
देखो-देखो मौज हो रही
लुटेरों की फ़ौज हो रही
लूट-लूट के गर्व कर रहे
अकड़ रहे हैं, जकड रहे हैं
लोकतंत्र को चित्त किये हैं
और सीना ताने खड़े हुए हैं !
शान बढ़ रही, उनकी देखो
मान घट रहा, देश का देखो
आन की बारी, अब अपनी है
कब तक हम चुप बैठेंगे
मिलकर हम सब जोर लगा दें
चलो आज हम हाथ लगा दें !
क्या अपना, क्या तुपना सोचें
देश की हालत को हम देखें
आज नहीं, फिर कब जागेंगे
देश लुट रहा, मान लुट रहा
आखिर है ये देश हमारा
चलो आज हम हाथ लगा दें !
बढ़ो आज हम जोर लगा दें
मिलकर एक नई राह दिखा दें
भ्रष्टाचार से डगमग करती
देश की अपनी छोटी नैय्या
को मिल कर, हम पार लगा दें
चलो आज हम हाथ लगा दें !!!
18 comments:
बेहतरीन प्रस्तुति ,बधाई !
यदि हम व्यवस्था के अंग हैं तो हाथ तो लगा ही हुआ है, बात तो हाथ हटाने की हो, महाराज।
कुछ कर सकें तो बेहतर हो..
बहुत सुन्दर सन्देश
अच्छी अभिव्यक्ति
यदि अब भी हाथ नही लगाया तो बाद मे पछताना पडेगा
भ्रष्टाचार से डगमग करती
देश की अपनी छोटी नैय्या
को मिल कर, हम पार लगा दें
चलो आज हम हाथ लगा दें !!!
बहुत अच्छा सन्देश दिया है। लेकिन इस दानव के मुँह खून लग चुका है लालसा का। जब तक नैतिक पतन मे सुधार नही होता भ्रष्टाचार मिटने वाला नही। फिर भी मिल कर कोशिश तो करनी होगी।शुभकामनायें।
बेहतरीन ..संदेशपरक .... बधाई आपको .
सुन्दर अभिव्यक्ति।
एक और उम्दा प्रस्तुति -आभार
बेहतरीन सुन्दर अभिव्यक्ति।
प्रवीण पाडेय जी ने दिल की बात कह दी, ये "हाथ"
लगाने से गड़्बड़ और बड़ गयी है, "हाथ" हटाओं भाई जान!
वरना हाथ की सफाई देखते रह जायेंगे हम सब?
@ सम्वेदना के स्वर
@ प्रवीण पाण्डेय
...
बढ़ो आज हम जोर लगा दें
मिलकर एक नई राह दिखा दें !
...
आन की बारी, अब अपनी है
कब तक हम चुप बैठेंगे
मिलकर हम सब जोर लगा दें
चलो आज हम हाथ लगा दें !
... bhrashtaachaar ko ukhaad fekane ke liye !!!
बेहतरीन प्रस्तुति, लाजवाब सोच !
बस थोडा सा जोर और लगे तो , शायद कुछ हो जाए ।
हॉट टोपिक ।
हां, हम हाथ लगा दें।
बहुत सुन्दर सन्देश
बहुत सुन्दर सन्देश
Post a Comment