Sunday, August 26, 2012

मंसूबे ...


उन्हें उनके हाल से मतलब है, और हमें अपने 
बस, इसी चक्कर में ......... देश फटेहाल है ? 
... 
सच ! वो घमंड से दिखाते थे, औ हम नाज से सहलाते थे 
किसे खबर थी, वक्त के दीमक उन्हें खोखला कर जाएंगे ? 
... 
वो लगे थे रात-दिन, हमें बदनाम करने में 'उदय' 
पर उनके इन्हीं मंसूबों से, नाम अपना हो गया ? 

Saturday, August 25, 2012

घोटालेबाज ...

वो फनकार हैं, बड़े तजुर्बेकार हैं 
उन्हें घोटाले करने,
करवाने ... 
और घोटालों की रकमों से 
बच निकलने,
और निकलवाने के -
सारे हुनर ... मालूम हैं ? 
किन्तु - 
इस बार
जान आफत में है 
खुद उनकी जमानत खतरे में हैं 
क्यों ? क्योंकि - 
चहूँ ओर, 
उनके ही घोटालों के चर्चे हैं ?? 

Friday, August 24, 2012

अगड्डी -फिसड्डी ...

घोटाले-पे-घोटाले, 
कोई अगड्डी -
तो कोई फिसड्डी है 'उदय' !
लानत है -
ऐंसे बेईमानों पर 
जो सब को - 
बराबर मौक़ा नहीं देते ??

Thursday, August 23, 2012

बदहजमी ...

पेट भर गए ...
तिजोरियाँ भर गईं ...
घर भर गए ...
काले-सफ़ेद -
सभी बैंक खाते भर गए 
फिर भी, ... उन्हें -
चैन नहीं है 
चोरी-चकारी से ? 
और तो और, 
उन्हें - 
डर भी नहीं है 
बदहजमी का ?? 

Wednesday, August 22, 2012

हुनर ...


गर वो सरकार से उतरे तो त्वरत ही मर जाएंगे 
क्योंकि - सुनते हैं, घोटाले उन्हें ज़िंदा रखे हैं ??
... 
काश ! शब्दों में होता हुनर, खुद ही हिट होने का 
तो अमचों-चमचों की जगह शब्द सिकंदर होते ?
... 
वो इस कदर बैठे हैं, उनके पांवों में जाके 
जैसे, उन्हें 'खुदा' मिल गया हो आज ??

कवि ही कवि ...


ऐंसी क्या बात है 'उदय' 
कि - 
आज-कल 
कविताओं में - 
कवि नजर नहीं आते ?
जबकि -
फेसबुक, ब्लॉग, 
किताबों, पत्र-पत्रिकाओं 
मंचों, सम्मेलनों 
लोकार्पणों, विमोचनों, 
पुरुस्कारों ... 
में - 
कवि ही कवि हैं ??? 

Tuesday, August 21, 2012

अलविदा ...


सच ! दर्द दिल का बयां कैसे करें 
अब तलक उनका बसेरा है वहां ? 
... 
तमाम कोशिशें हमारी, नजर अंदाज की गईं थी 'उदय' 
वर्ना, उनके कूचे को, हम यूँ अलविदा नहीं कहते ? 
... 
दिखावे की, बनावटी दौड़ों से हमें परहेज क्यूँ है 'उदय' 
जबकि लोग हैं, जो उसी में मस्त रहते हैं ??

Monday, August 20, 2012

मर्जी ...


वक्त के तूफां 'उदय', इस जहाज को भी डुबो देंगे
गर वक्त रहते, ... पीठ के पिट्ठू फेंके नहीं जाते ? 
... 
अपनी मर्जी का, कहाँ हिसाब-किताब है 'उदय' 
अब तो, उनकी मर्जी में ही है अपनी मर्जी ?? 
... 
काश ! समय रहते, उन्ने पौंछ ली होती धूल चश्मे की 
तो आज, वो देशभक्तों को देशद्रोही नहीं कहते ? 

Sunday, August 19, 2012

इरादे ...

जिस बात के डर से 'उदय'लब उनके खामोश रहे थे सदा 
लो, वही बात, आज उनकी आँखों ने, बेझिझक कह दी ? 
... 
मुबारक हो तुम्हें, जी-हुजूरी औ चमचा-गिरी के हुनर 
वैसे भी ....... अपुन को, तमगों की दरकार नहीं है ?
... 
लो, आज उन्ने, हमसे ही हमारा पता पूँछ लिया है 
उफ़ ! अब हम किस्से पूँछें इरादे उनके ?? 

