केन्द्र सेवा
के एक अधिकारी सुबह सुबह मेरे घर पर विराजमान हुये उन्हें देखकर मैं हैरान हुआ व सोच में पढ गया कि ये महाशय यहां कैसे व किस कारण से पधारे हैं, चाय-पानी के दौरान मैंने पूछा कैसे आना हुआ, जवाब मिला
गुरु जी मैं नया नया नौकरी में आया हूं मेरी प्रथम पोस्टिंग है आपके शहर में, मेरे
पिता जी आपके बहुत बडे फ़ैन हैं आपकी लिखी हुई ऎसी कोई लाईन नहीं होगी जो उन्होंने पढी न हो !
जब मैं घर से निकला यहां ज्वाईनिंग के लिये तब पिता जी ने स्पष्ट शब्दों में कहा - बेटा वहां पहुंच कर सबसे पहले आप से मिल लेना तथा नौकरी में सफ़लता का
गुरुमंत्र ले लेना,
सो आपके पास आया हूं
गुरुमंत्र लेने ... अरे मैं कोई पंडित-वंडित नहीं हूं ... हां पता है आप एक जाने-माने लेखक हैं ... फ़िर मैं कैसे
मंत्र दे सकता हूं ... मेरे पिता जी ने जब आपके पास भेजा है मतलब वो यह जानते व विश्वास रखते हैं कि आपसे ज्यादा अच्छा मुझे कोई दूसरा
गुरुमंत्र नहीं दे सकता !
मैं चाहता हूं कि आप मुझे ऎसा मंत्र दें जिसे पाकर मैं सफ़लता ही सफ़लता प्राप्त कर सकूं ... चलो ठीक है तो सुनो ... देखो सामने जो मेरा
कुत्ता बंधा है उसे गौर से देखो और आज से तुम
कुत्ते को अपना
आदर्श मान लो ... उसके पांच महत्वपूर्ण
गुण अर्थात मंत्र तुम्हें बताता हूं गौर से सुनो ...
पहला - तलुवा चाटना अर्थात पैर चटना ...
दूसरा - दुम दबाना ...
तीसरा - दुम हिलाना ...
चौथा - गुर्राना अर्थात भौंकना ...
पांचवा - काट लेना ...
... हर समय कुत्ते को अपने जहन में रखना तथा ये सोचना कि सामने जो व्यक्ति आया है ... उसके पैर चाटना हितकर होगा ... या उसके सामने दुम दबाना हितकर होगा ... या उसके सामने दुम हिलाना हितकर होगा ... या उसे गुर्राना-भौंकना हितकर
होगा ... या फ़िर सीधा उसे काट लेना हितकर होगा ... जो तत्कालीन हालात में उचित लगे वैसा-वैसा करते जाना ... सफ़ल हो जाओगे अर्थात सफ़लता तुम्हारे कदमों को चूमेगी ... मेरी बातें अर्थात मंत्र तुम्हें जरा अट्पटा जरुर लग रहा होगा पर आज के युग में सफ़लता का यही मूल मंत्र है !
महाशय आशीर्वाद लेकर चले गये ... सोमवार टू सोमवार हर हफ़्ते आते और आशीर्वाद लेकर चले जाते ... सब मौजा-ही-मौजा ... लगभग तीन साल कैसे गुजरे पता ही नहीं चला ... फ़िर अचानक एक दिन चिंतित मुद्रा में नजर आये ... मैंने पूछा क्या हुआ ? ... कुछ नहीं
गुरुजी सब ठीक चल रहा था एक छोटी सी गल्ती हो गई है मैंने एक ऎसे आदमी को
काट खाया है जो
सी.एम.साहब का पुराना खास आदमी है और सालों से उनके तलवे चाट रहा है और मुझे तो अभी जुम्मा-जुम्मा ही हुआ है !
उफ़ ...
खैर कोई बात नहीं जिसको काटा है वह मरा तो नहीं ... नहीं लेकिन बहुत पावरफ़ुल है ... एक काम करो जो हो गया उसे मिटा तो नहीं सकते पर सुधार जरुर सकते हो, किसी माध्यम से
जाओ उसके पास और
तीसरा गुण अर्थात मंत्र - दुम हिलाना का पालन कर लो सब ठीक हो जायेगा ... लेकिन सिर्फ़ तीसरे मंत्र का ही पालन करना ... ठीक है
गुरुजी ...
प्रणाम !... पन्द्रह दिन बाद ... गुरुजी आपके आशीर्वाद से सब ठीक हो गया मेरा प्रमोशन हो गया है
और राजधानी में सी.
एम.
साहब ने मेरी पोस्टिंग कर दी है कह रहे थे तुम यहीं आकर काम करो ... आपके
गुरुमंत्र ने मेरा जीवन ही सुधार दिया है मैं कहां-से-कहां पहुंच गया हूं जिसकी कल्पना करना भी असंभव था ...
धन्य हैं मेरे पिता जी और उनकी दूरदर्शिता ... और धन्य हैं आप ... प्रणाम गुरुदेव ... प्रणाम !!