इस पर भी अंकुश लगाना जरुरी है !! .... अगर इस पर समय रहते अंकुश नहीं लगाया गया तो इससे ब्लागजगत का मटिया-पलीत होना तय है अगर यह सिलसिला चलता रहा तो ब्लागजगत मनोरंजन / टाईमपास / ऊल-जलूल का हिस्सा बनकर रह जायेगा ...
ब्लागजगत के उज्जवल भविष्य के लिये अभी भी वक्त है ... ब्लागवाणी के महानुभावो आखें खोल लो !!!!
(इस पोस्ट को शाम ५ बजे तैयार कर रहा था लाईट चली गई ... आने पर पुन: स्टार्ट किया फ़िर दो-तीन बार व्यवधान आ गया ... बडी मुश्किल से तैयार कर पाया ... पता नहीं क्यों !! ... वैसे मेरा मन कुछ और ही लिखने का था पर अचानक ये हालात सामने आ गये ... !!)
आपके ब्लाग में ऊपर कही दो भैंस शौक फरमा रही है। इन्ही भैंसों में से कोई एक आपकी अक्ल को चरने के लिए ले गई है। जनाब हमने तो सुना था कि पीएम का पुतला जलता है, डीएम का पुतला जलता है। पहली दफा देख रहे हैं कि लोग बेनामी लोगों का पुतला जला रहे हैं। यानी जिनका कोई नाम नहीं है उनका पुतला दहन... और वाह-वाह करने वाले हजरत भी आपको दाद दे रहे हैं... जरा अक्ल तो लगाइए.
आपको अभी पक्का और कायदे का कार्टूनिस्ट बनने में वक्त लगेगा. किसी उस्ताद से शागिर्दी लीजिए। ब्लाग पर तोते-मिट्ठू, कुत्ते-बिल्ली की फोटो चस्पा कर लेने से कोई कार्टूनिस्ट नहीं बन जाता है.