Friday, September 17, 2010

"बहु-कम-नौकरानी"

प्रियंका गुमसुम क्यों बैठी है दिमाग में क्या गुन्ताडा चल रहा है ... कुछ नहीं यार करिश्मा ... कुछ तो जरुर है भले तू मेरे साथ शेयर करना चाहे ... अरे यार बचपन से आज तक ऐसी कौन-सी बात है जिसे शेयर किया हो ... फिर बता ना क्या बात है ... यार शादी की बात चल रही है घर वालों ने तीन लडके पसंद किये हैं उनमें से सिलेक्ट करने को कह रहे हैं ... अरे तो इसमे परेशानी की क्या बात है किसी एक को पसंद कर ले, नहीं तो मुझे बोल मैं देख लेती हूँ मुझे तेरी पसंद मालुम है ... यार ये बात नहीं है ... तो क्या बात है ...

... बात दर-असल यह है कि एक तो बैंक में मैनेजर है, दूसरा कालेज में प्रोफ़ेसर है और तीसरा स्टेशन मास्टर है ... तीनों ठीक हैं सुख - शान्ति से रहेगी, फिर इतना संकोच क्यों ... अरे यार तीनों के तीनों स्ट्रगलर नहीं लग रहे ... क्या मतलब है तेरा, खुल कर बोल ... मेरा मतलब ये तीनों क्या कमाएंगे और क्या खिलाएंगे, तीनों के तीनों फंटूस लग रहे हैं और तीनों में कोई ग्लैमर भी नजर नहीं रहा है ... देख यार खाने - कमाने का तो ऐसा है तीनों का जाब एवरेज है मेरा मतलब ठीक-ठाक ही है, रही बात ग्लैमर की, उसे तू पूरा कर देना ...

... ग्लैमर की कमी जब मुझे ही पूरी करनी है तो इन डिसीप्लीन टाईप के लोगों के साथ शादी करने का क्या औचित्य है ... क्या मतलब है तेरा ... सीधा-सीधा मतलब है शादी के बाद मुझे इनके घर में "बहु-कम-नौकरानी" की भूमिका निभानी पड़ेगी, सुबह से शाम तक कचर-कचर, और जब दिन भर की थकान रहेगी तो रात को भी बस जैसे-तैसे, अब ये बता इस रूटीन में ग्लैमर कहाँ होगा ? सीधे शब्दों में कहूं तो मेरी वाट लग जायेगी !! ... अरे यार तू बिलकुल सही सोच रही है, इस मसले पर मैंने तो कभी सोचा ही नहीं ... वही तो सोच रही हूँ क्या किया जाए ...

... सोच सोच बिलकुल सही सोच रही है आखिर भविष्य का सवाल है, सिर्फ तेरे वरन मेरे भी, चल अच्छा हुआ समय रहते तूने मेरे कान खोल दिए ... यार करिश्मा ये बता अपन लोग मिडिल क्लास फैमिली से हैं कोई करोड़पति - अरबपति लड़का भी शादी के लिए नहीं मिलेगा, फिर क्या किया जाए, तू भी तो दिमाग लगा ... यार आज-कल भ्रष्टाचार का बहुत बोल-बाला है करोड़ों - अरबों के घोटाले चल रहे हैं ...

... ( तीन-चार मिनट सोचने के बाद प्रियंका बोली ) यार बिलकुल सही आइडिया दिया तूने "अदभुत-यार-अदभुत" ... कैसे बता ना यार ... किसी ऐसे विभाग के लडके को पसंद करते हैं जहां भ्रष्टाचार-ही-भ्रष्टाचार हो, करोड़ों - अरबों, यार मौजे-ही-मौजे रहेंगे और ग्लैमर-ही-ग्लैमर, क्या बोलती तू ... क्या मैं बोलूं ! झकास आइडिया है यार झकास ... चल आज इस शानदार आईडिया को सिलेबरेट किया जाए ... यार सिलेबरेशन तो हो ही जाएगा, अपन दोनों की शादी होने तक अब ये दुआ भी करनी पड़ेगी कि दूसरी लड़कियां भी अपने टाईप सोचने लगें ... हाँ यार अपना आईडिया कहीं ... चल छोड़ ना यार अपने जैसे लाखों में एक-दो ही होते हैं ... !!

11 comments:

vandana gupta said...

सच मे कडवा सच है।

ZEAL said...

badhiya likha hai...aabhaar !

kshama said...

Ha,ha,....aise ladke se byah kar lo aur phir umrbhar jail kee salakhon se darte raho! Qismat sahi to pati bahar warna andar!

Unknown said...

aaj ka sach

संजय भास्‍कर said...

बहुत पसन्द आया

प्रवीण पाण्डेय said...

स्टेशन मास्टर के स्थानान्तरण बहुत होते हैं पर।

मनोज कुमार said...

बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!

फ़ुरसत में … हिन्दी दिवस कुछ तू-तू मैं-मैं, कुछ मन की बातें और दो क्षणिकाएं, मनोज कुमार, द्वारा “मनोज” पर, पढिए!

राज भाटिय़ा said...

अरी पगलियो अरे किसी भीखमंगे से शादी कर लो, ना घर होगा ना घाट तो काम कहां से होगा, ओर रोजाना नया नया खाना भीख मे मिलेगा:)गाडी मे भी कोई टिकट नही पुछेगा यानि मोजां ही मोजां

रूप said...

ye kya hua .....kaise hua ......kab hua................ kyon hua.......!

shyam said...

Sabash; mai bidi wala na lungi, mai hukka wala na lungi, mai to balm lungi 555 wala.purush bechara pareshan hai usake kapare topane par........... Are mere hatho me pahana kar churiyan Jane kya tumhara le gaya. all is man"s point of view.Pls think in women's perspective. Bravo

bhagat said...

आपकी ये पोस्ट एक परदे के पीछे का सच है जो हमें बहुत बाद में पता पड़ता है, जब हमारी शादी हो जाती है, आजकल लड़कियों की यही सोच है, यदि उनकी शादी किसी मीडियम क्लास फॅमिली में हो भी जाये तो वे अपनी मर्जी चलती हैं या लड़के को माँ-बाप से अलग रहने को कहती हैं, और लड़का माँ-बाप से अलग हो कर इनके साथ रहने लगे तो ये कुछ समय बाद हमारा भी जीना हराम कर देती हैं. हर सन्डे इन्हें घुमाना जरूरी होता है, चाहे जेब में पैसा हो या न हो.