न कर गुमान ख़ुद पे, वक्त ने दिया साथ तो निकल आए हो
छोडेगा जब साथ तो बिखर जाओगे
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तंग हालत में भी, शान न टूटने पाये
'उदय' कुछ राहें , ऐसी दिखाते रहना
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ये सच है, बहुत उलझा हुआ हूँ
पर सुकून है, तेरे साथ होने से
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हम कडकेन्गे जब आसमान में बिजली बनकर
अंधेरों में कहीं तो रौशनी होगी
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है मुमकिन करो कोशिश , तुम मुझको भूल जाने की
पर नामुमकिन ही लगता है, भुला पाना मुझे यारा
"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
Wednesday, September 16, 2009
Tuesday, September 1, 2009
शेर
अंधेरे उजालों से कहीं बेहतर हैं
वहाँ हैं तो सभी, पर दिखते नहीं हैं
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भीड़ में चैन नहीं मिलता
सुकून की चाह में तनहा हूँ
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क्यों खो रहे हो रातों का सुकून
हाय-तौबा जिंदगी भर अच्छी नहीं यारा
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'उदय' कहता है , जख्मों को छिपा कर रखना यारो
जो भी देखेगा, कुरेद ... ... ...
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चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए
तुम झुकते नहीं, और ... ... ...
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