Friday, August 30, 2013

आदत ...

कोई माने या न माने वे आज के दौर के जादूगर हैं
दुम हिला-हिला के भी, .…. सरकार चला लेते हैं ?

हम जानते हैं 'उदय', उन्हें,...फाँसी चढ़ाने की जल्दी है
पर डर इस बात का है कोई निर्दोष न चढ़ जाए यारो ?

लो, अब तो वो ............................. गुर्रा भी रहा है
भ्रम न हो जाए हमें, इसलिए दुम भी हिला रहा है ?

अब 'खुदा' ही जाने 'उदय', ये कैसे मंजर हैं
बलात्कारी डरा है, या सरकार डरी हुई है ?

तुम मेरी बातों पे न जाना, बहुत झूठा हूँ मैं
रोतों को हँसाना, …… मेरी आदत है यारो !

Wednesday, August 28, 2013

मौकापरस्ती ...

सुनते हैं 'उदय, उनका पांच साली ठेका ख़त्म होने को है,.....फिर ?
'खुदा' जाने, होंगे जलालत भरे दिन, या हों सुरमयी शाम उनकीं ??
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तू न सही ...……….. कोई बात नहीं
जीने के लिए तेरी यादें बहुत काफी हैं ?
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रुपया, मान, ईमान, सम्मान, जितना चाहे उतना गिर जाये
पर 'उदय',........................ सरकार नहीं गिरना चाहिये ?
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सच ! वो तान दें चाहे जितनी भी ऊँची दीवार बीच में
दिल के अरमानों को छलांग लगानी आती है 'उदय' ?
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कदम-कदम पे उनकी साम्प्रदायिक मौकापरस्ती की चर्चा है
फिर भी, वो धर्मनिरपेक्षता का राग अलाप रहे हैं 'उदय' ???
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Sunday, August 25, 2013

नाकारा हुक्मरान ...

सच ! अब 'खुदा' ही जाने 'उदय', कितने 'खुदा' हैं वतन में
आज जिसे देखो वही लगा है 'खुदा' कहलाने के जतन में ?

वो बड़े जालिम हैं इस तरह पीछा न छोड़ेंगे
फिर किसी मोड़ पे बेशर्म से मिल जायेंगे ?

हाँ, शक है हमें, ........... तेरी खुबसूरती पे
चेहरा तेरा, पहले कहीं देखा सा लगता है ?

गर, ........................... सिर कटेंगे तो कट जाने दो
पर किसी नाकारा हुक्मरान के आगे न झुकेंगे हम ?

सच ! साकी ने मुस्कुरा के हमें प्याला थमा दिया
अमृत समझ के पी गए, हम प्याला जहर भरा ?

Friday, August 23, 2013

कुर्सी के चाटूकार ...


कुंठा कहो, क्रोध कहो, आक्रोश कहो, या विद्रोह कह लो
लेकिन, हाँ…………………… मैं नाराज हूँ तुमसे ?

चोर, उचक्कों, औ बलात्कारियों का भी हक़ है 'उदय'
संत, … आसा, … राम, … बापू, … कहलाने का ?

तू, झूठ-मूच ही सही, मिलने का दिन तो मुकर्रर कर
फिर देखें, ………………. 'खुदा' की मंसा क्या है ?

कुर्सी के चाटूकारों का अब हम क्या करें 'उदय'
जी तो करता है,…उठा-उठा के प्प्प्प्पटक दें ?

सच ! आज के दौर के ढोंगियों, पाखंडियों, भ्रष्टाचारियों, घोटालेबाजो
मेरा सलाम क़ुबूल करो, कुछ तो है तुम्में जो अब तक सलामत हो ?

Monday, August 19, 2013

ख्यालात ...

मेरी शौहरत-औ-बुलंदियों में, मेरे रकीबों का हाँथ है
वर्ना, मेरी खुद की,…कहाँ इतनी औकात थी यारो ?

बहुत दूर छोड़ आया हूँ मैं अपना जतन
अब जहाँ हूँ मैं 'उदय' वही है मेरा वतन ?

कदम कदम पे, आज प्याज के खूब चर्चे हैं 'उदय'
सच ! अब वो नेता भी हैं, और दुकानदार भी हैं ?

बहुत कुछ, बदल लिए हैं मिजाज हमने भी 'उदय'
सुनते हैं, … एक-से ख्यालात उन्हें भाते नहीं हैं ?

हम जानते हैं, वे बगैर शर्त तो नजर उठाते तक नहीं हैं
आज देख के मुस्कुराए हैं, जरुर कोई सौदा हुआ होगा ?

Thursday, August 15, 2013

फटेहाल ...

गुजरती उम्र पर, तनिक तो तरस खाओ यारो
कब्र में पाँव लटके हों तो यूँ मटका नहीं करते ?
...
तू इत्मिनान रख साक़ी, हम शराबी हैं मदहोश नहीं हैं
गर लार टपकी भी तो इन आँखों से ही चख लेंगे तुझे ?

अरे कुछ तो कह, भले चुप-चाप कह
हमें आती है, तेरी आँखों की बोली ?

हुशियारी में तो वो गजब माहिर हैं 'उदय'
मगर अफसोस, आज भी फटेहाल हैं वो ?

रेज़गारी का चलन तो कब का बंद हो गया है दोस्त
इस खनखनाहट से तुम किसे डरा रहे हो आज ??

