छिप-छिप के ही मत मुस्कुराया करो
कभी,....... नजर भी हो जाया करो ?
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रेवड़ी भी, कभी इस रफ़्तार से नहीं बंटती हैं 'उदय'
जिस रफ़्तार से, अपने मुल्क में हो रहे घोटाले हैं ?
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लो, वो इत्ती-सी बात पे,...... कल से नाराज हैं 'उदय'
"किस-डे" निकल गया, क्यों "किस" दी नहीं हमको ?
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उफ़ ! ये जनतंत्र है, या चौसर की बिसात है 'उदय'
जहां, कदम-कदम पे घोटालेबाजों की पौ-बारह है ?
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सुनो, तुम अपनी मुहब्बत की अर्जी वापस ले लो
मम्मी कहती हैं, अभी मेरे दूध के दांत टूटे नहीं हैं ?
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उन्ने, सुबह-सुबह ही मिस कॉल से दस्तक दी है
अब आज के,.....सारे प्रोग्राम पोस्टपोन समझो ?
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