Monday, January 27, 2014

पीएम-इन-वेटिंग ...

भ्रष्टाचार व दाग मुक्त राजनीति की ओर कदम बढ़ाएं  
सभी देशवासियों को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ !
… 
किसी और ने, ख़्वाबों में ख़्वाब सजाया है 
वो तो सिर्फ,……… पीएम-इन-वेटिंग हैं ?
… 
शायद ! हमें ही, … … … भ्रम हो गया था 'उदय' 
जबकि पलट के देखने की उनकी आदत पुरानी है ? 
… 
शातिरों की, सत्ता-औ-लूटपाट खूब देख ली हमने 
क्यों न कुछ दिन नौसिखियों को आजमाया जाए ?
… 
सुनते हैं, उन्ने भी, पीएम-इन-वेटिंग का ख़्वाब सजाया है 
पर, लेकिन, किन्तु, कहीं ऐसा न हो, उनकी नींद न टूटे ?
… 

Friday, January 24, 2014

आदत ...

न तो कोई हारा है, और न ही कोई जीता है 
पर, मगर, जिसे देखो, है वही मुगालते में ? 
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गर, हजम न भी हो तो कोई बात नहीं, 
इक बार … 
कड़वी दवा को भी तो आजमा के देखो ? 
… 
साठ साल… साठ महिने 
चलो … ये भी खूब रही ?
… 
अब हम भी 'उदय', उनके जैसे हो गए हैं 
जुबां पे कुछ, दिल में कुछ और होता है ? 
… 
गर ये तमाशा है, तो तमाशा ही सही 
सड़क पे बैठने की, आदत पुरानी है ? 
… 

Monday, January 20, 2014

बेरहम ...

उन्ने, दुआ तो माँगी थी, मगर खामोशियों में 
उफ़ ! 'खुदा' भी मौन रह कर, हमें देखता रहा ? 
… 
हम जानते हैं, उन्हें, इतनी बेरहमी रास नहीं आनी है 
मगर ये बात,…………… उन्हें समझाये कौन ???
… 
बेफिजूल के मुद्दे हैं, बेफिजूल के किस्से हैं 
नाम का लोकतंत्र है, नाम का जनतंत्र है ? 
… 
उफ़ ! बहुत बेरहम है यार मेरा 
मिलकर भी…मिलता नहीं है ?
… 

Thursday, January 16, 2014

शातिर ...

इतने भी नहीं, उतने भी नहीं 
अब … 
तुम ही कहो, तुम कितने हो ? 

शातिर तो हो … 
ये तय है सनम 

पर कितने हो 
ये तय … 
तुम ही करो, तुम ही करो ??

Saturday, January 11, 2014

आदत ...

सच ! चाटुकारों की बातों पे तू एतबार न कर 
देख, आईना खुद बयां कर रहा है सूरत तेरी ? 
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खोखले हो चुके दरख्तों की, कोई हमसे उम्र न पूछे 
उनके बाजु से चलो … तो तनिक संभल के चलो ? 
… 
वो जब भी मिले हैं, मुस्कुरा-मुस्कुरा कर ही मिले हैं 
फिर भी बहुत दिल दुखाया है उनकी खामोशियों ने ?
… 
सच ! उनकी तो आदत है, बात बात पे मुस्कुराने की 
गर तुम उनसे मिलो, तो तनिक संभल के मिलो ?? 
… 

Saturday, January 4, 2014

गुरेज ...

तुम तो जानते हो, मुहब्बत फलती नहीं है हमें 
फिर क्यूँ, ............. उम्मीद रखते हो हमसे ? 
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मुद्दत हुई उनसे मिले-बिछड़े हुए हमें 
फिर भी है कि ये दिल मानता नहीं ?
… 
तू यकीं कर हमें अपने दुश्मनों की भी मौत से गुरेज है 
फिर तुझसे तो अपना, ………… दोस्ती का वादा है ? 
… 
मुद्दतों बाद वो कल हमसे मिले थे 
मगर अफसोस, खामोशियों की आदत छूटी नहीं उनकी ? 
… 

Wednesday, January 1, 2014

एतबार ...

दूर दराज ही सही, दिल के किसी कोने में 
एक बार … तू जगह तो दे 
फिर देखते हैं 
कैसे तुझे 
हम पर … 
हमारी आशिकी पर … एतबार नहीं होता ?