Thursday, October 7, 2010

कल-आज-कल !

कल-आज-कल, जीवन है
जीवन है, तो जी लें हम !

चलो आज में, जी लें हम
कल का, कल हम देखेंगे !

बीत गया, जो बीत गया
आज बैठकर क्यूं सोचें !

रोज नया कल, आज बनेगा
फिर आज भला क्यूं हम सोचें !

होंगे कुछ, कल के सपने भी
आज भला हम क्यूं देखें !

ये सच है कल भी आयेगा
आज नया बन के आयेगा !

आज बैठ हम, कल के सपने
देख देख कर क्यूं बैठें !

जीवन का दस्तूर यही है
जो कुछ है, वो आज यहीं है !

आज जो चाहें, आज मिले
यही सोच कर, जी लें हम !

चलो आज में, जी लें हम
कल का, कल हम देखेंगे !!

11 comments:

हास्यफुहार said...

बहुत अच्छी प्रस्तुति। नवरात्रा की हार्दिक शुभकामनाएं!

संजय भास्‍कर said...

चलो आज में, जी लें हम
कल का, कल हम देखेंगे !

..............बहुत खूब, लाजबाब !

आप को नवरात्री की हार्दिक शुभकामनाएं.

ZEAL said...

जीवन का दस्तूर यही है
जो कुछ है, वो आज यहीं है...

awesome !

.

Apanatva said...

kya ye sambhav hai?

nav ratri kee shubhkamnae............

मनोज कुमार said...

सही कहा है, आज में जी लें। कल की कल देखेंगे। या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
आपको नवरात्र की ढेर सारी शुभकामनाएं!

अंजना said...

सुंदर ...

नवरात्रि की आप को बहुत बहुत शुभकामनाएँ ।जय माता दी ।

rajesh singh kshatri said...

नवरात्रि की आप को बहुत बहुत शुभकामनाएँ
जय माता दी कहते जाओ ... ... ...

महेन्‍द्र वर्मा said...

चलो आज में जी लें हम
कल का कल हम देखेंगे।

अच्छा संदेश देती हुई कविता।

राज भाटिय़ा said...

सच हे जी कल किस ने देखा...
बहुत सुंदर रचना, आप सब को नवरात्रो की शुभकामनायें,

सुधीर राघव said...

बहुत सही लिखा आपने।

प्रवीण पाण्डेय said...

बड़े सुन्दर विचार व प्रस्तुति।