"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
Wednesday, May 26, 2010
कार्टूनिष्ट अजय सक्सेना "कुमार जलजला" की चपेट में !!!
.... ऎसा लगा कि वह "दिल्ली ब्लागर मिलन" के समय किसी ढाबा से "दाल-रोटी" खा कर निकल लिया ...पर वो निकला कहां ... फ़िर धमक आया है .... इस बार उसने निशाना बनाया है कार्टूनिष्ट अजय सक्सेना को ... उनके ब्लाग की पोस्ट फर्जी ब्लागरों का पुतला दहन...!... पर बे-वजह बिना ब्रेक की गाडी की तरह पिल पडा है वहां पर उसकी टिप्पणी ... लो खुद ही पढ लो भाई ....
15 comments:
- Saleem Khan said...
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gr8!
- May 26, 2010 at 8:17 AM
- Gyan Darpan said...
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ऐसे व्यक्ति को समझाने की कोई जरुरत ही नहीं | बस इनकी टिप्पणी अपने ब्लॉग पर देखो और सीधे डिलीट कर दो जैसा कि ब्लोगर मिलन सम्मलेन में खुशदीप सहगल जी ने सुझाया था |
- May 26, 2010 at 8:51 AM
- M VERMA said...
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ऐसे टिप्पणियों को मिटा देना चाहिये और कदापि उसको हाईलाईट करते हुए पोस्ट नहीं लिखना चाहिये.
- May 26, 2010 at 9:08 AM
- 36solutions said...
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जिन्दाबाद, जिन्दाबाद ................
- May 26, 2010 at 9:26 AM
- चण्डीदत्त शुक्ल-8824696345 said...
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राम-राम!
- May 26, 2010 at 9:32 AM
- मनोज कुमार said...
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यथार्थ लेखन।
- May 26, 2010 at 9:36 AM
- सूर्यकान्त गुप्ता said...
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हरिओम तत्सत्।
- May 26, 2010 at 10:05 AM
- राज भाटिय़ा said...
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हे राम........
- May 26, 2010 at 12:44 PM
- सुरेश शर्मा (कार्टूनिस्ट) said...
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ब्लॉगजगत में कुछ ऐसे घुसपैठिये आ गए हैं जिन्हें एक ही काम है अपनी टिप्पणियों के द्वारा ब्लोगर को हत्सोसाहित करना, अजयजी बेहतर कार्टूनिस्ट हैं इस तरह की टिप्पणियां उनके लिए अनुचित है !
- May 26, 2010 at 3:26 PM
- Udan Tashtari said...
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इग्नोर करते रहिये न!
- May 26, 2010 at 7:08 PM
- Kumar Jaljala said...
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मैंने कल आपको दो टिप्पणियां की थी लेकिन पोस्ट नहीं चढ़ने की डर से आपने मेरी दोनों ही टिप्पणियां हटा दी.. खैर आलोचना सुनने की ताकत हर किसी में नहीं बल्कि बहुत से लोगों में नहीं होती है.
मैंने क्या गलत लिखा था- मैंने तो यही लिखा था कि यदि कोई कार्टूनिस्ट अच्छा नहीं है तो उसे अच्छा नहीं है कहने में क्या बुराई है. अजय सक्सेना ने कल बेमामियों का पुतला दहन करने को लेकर कार्टून बनाया था. आप सब सोचें कि कि आज तक पूरे विश्व में क्या बेनामियों का पुतला दहन हुआ है. पुतला उसी का दहन होता है जिसका नाम होता है. आखिर जो लोग पुतले को जलता हुआ देखेंगे वे यह तो पूछेंगे ही कि आखिर किसका पुतला दहन हो रहा है. यानी कुछ भी बकवास बनाना है तो बनाए जाओ. और ऊपर सुरेश शर्मा टाइप के कार्टूनिस्ट और बोल रहे है कि अजय साहब आरके लक्ष्मण के बाप है. चमचागिरी की हद है. य़ह देश तब तक सही नहीं हो सकता जब तक वह सही को सही और गलत को गलत नहीं बोलना सीख जाता. दोस्त भी यदि गलत है तो उसे सही समय पर सही बात बतानी चाहिए. - May 26, 2010 at 7:15 PM
- डॉ टी एस दराल said...
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जलजला जी , ३१ मई का वादा मत भूल जियेगा । शुभकामनायें ।
- May 26, 2010 at 9:08 PM
- भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...
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श्याम जी, जलजला जी पर नाराज होने की आवश्यकता शायद नहीं है..
- May 26, 2010 at 11:00 PM
- राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...
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हा...हा...हा....हा....हू....हू.....हू.....हू.....हे.....हे.....हे.....हो....हो.....हो....गनीमत है कि किसी ने हमें वहां देखा नहीं....हम भी वहीँ रोशनदान में बैठे सबको टुकुर-टुकुर निहार रहे थे....अगर गलती से भी वहां सबके बीच टपक पड़ते तो सारे कार्यक्रम की वाट ही लग जाती....खैर मुबारक हो सबको यह सम्मलेन.....!!!
- May 27, 2010 at 1:00 AM
- Unknown said...
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श्याम जी बुरा मत मानिए पर आप अपने आप से ही सोचिये की आप क्या कर रहे है हर रोज बस जलजला के नाम का जाप कर रहे है अरे ये सब छोड़ दीजिये अब आपको शोभा नहीं देता
बुरा लगे तो माफी - May 27, 2010 at 6:56 AM
आपके ब्लाग में ऊपर कही दो भैंस शौक फरमा रही है। इन्ही भैंसों में से कोई एक आपकी अक्ल को चरने के लिए ले गई है। जनाब हमने तो सुना था कि पीएम का पुतला जलता है, डीएम का पुतला जलता है। पहली दफा देख रहे हैं कि लोग बेनामी लोगों का पुतला जला रहे हैं। यानी जिनका कोई नाम नहीं है उनका पुतला दहन... और वाह-वाह करने वाले हजरत भी आपको दाद दे रहे हैं... जरा अक्ल तो लगाइए.
आपको अभी पक्का और कायदे का कार्टूनिस्ट बनने में वक्त लगेगा. किसी उस्ताद से शागिर्दी लीजिए। ब्लाग पर तोते-मिट्ठू, कुत्ते-बिल्ली की फोटो चस्पा कर लेने से कोई कार्टूनिस्ट नहीं बन जाता है.