Thursday, May 6, 2010

प्रेम कहानी .... एक हिन्दुस्तानी लड़की !!!

एक लड़का और एक लड़की आस-पडौस में रहते थे कभी-कभी उनकी मुलाक़ात होते थी ... एक दिन लड़की एक छोटे से बच्चे को खिला रही थी लड़का उसी समय इत्तेफाक से पहुंच गया तथा बच्चे को हाथों में लेकर पप्पी लेने लगा, तभी अचानक लड़की ने लडके से धीमी आवाज में कहा क्यों मुझे पप्पी नहीं दोगे ... सुनकर लड़का अचंभित रह गया और लड़की को देखने लगा ... लड़की भी देख कर शरमाई ... कुछ पल दोनों खामोश होकर एक-दूसरे को देखते रहे ... फिर लडके ने लड़की के गाल को धीरे से चूमा ... और वहां से चला गया ... दो-तीन दिन के बाद फिर दोनों एक-दूसरे के आमने-सामने ... कुछ संकोच - कुछ भय ... दोनों हिम्मत कर आगे बढे और गले लग गए ... फिर अक्सर मेल-मुलाक़ात होती रही दोनों का प्रेम बढ़ने लगा ...

... लड़की की पढ़ाई पूरी गई और वह परिवार वालों के आदेशानुसार गांव वापस जाने को मजबूर ... लड़का भी पढ़ाई पूरी कर चुका था और नौकरी के लिए तैयारी कर रहा था ... शाम को दोनों मिले ... लड़की ने अपनी स्थिति बताई ... लडके ने नौकरी की समस्या बयां की ... दोनों एक-दूसरे से शादी करने को उतावले थे पर खाने-कमाने की समस्या सर पर थी ... दोनों नौकरी मिलने तक इंतजार को तैयार हुए ... लड़की गांव चली गई ... लड़का नौकरी के लिए जी-तोड़ मेहनत करने लगा ... लगभग एक साल के अंदर ही लडके को एक प्रशासनिक नौकरी मिल गई ...

... इस एक साल के दौरान संयोग से दोनों एक-दो बार ही मिल पाए थे ... लडके ने नौकरी मिलने की खुशखबरी लड़की को भेजी और यह संदेश भी भेजा की अब हम शादी कर सकते हैं कब आऊं तुम्हें लेने ... लड़की ने जवाब दिया मै तैयार हूं कभी भी आ जाओ ... लड़का खुशी-खुशी लड़की के घर गांव पहुंचा .... पारिवारिक जान पहचान के नाते उसके घर पर ही रुका ... रात में खाना खाने के बाद लडके ने लड़की से कहा कल सुबह तैयार हो जाना चल कर मंदिर में शादी कर लेंगे ... अपने बीच जातिगत व आर्थिक असमानता है तुम्हारे माता-पिता शादी को तैयार नहीं होंगे ... इसके अलावा और कोई विकल्प नहीं है ... लड़की ने हां कहा ...

... लड़की अपने कमरे और लड़का गेस्ट रूम में ... रात कैसे गुज़री ... दोनों तरफ न जाने कैसी खामोशी थी ... कैसे सुबह हुई पता ही नहीं चला ... दूसरे दिन सुबह लड़की के चहरे पर जब लडके की नजर पडी ... लड़की की नजरें अस्थिर व चेहरा खामोश था ... समय गुजरने लगा ... लड़का भी खामोश रहकर लड़की के मनोभाव पढ़ने लगा ... उसने मौक़ा पाकर लड़की के सिर पर हाथ रखते हुए धीरे से कहा ... डरो मत, खुद से मत लड़ो ... जब मन होगा साथ चलने का ... खबर भेज देना मैं बाद में जाऊंगा ...

... चाय-नाश्ता करने के बाद लड़का जाने को तैयार हुआ ... घर के बाहर परिवार के सभी सदस्य छोड़ने आये लड़की भी ... खामोशी के साथ-साथ लड़की की आँखे नम ... लडके ने लड़की के चेहरे पर उमड़ रहे मनोभावों को पढ़ लिया और समझ गया कि माता-पिता की मर्जी के बिना भागकर शादी करना ... एक हिन्दुस्तानी लड़की के लिए अग्निपरीक्षा से गुजरने से कम नहीं है ... लडके ने सभी को अलविदा कहा और निकल पडा ... गली के मोड़ पर लडके ने मुड़कर देखा ... लड़की अकेली दरवाजे पर खामोश खडी थी लडके ने हाथ उठा कर बाय-बाय कहा ... और दोनों के बीच फासला बढ़ता गया ... !!!

