Saturday, February 23, 2013

कोहिनूर ...


उन्नें,....बम फोड़े, धमाके किये, जानें ले लीं 
............................. अब अपनी बारी है ? 
... 
सुनते हैं, आसमाँ में, कहीं ...घर है 'खुदा' का 
किसी दिन, देखने, हमें..........उड़ना पडेगा ? 
... 
कोई समझाये उन्हें, 'कोहिनूर' की बातें तो बाद में हो जायेंगी 
पहले, हिन्दुस्तान को ........... ''हिन्दुस्तान' नाम तो दे दो ? 
... 
अगर उन्हें, भाई-भतीजों से फुर्सत होती 'उदय' 
तो शायद, हम मान भी लेते, कि वे पारखी हैं ? 
... 
ओखर मन के डफली हे गा, अऊ.......ओखर मन के राग हे 
काबर कर ही सुरता ओला, जेखर से मुडी फूटे के आभास हे ?

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

इन कड़वे सचों को पचा लें पहले..