Saturday, August 18, 2012

अफवाहें ...


कूटनीति ... 
--------
न सुनेंगे, न कुछ कहेंगे 
न सजा देंगे 
न बक्शेंगे 
उन्हें खडा रखेंगे !
रखे रहेंगे !!
बस - 
इस तरह उन्हें थका देंगे !!!
वो हार जाएंगे ... 
और हम ??? 
... 
दाग ...
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लो 'उदय', आज फिर 
उनके 
दामन पे दाग नजर आए हैं 
अब देखना ये है 
वो बचने को 
करते क्या-क्या उपाय हैं ? 
... 
अफवाहें ... 
---------
अफवाहों के जहर ... 
फिजाओं में !
किसी की सजा किसी और को !!
क्यों ?
कम से कम, 
हवाओं को तो बक्श दो यारो ?? 

Friday, August 17, 2012

हुनर ...


ये लोग, किस जात - किस मजहब की बात कर रहे हैं 'उदय' 
कोई समझाए उन्हें, कि - हमें तो है सिर्फ वोटों से मतलब ? 
... 
हमें मालूम है 'उदय', कि - वो अपना जमीर बेच चुके हैं 
पर, हम भी मजबूर हैं, हाँथ फैलाएं तो फैलाएं कहाँ ?? 
... 
सच ! क्या खूब हुनर है उनकी नज़रों में 'उदय' 
बगैर मोल-भाव, जिसे चाहे उसे खरीद लेते हैं ? 

Thursday, August 16, 2012

महफूज ...


मत मारो, तुम मत पकड़ो, उन सत्ता के दामादों को 
भले चाहे वो तोड़ के रख दें, अहिंसा की दीवारों को ? 
... 
हे 'सांई', महफूज रखना तू मेरे दिल का जहाँ 
वहां सिर्फ मैं नहीं, ....... बसता है सारा जहाँ !
... 
शायद उन्हें, हमारे अल्फाजों में, इंकलाबी तेबर नजर आए होंगे 
वर्ना, पढ़ के चुप रहने की कोई और वजह मुमकिन नहीं लगती ? 

Wednesday, August 15, 2012

तुम्हें किसने रोका है ?


हम ढोंगी हैं 
पाखंडी हैं 
धंधेबाज हैं 
फांदेबाज हैं 
जो जी चाहे तुम्हारा, समझो !
तुम्हें किसने रोका है ? 
चोर हैं 
उचक्के हैं 
दलाल हैं 
मगर हम, फिर भी सरकार हैं !
हम अपनी मर्जी के हैं 
मर्जी के रहेंगे 
मर्जी का करेंगे 
जो जी चाहे तुम्हारा, समझो !!
तुम्हें किसने रोका है ??

Monday, August 13, 2012

इंसाफ ...

उन्हें तुम, उनके ही हाल पर 
छोड़ दो यारो 
वैसे भी -
अब उनमें कीड़े पड़ने लगे हैं ? 
अब वो -
सड़ने लगे हैं ... 
कब्र की ओर, पांव उनके 
खुद-ब-खुद बढ़ने लगे हैं ??
देर नहीं है ...
अंधेर भी नहीं है 'उदय' 
इंसाफ में ... 
किसी के मारे बगैर ही 
वे खुद-ब-खुद मरने लगे हैं ??? 

फटेहाली ...


चंद खिलाड़ियों के जज्बे से, आज शान-ए-वतन कायम है 'उदय' 
वर्ना, सिंहासन प्रेमियों के इरादे, .......... तो हैं माशा-अल्लाह ?
... 
'उदय' अब हम कैसे समझाएं इन्हें, कि वे कोई बात सुनेंगे नहीं 
क्योंकि - उन्हें बगैर लातों के, कोई बात समझ में नहीं आती ? 
... 
अहिंसा का मान, फिरंगी समझते थे 'उदय' 
पर, आज के लोग, हिंसा ही समझते हैं ?? 
... 
उन्हें तो हर हाल में, है फटेहाली से मतलब 
फटेहाली देश की, उनके लिए वरदान जो है ? 

Sunday, August 12, 2012

बादशाहत ...


तमाम कोशिशें हमारी, ................. नाकाम रही थीं 'उदय' 
कुछ ऐंसी कशिश थी उनमें, कि हम खुद को रोक नहीं पाए ? 
... 
ये कैसा मुल्क है 'उदय', जहां चोर-उचक्कों की बादशाहत है 
क्या गरीबों-मजलूमों के सिबाय, यहाँ कोई और नहीं रहता ?
... 
शायद, अपने ही शब्दों में दम-ख़म नहीं है 'उदय' 
क्योंकि हरेक शख्स शहर का बहरा नहीं होगा ?