19 comments:

Anonymous said...

एक गहरा उछ्वास
बस

फ़िरदौस ख़ान said...

लडके ने लड़की के चेहरे पर उमड़ रहे मनोभावों को पढ़ लिया और समझ गया कि माता-पिता की मर्जी के बिना भागकर शादी करना ... एक हिन्दुस्तानी लड़की के लिए अग्निपरीक्षा से गुजरने से कम नहीं है ... लडके ने सभी को अलविदा कहा और निकल पडा ... गली के मोड़ पर लडके ने मुड़कर देखा लड़की अकेली दरवाजे पर खामोश खडी थी लडके ने हाथ उठा कर बाय-बाय कहा ... और दोनों के बीच फासला बढ़ता गया ... !!!


ज़्यादातर प्रेम कहानियों का अंत ऐसे ही होता है...

M VERMA said...

... और दोनों के बीच फासला बढ़ता गया ... !!!
दिल दुखा दिया

vandana gupta said...

uff!bahut marmik.

kshama said...

Ek aah!

Randhir Singh Suman said...

nice

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

अच्छा हुआ...आपसे फोन पर पूछ लिया.... अंत बहुत दुखद रहा....

pallavi trivedi said...

aisa hi to hote dekha hai aksar...

honesty project democracy said...

उदय जी अच्छा लिखतें है आप और सोचने की शक्ति भी अच्छी है ,साथ-साथ आपके ब्लॉग का नाम भी कडुआ सच है / आप अगर खोजी ब्लोगिंग की शुरुआत करें तो मेरे ख्याल में इस देश और समाज को कुछ न कुछ फायदा तो जरूर होगा /आशा है आप हमारे आग्रह पर गंभीरता से विचार करेंगे /

राज भाटिय़ा said...

दोनो ही समझ दार निकले

राजकुमार सोनी said...

प्रेम कहानियां मुझे अच्छी लगती है, लेकिन मेरा मानना है कि प्रेम का अंत सुखद ही होना चाहिए। दुखद अंत से बहुत तकलीफ होती है भाई।
मैं हमेशा प्यार करने वालों के पक्ष में खड़ा होता आया हूं। क्या इस कहानी का अंत बदल सकते हो। यदि नहीं तो कभी एक कहानी ऐसी जरूर लिखना जिसका अंत सुखद हो। क्या आपको नहीं लगता कि इस दुनिया में हर हाल में प्रेम की जीत होनी चाहिए। हम कलमकारों को भी कभी प्रेम को हारते हुए नहीं दिखाना चाहिए। मैं जा रहा हूं अपने ब्लाग पर कुछ लिखूंगा। शायद प्रेम पर ही कुछ लिखूंगा।

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

प्रेम कहानियां मुझे अच्छी लगती है, लेकिन मेरा मानना है कि प्रेम का अंत सुखद ही होना चाहिए। दुखद अंत से बहुत तकलीफ होती है भाई।

अरुणेश मिश्र said...

नयी शैली ।

कडुवासच said...

@honesty project democracy
... खोजी ब्लागिंग से आपका तात्पर्य क्या है जरा विस्तार से बताने का कष्ट करें !!!

कडुवासच said...

@राजकुमार सोनी
भाई जी इस कहानी का अंत बदलना संभव नहीं है जब विधाता ने इस कहानी का अंत २० साल पहले निश्चित कर दिया और कहानी घटित हो गई उसे अब बदल पाना .... नामुमकिन !!!

नरेश सोनी said...

बिजली की आंखमिचौली के चलते कल शाम और आज सारा दिन ब्लाग पर नहीं आ पाया। इसलिए इतनी बेहतरीन कहानी से महरूम रहा।

Apanatva said...

kahanee ka ant udas kar gaya...

Mirchi Namak said...

झकझोरने कि लिये बहुत बहुत धन्यवाद शायद ऎसा बहुतों के साथ होता है दिल ने उसे रोकना तो चाहा बहुत मगर उसे जाना ही था बेबसी दूर तक देखती रही ...............

Unknown said...

एक मार्मिक कहानी!