लो दोस्तो ... मैं चला ..
गुजरा वक्त हूँ .. गुजरता साल हूँ .. जा रहा हूँ ...
तुम ..
हाँ तुम .. डूबे रहो ... नये साल के जश्न में ..
नदियों में ..
झरनों में ..
समुन्दरों के किनारों में ..
पहाड़ों में ..
गुफाओं में .. जंगलों में ..
रेस्ट हाऊसों में .. स्टार होटलों में ..
मैं चला .. बाय-बाय दोस्तो .. बाय-बाय ... !
पर हाँ .. जश्न में .. इतना मत भूल जाना ...
कि -
मैं .. तुम्हारा अतीत हूँ .. गुजरा वक्त हूँ ... ?
तुम्हारी .. ढेरों अच्छाईयाँ-बुराईयाँ .. समेटे हुआ हूँ ...
तुम्हारे काले चिट्ठों के पिटारे भी तो ..
मेरे जेहन में दफ़्न हैं ... !!
तुम .. हाँ तुम ... मुझे ..
भूलकर भी भूलने की गुस्ताख़ी मत करना .. वर्ना ... !!!
खैर .. छोड़ो .. जाने दो ...
आज नहीं ...
आज तुम .. जश्न में डूबे हुये हो ..
आज तो .. तुम्हें ...
मेरी भी .. शुभकामनाएँ ... ।।
~ श्याम कोरी 'उदय'
गुजरा वक्त हूँ .. गुजरता साल हूँ .. जा रहा हूँ ...
तुम ..
हाँ तुम .. डूबे रहो ... नये साल के जश्न में ..
नदियों में ..
झरनों में ..
समुन्दरों के किनारों में ..
पहाड़ों में ..
गुफाओं में .. जंगलों में ..
रेस्ट हाऊसों में .. स्टार होटलों में ..
मैं चला .. बाय-बाय दोस्तो .. बाय-बाय ... !
पर हाँ .. जश्न में .. इतना मत भूल जाना ...
कि -
मैं .. तुम्हारा अतीत हूँ .. गुजरा वक्त हूँ ... ?
तुम्हारी .. ढेरों अच्छाईयाँ-बुराईयाँ .. समेटे हुआ हूँ ...
तुम्हारे काले चिट्ठों के पिटारे भी तो ..
मेरे जेहन में दफ़्न हैं ... !!
तुम .. हाँ तुम ... मुझे ..
भूलकर भी भूलने की गुस्ताख़ी मत करना .. वर्ना ... !!!
खैर .. छोड़ो .. जाने दो ...
आज नहीं ...
आज तुम .. जश्न में डूबे हुये हो ..
आज तो .. तुम्हें ...
मेरी भी .. शुभकामनाएँ ... ।।
~ श्याम कोरी 'उदय'