Saturday, August 11, 2012

सत्ता ...


हम - 
सत्ता में रहना, बने रहना चाहते हैं !
कोई शर्त ? 
कोई नहीं !!

क्यों ?
सत्ता में बने रहना ही हमारी शर्त है !
बदले में ?
जो आपकी मर्जी, सब मंजूर है !!

मुकरोगे तो नहीं ?
सवाल ही नहीं उठता !
यकीनन ??
जी हाँ हुजूर ... यकीनन !!

क्योंकि - 
सत्ता ही हमारी ... जान है !
पहचान है !!
मान है, सम्मान है, स्वाभिमान है !!!

Friday, August 10, 2012

सिट्टी-पिट्टी ...


तुम जी चाहे उतनी कर लो कोशिश, छिपने-छिपाने की 
मगर हम वो बला हैं, जो तुमको सड़क पे ले ही आएंगे ? 
... 
इतने साल में, एक दिन भी तो, तुमने इशारा नहीं किया 
अब जाते जाते, ...... रुकने की, क्या वजह हम कहें ?? 
... 
आज उन्ने 'उदय', क्या खूब चोरी-डकैती का पाठ पढ़ाया है
जी चाहे है, क्यूँ न उन्हें राष्ट्रीय पुरुस्कारों से नवाजा जाए ? 
... 
लो, तब ही से उनकी सिट्टी-पिट्टी गुम है 
जब से, जन-लोकपाल का मचा हड़कम है !
...
हाँ तेरे ही शहर में, है आज-कल बसेरा अपना
पर, ठिकाने का ............ कोई ठौर नहीं है ?

Thursday, August 9, 2012

डुग-डुगी का रेला ...


अगर, अपना जमीर भी सौदाई होता 'उदय' 
तो शायद अपुन भी कभी के बिक गए होते ? 
... 
उफ़ ! फेसबुक पर भी कदम कदम पे मेला है 
कहीं नौटंकी, तो कहीं डुग-डुगी का रेला है ? 
...
श्रद्धांजलि क्यूँ नहीं दी हमने, इस बात पे सारा कुनबा भड़क उठा 
तब हमें कहना पडा, कि - क्या मुर्दे भी श्रद्धांजलि देते हैं कभी ?? 
... 
आज हमें भी ....... उनके जैसा होना होगा 
वर्ना, जीत-हार दोनों पे, रंज हमें ही होगा ? 
... 
जी के न चाहने पर भी, तुम्हें रुलाना पड़ता है 
वैसे तुम, खुद-ब-खुद हमसे लिपटते कब हो ? 

सत्ता ...


जमीर मर गए ...
आत्माएँ मर गईं ...
मान, सम्मान, स्वाभिमान मर गए 
फिर भी लोग ज़िंदा हैं !
कैसे ?? 
सत्ता ... सत्ता ... सत्ता ... !!

Wednesday, August 8, 2012

तूफानों से ...


अभी मुझे, उन तूफानों से लड़ना है 
जिनके कारण 
मैं ... यहाँ पे अटक गया हूँ !

बार बार 
वो मुझको धक्का देते हैं !

आगे बढ़ने की राहों में 
कदम कदम पे, वो रोड़े अटकाते हैं !

उन्हें हराकर 
मुझे जीत कर, उनसे आगे बढ़ना है !
अभी मुझे, 
उन तूफानों से लड़ना है !!

Tuesday, August 7, 2012

मौन ...


यदि इस देश में, कोई - 
चोर नहीं है ?
लुटेरा नहीं है ?
डकैत नहीं है ?
भ्रष्टाचारी नहीं है ?
मिलावटखोर नहीं है ? 
घोटालेबाज नहीं है ?
कालाबाजारी नहीं है ?
तो फिर -
विदेशों में जमा कालाधन किसका है ?? 
इस प्रश्न के उत्तर में - 
देश की संसद मौन क्यूँ है ??? 

छट-पटाहट ...


उम्मीदों के जो च़राग, तुमने जलाए हैं 'उदय' 
अब हमें भी उनमें रौशनी नजर आने लगी है !
... 
लो, कल फिर उन्ने झूठ का झंडा फहराया है 
और वहीं-कहीं पे, सच को उन्ने दफनाया है ? 
... 
देखने को तो हमने मुर्दों में भी छट-पटाहट देखी है 'उदय' 
फिर ये तो, .............. देश की भोली-भाली जनता है ?? 
... 
गर तुम्हें टूटने से बचना है तो अकड़ना छोड़ दो यारो 
इस बार हमने, वतन पे मर-मिटने की सौगंध ली है ? 
... 
बड़े अजीबो-गरीब मंजर हैं मुल्क में 'उदय' 
देशभक्तों को, देशद्रोही कह रहे हैं लोग ?? 

