Monday, January 3, 2011

वाह ! क्या नज़ारे हैं, सच ! ये लोकतंत्र है !!

बेईमानी या इमानदारी ! वाह
बेईमानी की उम्मीद
कितनी, सिर्फ उतनी ही
जितना बेईमान का दायरा है
क्यों, क्योंकि, दायरे से बाहर
वो भी बेईमानी में
मुश्किल, कठिन, असंभव सा है !

किन्तु इमानदारी का सवाल
तो फिर सोचना ही क्या
कोई हद, मर्यादा, दायरा
शायद ! नहीं, क्यों
क्योंकि सवाल इमानदारी का है
इमानदारी का सवाल 'दिल'
और बेईमानी का 'मन' से है !

एक सरकारी कुर्सी पर
बैठा अफसर ! बेईमानी में
कुर्सी के दायरे को
बे-खौफ छू रहा है
और जब सवाल इमानदारी
तो 'दिल' को टटोलने
के लिए भी तैयार नहीं !

नेता, मंत्री ! उफ्फ
कोई हद नहीं, क्यों
इन्हें इमानदारी की फुर्सत
चर्चा, कोई मतलब नहीं
सिर्फ बेईमानी ! एक मन्त्र
वाह, क्या नज़ारे हैं
सच ! ये लोकतंत्र है !!

20 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

क्या क्या दिन दिखलायेगा जी,
मेरे प्यारे लोकतन्त्र जी।

Satish Saxena said...

बढ़िया लोकतंत्र ! शुभकामनायें आपको

Kunwar Kusumesh said...

वर्तमान व्यवस्था पर करार प्रहार.good.

Arvind Jangid said...

क्या सटीक लिया है आपने......

साधुवाद.

ZEAL said...

bahut sateek likhaa aapne !

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

लोकतन्त्र लोगों से होता है. इन्सानी चोला रखे की्ड़े-मकोडों से नहीं...

संजय भास्‍कर said...

आदरणीय उदय जी
नमस्कार !

लाजवाब...प्रशंशा के शब्द कहीं से मिल गए तो दुबारा आता हूँ...अभी
मेरी डिक्शनरी के सारे शब्द तो बौने लग रहे हैं...

Sushil Bakliwal said...

मन और बुद्धि की लोकतांत्रिक समीक्षा बढिया है.

पूनम श्रीवास्तव said...

uday ji
kya tal -mel baithaya hai aapne
(imandari dil se aur baimani man se)
bahut badhiya vishleshhan kiya hai aapne dono ka ya yun kahiye yatharthpurn prastuti.
bahut khoob---
poonam

निर्मला कपिला said...

लोक तन्त्र मे मेरा भारत महान । जो दिल आये करो बेईमानी चोरी डकैती कुछ भी लोक तन्त्र जो है। शुभकामनायें।

राज भाटिय़ा said...

बहुत करारा व्यंग जी आप से सहमत हे, धन्यवाद

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

loktantra ya bhrashttantra?
chinta jayaj hai!

ज्ञानचंद मर्मज्ञ said...

उदय जी ,
आपने लोकतंत्र की सही तस्वीर पेश की है !
नव वर्ष की हार्दिक बधाई!
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

उदय भाई, बहुत तगडा व्‍यंग्‍य मारा है। बधाई।

---------
मिल गया खुशियों का ठिकाना।
वैज्ञानिक पद्धति किसे कहते हैं?

डॉ टी एस दराल said...

बढ़िया है जी । शुभकामनायें ।

Patali-The-Village said...

बहुत करारा व्यंग मारा है| धन्यवाद|

Deepak Saini said...

एक और जोर का झटका धीरे से दिया है आपने
बधाई

रचना दीक्षित said...

वाह नया साल नया व्यंग छा गये आप तो शुभकामनायें

SM said...

good poem

दिगम्बर नासवा said...

Sateek vyang hai ....