Monday, July 4, 2011

... वाह ! आमिर ! वाह !!

वाह ! आमिर ! वाह
तुम्हें तो आयेगी नहीं
और आनी भी नहीं चाहिए
क्या ! शर्म
क्या करेगी, आकर, तुम्हें
तुम्हारा तो अधिकार है, जन्म सिद्ध
तुम्हारे से मेरा तात्पर्य
फिल्म कलाकार से है
गर, आने लगी, शर्म, फ़िल्मी कलाकारों को
तो, शायद, फ़िल्में बनना
बंद न हो जाएं, अश्लील, फूहड़, और दोअर्थी
चलो ठीक ही हुआ, तुमको मौक़ा मिला
तुमने भी, सिद्ध कर दी, फूहड़ता
फूहड़ता का स्तर, क्या है, कितना है, क्यों है
ये तो, मैं, फिल्म देखने के बाद
ही बयां कर पाऊँ
पर, जैसा सुन रहा हूँ, लोग बयां कर रहे हैं
एक अनुमान, लग रहा है
तुम चरम पर हो, इस फिल्म में, संग फूहड़ता के
पर तुम, मत करना, शर्म, खुद पर
क्यों, क्योंकि, तुम्हारा तो अधिकार है
फूहड़ता, अश्लीलता, और दोअर्थी संवादों पर
क्यों, क्योंकि ...
तुम एक कलाकार हो, फ़िल्मी कलाकार
वाह वाह ! देल्ही बेली
वाह ! आमिर ! वाह !!

6 comments:

संजय भास्‍कर said...

वाह ! आमिर ! वाह !!
...अति सुंदर ओर लाजवाब रचना !

संजय भास्‍कर said...

... प्रशंसनीय रचना - बधाई
करीब 20 दिनों से अस्वस्थता के कारण ब्लॉगजगत से दूर हूँ
आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,

kshama said...

Film to dekhi nahee,lekin andazaa lagaya jaa saktaa hai!

परमजीत सिहँ बाली said...

प्रशंसनीय रचना - बधाई

Smart Indian said...

बेशर्मी के लिये कला भी एक बहाना है।

प्रवीण पाण्डेय said...

जो बिके, वह बेचो।