असहज चुनाव और सहज नतीजे ..... वाह क्या बात .... जीती भी जनता और हारी भी जनता !
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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे बिलकुल वैसे ही हैं जैसे 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजे थे ... चौंकने वाले ... और चौंकाने वाले .... दोनों ही चुनावों में न तो कोई लहर थी और न ही किसी बवंडर के संकेत थे ... मगर ... नतीजे बवंडर की तरह आये और बड़ी-बड़ी हस्तियों औ सियासतों को उड़ा कर ले गए ।
न तो देश के एक बुद्धिजीवी वर्ग को वे नतीजे हजम हुए थे और न ही आज के नतीजे हजम हो पाएंगे ... ऐसा मेरा मानना है, ऐसा मेरा अनुमान है ... और तो और 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजे बहुतों को तो आज तक हजम नहीं हो पाये हैं ... फिर न जाने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे कैसे हजम हो पाएंगे .... ?
खैर ... बहुत सी चीजें, बहुत से नतीजे, बहुत सी हारें, बहुत सी जीतें .. अक्सर बहुतों को हजम नहीं हो पाती हैं ... सबसे चौंकाने वाली बात तो .. कभी-कभी वो हो जाती है कि .. जीतने वाले को भी जीत की मूल वजह मालूम नहीं होती है और वह इस गलत फहमी में खुश व मदमस्त रहता है कि ... जीत की वजह वह खुद है ... ?
असहज चुनावों के सहज नतीजों व गलत फ़हमियों के तिलस्मी किले जब टूटते हैं तो ... वैसे ही टूटते हैं जैसे मुट्ठी से रेत फिसलती है ..... यदि समय रहते जीतने वाले की गलत फहमियां दूर हो जाएँ तो ठीक है .... वर्ना ... हमने बड़े-बड़े किले ढहते देखे हैं फिर वो तिलस्मी किले हों या सामान्य किले .... ?