Monday, August 12, 2013

इंसानियत ...

सच ! साम्प्रदायिकता की फसल उन्ने खूब उगाई है
कभी-कभी, पकने के पहले भी उसे वो काट लेते हैं ?

किसे थी खबर, कि वो तिलस्मी हैं 'उदय'
वर्ना, आज हम उनकी कैद में नहीं होते ?

देखना इक दिन 'उदय', वो आपस में कट मरेंगे
किसी के भी जेहन में इंसानियत नहीं बसती ?

उफ़ ! ऐंसा नहीं है कि यहाँ मुफ़लिसी नहीं है
हफ़्तों हो गए उनसे मिले-बिछड़े हमें यारा ?
….
किस किस को है परवाह तेरी जमाने में आज
बस एक बार, तू जीते-जी मर कर तो देख ??

Sunday, August 11, 2013

वित्तमंत्री ...

लघुकथा : वित्तमंत्री

चमचमाती कार से चार व्यक्ति उतर कर ढाबे में प्रवेश किये तो ढाबे का मालिक काउंटर से उठकर सीधा उनकी टेबल पर पहुँचा …

क्या लेंगे हुजूर ?
खाना खायेंगे और क्या, … क्या-क्या ख़ास है … स्पेशल ?
जी, सब कुछ मिल जाएगा … वेज-नानवेज, सब कुछ !

सुनने-सुनाने के बाद …

अच्छा, एक काम करो … एक प्लेट दाल और एक प्लेट भिंडी ले आओ … और कड़क कड़क रोटी … !
( ढाबे का मालिक भौंचक-सा हुआ … )
हुजूर, बाकी तीन लोग … चाय लेंगे, काफी लेंगे, या ठंडा लेंगे ?
ये आर्डर चारों के लिए है, … चलो फटा-फट ले आओ …  दो बज रहे हैं …  आज सुबह से नाश्ता भी नहीं किया है !

ओह, … अच्छा, … हुजूर, एक सलाह दूँ !
हूँ, … हाँ … बोलो …. !
हुजूर, आप देश के वित्तमंत्री क्यों नहीं बन जाते !!

हूँ, … हाँ … हूँ, … क्यों ?
हुजूर, … एक दाल … एक सब्जी … कड़क रोटियाँ … और चार आदमी, … वो भी सुबह से भूखे … आपका वित्तीय मैनेजमेंट कमाल का है … गाडी और चेहरे से… खैर छोडो, आप वित्तमंत्री के लिए … फिट हो बॉस !!!

Friday, August 9, 2013

फ़साने ...


उनकी वाल पे, बहुत भीड़ है आज
गर जी करे भी तो कैसे करे ????

वे मीठा-मीठा बोलेंगे और तुम्हें ललचायेंगे
देखना इक दिन वे ही आपस में लड़वायेंगे ?

गर नाज है 'उदय', उन्हें अपने ताज होने पर
तो, हमें भी गुमान है उन्हें देखते रहने पर ?

किसने कहा है मिल कर ही मिला करो
कभी न मिलकर भी मिल लिया करो ?
...
कभी कभी गुजर जाते हैं 'उदय', ऐंसे भी फ़साने दिल के
जिनकी चर्चा भी नहीं होती, जो गुमसुम भी नहीं होते ?

Tuesday, August 6, 2013

परिवर्तन ...

"सरकारें … निश्चिंत रहें 
हमारी लड़ाई 
तुम्हारे साथ नहीं है, 

हम तो यहाँ 
व्यवस्था परिवर्तन के लिए 
इकटठा हुए हैं, 

और जब हमने 
यह तय कर लिया है 
तो हम, 

हर हाल में 
व्यवस्था परिवर्तन 
करके रहेंगे,… करके रहेंगे !"

Monday, August 5, 2013

तमाशा ...

लो 'उदय', बात कहाँ की, कहाँ ले आये हैं वो 
ऐंसा हुनर, किसी और में देखा नहीं हमने ?
... 
उनका चूना, खुद उनको ही........लगा रहे हैं लोग 
कुछ इस तरह साहित्यिक दुकां चला रहे हैं लोग ? 
... 
अब तुम उस बेजुबाँ पे लाड न दिखाओ मियाँ 
कल इन्हीं हांथों से तो, हलाल होना है उसे ??
... 
चलो माना खुबसूरती पे इतराने का हक़ है तुम्हें 
पर, जिस्म की नुमाइश अच्छी नहीं यारा ????
... 
तमाशा चल रहा है, देख लो सरेआम संसद में 
मदारी कौन है...... सिर्फ ये जाहिर नहीं होता ? 
... 

Saturday, August 3, 2013

संगदिल ...

बहुत गुस्ताख हैं,……. आँखें उनकी
दबे दबे ही हमें देख लेती हैं अक्सर ?

उनके कमीनेपन की, कोई हमसे मिसाल न पूंछे 'उदय'
कुर्सी की चाह में, …….. वो अपना बाप बदल लेते हैं ?

कोई एक तो होगा 'उदय', जो संगदिल नहीं होगा
वो जिस दिन मिलेगा, ये दिल पहचान लेगा ??
...  
कुछ हुनर, था छिपा परछाइयों में
धूप ज्यों छंटने लगी, वो नजर आने लगा ?
...
वो चाहकर भी, हमे कभी नहीं भूल सकते हैं 'उदय'
राह चलते, आँखों पे जोर नहीं चलता है उनका ??