Monday, August 6, 2012

दरोगा साहब ...


दरोगा साहब आप भी कमाल करते हैं 
इज्जत का लुटेरा घूम रहा है 
खुल्लम-खुल्ला ... सांड की तरह 
और आप हैं कि - 
जिसकी लुटी है इज्जत, उसी से -
बार बार, नए नए सवाल कर रहे हैं ? 
उठो, जाओ, पकड़ो 
उसे पकड़ के पेंण दो थाणे में !
करो, सुताई उसकी इतणी 
कि - 
उसकी आत्मा कांप-कांप उटठे !!
सात जन्मों तक 
गर उसे ... कुछ दिक्खे -
तो हर मोड़ी में, मताई ही दिक्खे !!!

दास्तान-ए-मुल्क ...


हर बार, बार बार, तुम क्या ढूँढते हो मुझमें 
एक बार, जुबां से ....... क्यूँ कह नहीं देते ? 
... 
ये डोर, कच्चे धागों की नहीं है दोस्त 
ये तो बंधन है ... प्रेम का - रक्षा का !
... 
तनिक रंज-औ-गम के दौर गुजर जाने दो 
फिर देखेंगे, तुम कितने सुन्दर दिखते हो ? 
... 
पुरुस्कारों की दौड़ में, हम सदा ही फिसड्डी रहे हैं 'उदय' 
वजह ..... उनके नियम-क़ानून, हमें कभी भाये नहीं हैं ? 
... 
दास्तान-ए-मुल्क, अब हम बयां कैसे करें 
इमानदारों की, बेईमान परीक्षा ले रहे हैं ? 

चुल्लू भर पानी ...


एक हम हैं 'उदय', ................... जो सदियों से सोये नहीं हैं 
और आज, उनका तड़के नजर आना, चर्चा का मुद्दा हुआ है ? 
... 
संभावनाएँ मरती नहीं हैं 'उदय' 
उम्मीदों के दिए आँधियों में भी जल रहे हैं ?
... 
छोडो तुम भृष्टाचार-औ-कालेधन के मुद्दे 
आओ बैठकर, इसकी-उसकी बातें करें ?
... 
छपने का हुनर सीख के, हम क्या करेंगे 'उदय' 
अभी तो हमें, ठीक से लिखना भी नहीं आता ? 
... 
कोई चुल्लू भर पानी दे उसे, कि - वो डूब जाए 
वैसे भी .......... अब जी कर क्या करेगा वो ? 

Sunday, August 5, 2012

गुमां ...

गर तुम कहो तो, ....................... 'हाँ' कह दूँ
वैसे भी, उनसे 'न' कहने की हिम्मत नहीं होगी ? 
... 
सच ! मुश्किल डगर है, फिर भी पग हमारे बढ़ रहे हैं 
हिन्दी की कहानी, हिन्दी की ज़ुबानी हम गढ़ रहे हैं !!
... 
न जाने कौन था, जो मुझे छू-कर चला गया 
हवाओं संग था, या हवा बन के चला गया ?
... 
बगैर दहाड़ के तुम, क्यूँ गुर्र-गुर्र-गुर्रा रहे हो 
गर शेर बनना है, तो दुम क्यूँ हिला रहे हो ? 
... 
न कर गुमां, तू अपने गोरे रंग पे गोरी 
नील पड़ जाएगा, तनिक छूने से मेरे ? 

Wednesday, August 1, 2012

अभी नहीं, तो कभी नहीं ?


अभी नहीं, तो कभी नहीं ?
इसलिए छोडो मनाना 
जन्मदिन ... 
श्रद्धांजलि ... 
वर्षगाँठ ... 
बगैरह-बगैरह ... 
किसी दिन, फिर मना लेंगे ??
आओ ... जागो ... उठो ... चलो ... 
बढ़ो ... लड़ो ... जीतो ... 
भ्रष्टाचारियों से 
अत्याचारियों से 
कालाबाजारियों से 
मिलावटखोरों से 
गर, ... आज हार गए 
तो तय है ... "राम नाम सत्य" 
क्यों ? क्योंकि - 
अभी नहीं, तो कभी नहीं ???