Saturday, December 25, 2010

उम्रकैद ...

उम्रकैद
एक सजा है ! सच
मुझे उम्मीद थी, कि मुझे सजा होगी
मैं जानता था, बहुत पहले से, कि ऐसा हो सकता है
क्यों, क्योंकि -
मैं, अपने देश के हालात को
आज-कल से नहीं, वरन सालों से जानता हूँ !

आये दिन -
लूट, ह्त्या, छेड़छाड़, बलात्कार, भ्रष्टाचार, घोटाले
जैसी गंभीर वारदातें
खुलेआम होती हैं
और अपराधी, खुल्लम-खुल्ला घूमते हैं !

अब उनका क्या दोष !
वे पकड़ में नहीं आते, और यदि पकड़ आते भी हैं
तो उन्हें कोई सजा
पता नहीं, क्यों नहीं होती !

पर मुझे पता था
कि मुझे सजा जरुर होगी, होनी ही चाहिए
क्यों, क्योंकि -
मैं, लड़ता रहा हूँ, लड़ रहा हूँ अन्याय से !
चलो ठीक ही हुआ
कौन चाहता, कौन चाहेगा, मेरा स्वछंद रहना !

मेरी बातें, आवाजें, डरावनी सी हैं, जो बेचैन करती हैं
कुछेक कानों को
कम से कम अब उन्हें, सुकून रहेगा
मेरे कालकोठरी में रहने से !

पर कुछ, दुखी जरुर होंगे, उनका दुख
अब क्या कहूं !
पर मुझे कोई दुख, अफसोस नहीं है, उम्रकैद से !!

18 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सही है ...जो लोग अन्याय के खिलाफ बोलते हैं उनकी आवाज़ ऐसे ही दबा दी जाति है ...अच्छी प्रस्तुति

प्रवीण पाण्डेय said...

इस भ्रष्टाचारी दानव ने हमारे देश को हमारी उम्रभर के लिये कैद कर लिया है।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

मैं कह नही सकता यदि यह विनायक सेन के संदर्भ में है, क्योंकि मुझे विनायक सेन के बारे में कुछ नहीं पता. भाव सुन्दर हैं.

kshama said...

Rachana bahut achhee ban padee hai. Desh ke halaat dekh afsos zaroor hota hai.

संगीता पुरी said...

बहुत अच्‍छी प्रस्‍तुति !!

Rahul Singh said...

आप अपने संकल्‍पों की कैद में हैं, अपनी सक्रियता सहित बाहर निकल आएं.

राज भाटिय़ा said...

कब तक ऎसी आवाजे दबाई जायेगी.... बहुत सुंदर रचना जी धन्यवाद

केवल राम said...

पर मुझे पता था
कि मुझे सजा जरुर होगी
होनी ही चाहिए
क्यों, क्योंकि मैं
लड़ता रहा हूँ
लड़ रहा हूँ अन्याय से !
xxxxxxxxxxxxxxxxxxxx
सच कह दिया आपने ...अन्याय के खिलाफ लड़ने वालों के साथ कैसा व्यव्हार किया जाता है ..यह किसी से छुपा नहीं है ......विचारणीय पोस्ट ...शुक्रिया

Neeraj said...

Can't comment on relevance but still a very good piece of poetry.

vandana gupta said...

एक कडवे सच को बखूबी उजागर किया है…………प्रशंसनीय रचना।

Pratik Maheshwari said...

एक और कड़वा सच..
फिलहाल के समाचार सुन-पढ़कर तो ऐसा ही लगता है..

आभार

ZEAL said...

बहुत सुंदर रचना !

Kunwar Kusumesh said...

सुन्दर लेखन

Arvind Jangid said...

सार्थक रचना. आवाज दबेगी नहीं, भले ही कुचल दी जाए.

उपेन्द्र नाथ said...

उदय जी, इस कविता के लिए आभार.... बहुत ही विचारणीय कविता . सब सत्ता की कुटिल चाले है अपनी सत्ता को बचाने के लिए. ...

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

उदय भाई, यह उम्रकैद मुबारक हो।

---------
अंधविश्‍वासी तथा मूर्ख में फर्क।
मासिक धर्म : एक कुदरती प्रक्रिया।

ज्ञानचंद मर्मज्ञ said...

anyaay ke khilaf aawaz uthane waalon ko hamesha faansi hui hai !
sach hi likha hai uday ji!
-gyanchand marmagya

Khushdeep Sehgal said...

सुदूर खूबसूरत लालिमा ने आकाशगंगा को ढक लिया है,
यह हमारी आकाशगंगा है,
सारे सितारे हैरत से पूछ रहे हैं,
कहां से आ रही है आखिर यह खूबसूरत रोशनी,
आकाशगंगा में हर कोई पूछ रहा है,
किसने बिखरी ये रोशनी, कौन है वह,
मेरे मित्रो, मैं जानता हूं उसे,
आकाशगंगा के मेरे मित्रो, मैं सूर्य हूं,
मेरी परिधि में आठ ग्रह लगा रहे हैं चक्कर,
उनमें से एक है पृथ्वी,
जिसमें रहते हैं छह अरब मनुष्य सैकड़ों देशों में,
इन्हीं में एक है महान सभ्यता,
भारत 2020 की ओर बढ़ते हुए,
मना रहा है एक महान राष्ट्र के उदय का उत्सव,
भारत से आकाशगंगा तक पहुंच रहा है रोशनी का उत्सव,
एक ऐसा राष्ट्र, जिसमें नहीं होगा प्रदूषण,
नहीं होगी गरीबी, होगा समृद्धि का विस्तार,
शांति होगी, नहीं होगा युद्ध का कोई भय,
यही वह जगह है, जहां बरसेंगी खुशियां...
-डॉ एपीजे अब्दुल कलाम

नववर्ष आपको बहुत बहुत शुभ हो...

जय हिंद...