शेर - 100
सुकूं से बैठकर, क्या गुल खिला लेंगे
चलो दो-चार हाँथ आजमा लें हम ।
शेर - 99
अगर है तो, बहुत कुछ है
नहीं तो, कुछ नहीं यारा ।
शेर - 98
अब नहीं लिखता किताबें, तेरे इरादे भाँप कर
है कहाँ फुर्सत तुझे, पुस्तक उठा के देख ले ।
शेर - 97
अब भी क्यों रोते हो मुफलिसी का रोना
हम जानते हैं, दौलतें चैन से तुम्हें सोने नहीं देतीं।
शेर - 96
चलो आए, किसी के काम तो आए
किसी दिन फिर, किसी के काम आएंगे ।
शेर - 95
फूल समझ हमने, उन्हें छुआ तक नहीं
वे काँटे समझ हमको, सहम कर गुजर गये।
शेर - 94
चलो उमड जाएँ, बादलों की तरह
सूखी है जमीं, कहीं तो बारिस होगी ।
शेर - 93
‘रब’ भी मेरी खताएँ माफ कर देता
गर मैने झुककर सजदा किया होता।
शेर - 92
मेरी रातें भी दिन जैसी ही हैं
फर्क है तो , तनिक अंधेरा है ।
सुकूं से बैठकर, क्या गुल खिला लेंगे
चलो दो-चार हाँथ आजमा लें हम ।
शेर - 99
अगर है तो, बहुत कुछ है
नहीं तो, कुछ नहीं यारा ।
शेर - 98
अब नहीं लिखता किताबें, तेरे इरादे भाँप कर
है कहाँ फुर्सत तुझे, पुस्तक उठा के देख ले ।
शेर - 97
अब भी क्यों रोते हो मुफलिसी का रोना
हम जानते हैं, दौलतें चैन से तुम्हें सोने नहीं देतीं।
शेर - 96
चलो आए, किसी के काम तो आए
किसी दिन फिर, किसी के काम आएंगे ।
शेर - 95
फूल समझ हमने, उन्हें छुआ तक नहीं
वे काँटे समझ हमको, सहम कर गुजर गये।
शेर - 94
चलो उमड जाएँ, बादलों की तरह
सूखी है जमीं, कहीं तो बारिस होगी ।
शेर - 93
‘रब’ भी मेरी खताएँ माफ कर देता
गर मैने झुककर सजदा किया होता।
शेर - 92
मेरी रातें भी दिन जैसी ही हैं
फर्क है तो , तनिक अंधेरा है ।