Tuesday, July 30, 2013

चिराग ...

न तो उन्हें शर्म है, और न ही वे शर्मिन्दा हैं
जात-धर्म का उन्ने, बिछाया चुनावी फंदा है ?
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सुनो 'उदय', कह दो सब से, कुत्तों की वफादारी पे सवाल न करें
वे तो ... भौंकेंगे, काटेंगे, दुम हिलाएंगे, अपने मालिक के लिए ?
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टंकी पे बैठ के नौटंकी ...
कुछ तो शर्म करो,... जनता के वोट से पहुंचे हो वहाँ ??
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हल्ला न हो-हल्ला ...
देश में खूब चल रहा है भ्रष्टाचारियों का बल्ला ??
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बस, उम्मीदों के चिराग जलाते रहें
फिर देखें अँधेरे कैसे दूर नहीं होते ?
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Sunday, July 28, 2013

पैंतरेबाजी ...

यकीनन, तुम्हारी दोस्ती पे यकीन है हमें
पर, दोस्ती के भी तो कुछ उसूल होते हैं ?

सच ! घुप्प अंधेरा…छा गया है बारिशों से
सिर्फ, कड़कडाती बिजलियों की रौशनी है ?

बा-अदब… क़ुबूल है,… सलाम हुजूर का
मौसम-औ-बरसात,…दोनों का शुक्रिया ?

वैसे उन्ने, सौ टका टंच बात कही है
विरोध तो,…. आम बात है 'उदय' ?

तंग आ गया हूँ 'उदय', मैं उनकी पैंतरेबाजी से
राजनीति, …… उफ़ ! वो भी गरीबों के सांथ ?

Monday, July 22, 2013

आधा पागल ?

लघुकथा : आधा पागल 

एक मित्र ... दूसरे मित्र से … तीसरे मित्र की ओर इशारा करते हुए ...

भाई जी, उस पागल को तो समझाओ !
उसे !... उसे मैं तो क्या, कोई भी नहीं समझा सकता !!

क्यों भाई जी ?
क्यों ! ... क्योंकि वह पागल नहीं हैं, आधा पागल है ... और तो और इस संसार में आधे पागलों का कोई इलाज भी नहीं है !!

कुछ तो उपाय जरुर होगा भाई जी ?
हाँ है ... उन्हें समझाया नहीं ... सिर्फ बरगलाया जा सकता है !!!

Tuesday, July 16, 2013

बलात्कारियों का शहर ...

सावधान ...
हम 
बलात्कारियों के शहर में प्रवेश कर चुके हैं !

अब 
अगले तीन घंटे तक 
सभी पर्यटकों से अनुरोध है 
कि -
वे ..... अपनी बच्चियों व नारियों की ...
सुरक्षा का विशेष ध्यान रखें !!

खासतौर पर 
नौजवान महिलाएँ .... 
स्वयं अपना ...
व अपने शरीर के महत्वपूर्ण अंगों का ...
दायें से, 
बायें से, 
आगे से, 
पीछे से ...
विशेष ख्याल रखें !!!

क्यों ? ... क्योंकि - 
यह ........ बलात्कारियों का शहर है !!!!!

Sunday, July 7, 2013

ख्यालात ...

कौन कहता है आकर लिपट जाओ हमसे
कभी, न मिलकर भी मिल लिया करो ?
...
सच ! सुनते हैं वो बहुत बड़े लेखक हैं मगर
उनकी कमर में कहीं हड्डी नहीं दिखती ??
...
अब मेरे जख्मों को तेरे झूठे मरहमों की दरकार नहीं है
'खुदा' जानता है, या तू, ये जख्म दिए किसने हैं ????
...
उफ़ ! बात दिलों की होती तो कोई बात होती
बस, ख्यालात बदल लिए उन्ने ????????
...
हमें, बड़े आहिस्ता से अन्फ्रेंड किया है उन्ने
अब वे मिलकर भी मिलते नहीं हमसे ???
...

Friday, July 5, 2013

कमिटमेंट ...


ये उनकी दुआओं का ही असर है शायद 
बंजर जमीं पे फूल खिल गए हैं आज ?
... 
तू, मेरे किसी भी दस्तख़त पे एतबार मत करना
उनमें तो,...किसी न किसी की खुशियाँ छिपी हैं ?
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बेकार की बातें, बेकार के मुद्दे, बेकार के ख्यालात हैं उनके
फिर भी, चहूँ ओर देखो .............. मचा धमाल है यारो ??
...
हर बार की तरह, इस बार भी वो जीत जायेंगे 
बस यही ख्याल बहुतों को कचोट जायेंगे ??? 
... 
भईय्या अपना कमिटमेंट रुपये को लेकर नहीं है 
बस हम, ................... सरकार नहीं गिरने देंगे ? 
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