Monday, July 4, 2011

... वाह वाह ... क्या खूब है ... बुद्धिमान मूर्ख !!

प्रिय मित्रो
इस संसार से मूर्खता
और मूर्ख
शायद समाप्त हो जाएंगे
ऐसा, मुझे लगता था !
धीरे धीरे संसार से
सारे के सारे मूर्ख मर जाएंगे
मूर्खों के मरने के सांथ ही
मूर्खता भी मर जायेगी !
पर, शायद, ऐसा सोचना
गलत था, मेरी सोच भी गलत थी
क्यों, क्योंकि, मूर्ख मर ही नहीं सकते
आज ढेरों मूर्ख, मुझे दिखने लगे हैं
बुद्धिमान मस्तिष्क में
बुद्धिमानी सोच में, बुद्धिमानी साये में ...
आज जो नुक्ताचीनी हो रही है
नेक, अच्छे, कार्यों में, सवालों पे सवाल
उठ रहे हैं, उठाये जा रहे हैं
ये कोई और नहीं, वरन
आज का, आने वाले समय का
बुद्धिमान मूर्ख उठा रहा है
वाह ... वाह वाह ... क्या खूब है ... बुद्धिमान मूर्ख !!

2 comments:

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) said...

sakaratmak sonch ko vykt karti aapki rachna samsamyik vicharo ko darsati....

shyam gupta said...

भई नुक्ताचीनी से डर क्यों..????