Monday, May 23, 2011

बाबू जी ...

बाबू जी

सारा गाँव, उन्हें

बाबू जी ... बाबू जी ... पुकारता था

बूढ़े-बच्चे, आदमी-औरत

छोटे-बड़े, अमीर-गरीब ...

सब के सब -

उनके, गाँव आने पर झूम उठते थे

चहेते थे, माननीय थे, पूज्यनीय थे

बस स्टैंड से घर पहुंचते-पहुंचते

घंटे - डेढ़ घंटे लग जाता था

सब से दुआ-सलाम, मेल-मुलाक़ात

हाल-चाल पूंछते, जानते, ... आगे बढ़ते थे

बच्चों को, खाने-पीने की चीजें

बाँटते-बाँटते चलते थे

कुछ पल, कुछ घड़ी को, उनके इर्द-गिर्द

मेला-सा लग जाता था

यह मंजर उनके आने पर

और ठीक इसी तरह का आलम ... उनके जाने पर

हुआ करता था, पर ... अब गाँव

सूना सूना-सा रहेगा

क्यों, क्योंकि, अब ... बाबू जी नहीं रहे

कहते हैं, सुनते हैं

अब ... बाबू जी का ... स्वर्ग में वास हो गया है !!

8 comments:

डॉ टी एस दराल said...

बेशक बाबूजी एक धनि व्यक्तित्त्व के स्वामी थे । बाबूजी को विनम्र श्रधांजलि ।

प्रवीण पाण्डेय said...

श्रद्धांजलि।

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

बाबु जी को विनम्र श्रद्धांजलि

amit kumar srivastava said...

श्रद्धा सुमन अर्पित......

शिवा said...

बाबु जी को विनम्र श्रद्धांजलि

संजय भास्‍कर said...

बाबु जी को विनम्र श्रद्धांजलि

Sushil Bakliwal said...

विनम्रतम श्रद्धांजली...

girish pankaj said...

babooji ko naman...