Sunday, August 1, 2010

रण है !

आतंकी दौर है तो क्या
रण है,
नक्सली खौफ़ है तो क्या
रण है,

बारूदी
ढेर है तो क्या
रण है,
पहाडी डगर है तो क्या
रण है,

खडे
रणक्षेत्र में हैं हम
रण है,
दिलों में धडकनें हैं हम
रण है,

खडे
हैं मोर्चे पे हम
रण है,
जुनूं है, जान हैं हम
रण है,

वतन
की आन हैं हम
रण है,
वतन की शान हैं हम
रण है !

6 comments:

संजय भास्‍कर said...

ग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है .

संजय भास्‍कर said...

प्रशंसनीय रचना - बधाई

Dev said...

वतन की आन हैं हम
रण है,
वतन की शान हैं हम
रण है !


बेहतरीन प्रस्तुति .....

Shah Nawaz said...

बेहतरीन प्रस्तुति!

राज भाटिय़ा said...

बहुत खुबसुरत रचना. धन्यवाद

M VERMA said...

रण में भी तो अन्दरूनी रण है