Thursday, September 30, 2010

हाईकोर्ट का फैसला शान्ति व सौहार्द्र का प्रतीक !


अयोध्या स्थित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद अर्थात भू-स्वामित्व को लेकर पिछले ६० वर्षों से इलाहावाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में चल रहे मुकदमे के फैसले के दिन-३० सितंबर,२०१० को संपूर्ण भारत देश में फैसले को लेकर सन्नाटा उत्सुकता का माहौल कायम रहा, चारों ओर शान्ति सौहार्द्र की अपील जारी होते रहीं, फैसले को लेकर उत्सुकता यह थी कि क्या फैसला होगा ! किसके पक्ष में फैसला होगा ! और सन्नाटा यह था कि कहीं फैसले को लेकर किसी पक्ष विशेष द्वारा तीखी उग्र प्रतिक्रया जाहिर हो जाए जिससे देश में कायम अमन-चैन, शान्ति सौहार्द्र पर विपरीत प्रभाव पड़े

इलाहावाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपरान्ह जो फैसला सुनाया वह निश्चिततौर पर देश में अमन चैन के लिए मिशाल बना, ये बात और है की फैसले से किसी किसी पक्ष को संतोष असंतोष का सामना करना पड़ता है हुआ भी यही कि संतोष असंतोष की मिली-जुली प्रतिक्रया जाहिर हुईसभी पक्षकारों ने न्यायालय के फैसले को स्वीकार करने का आश्वासन पूर्व से ही जाहिर किया हुआ था जो फैसले के बाद भी दिखाई दिया, तीनों पक्षकार - सुन्नी बक्फ बोर्ड, राम जन्मभूमि न्यास तथा निर्मोही अखाड़ा ने मिली-जुली प्रतिक्रया जाहिर करते हुए असंतोष जाहिर किया तथा अपने अपने असंतोष को लेकर सुप्रीमकोर्ट जाने के पक्ष में दिखाई दिए

संतोष - असंतोष अपनी अपनी जगह पर है जिसके समाधान के लिए सुप्रीमकोर्ट का मार्ग खुला हुआ है, यह फैसला जितना पक्षकारों के लिए महत्वपूर्ण था उससे कहीं ज्यादा देश वासियों के लिए महत्वपूर्ण था वो इसलिए कि यह फैसला देश में अमन-चैन, शान्ति सौहार्द्र का प्रतीक थाइस विवादास्पद मुद्दे पर फैसले को लेकर जो उथल-पुथल पक्षकारों देश वासियों के जहन में रही होगी, मेरा मानना है कि उससे कई गुना ज्यादा उथल-पुथल जस्टिस साहबान ने महसूस की होगीलखनऊ हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल, एस.यू.खान, धर्मवीर शर्मा के द्वारा सुनाया गया फैसला निसंदेह शान्ति सौहार्द्र का प्रतीक है जो स्वागत योग्य है !

10 comments:

Apanatva said...

aapke vicharo se sahmat hai......

ZEAL said...

sahi kaha aapne !

kshama said...

Asankhy Hindustaniyon kee duayon ne asar dikhaya...shanti bani rahi!

arvind said...

bilkul sahi...aisi sthity me bhi desh kee janta shanti banaaye rakkhi....ye acchhi baat hai. shanti bani rahe.

डॉ टी एस दराल said...

आपसे सहमत । अब तो अमन की ही आशा है ।

Satish Saxena said...

मैं आपसे सहमत हूँ ..

संजय भास्‍कर said...

सहमत हूँ ..
सहमत हूँ ..
सहमत हूँ ..
सहमत हूँ ..
सहमत हूँ ..

Mumukshh Ki Rachanain said...

सच कहूँ तो फिर एक बार वही गलती जो पाकिस्तान बना कर की थी और जिसका दंश हम आज भी झेल रहे हैं....
तब भी इक छोटा टुकड़ा दिया था, अब भी वही दे रहे हैं.........
तब भी शान्ति व सौहार्द्र के लिए और अब भी उसी शांति और सौहार्द के लिए, न तब मिला यह तो सर्व विदित है, अब मिलेगा , देखना बाकी है........

वैसे यह मेरी अपनी धारणा है, किसी को आहत करने के उद्देश्य से नहीं.........दूध का ज़ला जो हूँ....................

चन्द्र मोहन गुप्त

प्रवीण पाण्डेय said...

संतुलित रहा।

राज भाटिय़ा said...

आपसे सहमत जी