ख्वाब सुनहरें और सार्थक उसमे लोभ-लालच की अति न हो तो जरूर आतुर होना चाहिए और इसका स्वागत भी होना चाहिए ,लेकिन दुर्भाग्य से आज ज्यादातर लोगों का ख्वाब पैसा और सिर्फ पैसा है जो सारे दुखों का कारण है ,उम्दा प्रस्तुती ऐसे ही लिखिए !
पुत्र तू ये डायरी के पन्ने कब तक चिपकाते रहेगा क्या तेरे पास ज्वलंत मुद्दे नही हैं देख संजीत त्रिपाठी कुछ सलाह दे रहा है मान ले वह सकल सूरत से समझदार ब्लागर लग रहा है पापा जी
पुत्र उदय हमारा बेटा पापा जी बनकर घुम रहा है। जब से घर से भागा है तब से इसकी अम्मा बहुत परेशान है। अगर कहीं मिले तो इसे पकड़ कर मेरे पास लाना बहुत नालायक हो गया है। दादा के सामने पापा जी बन रहा है।
16 comments:
बहुत बढिया श्याम भाई
चलें ख्वाबों की बस्ती में
चले अपनी ही मस्ती में
आभार
ख्वाब सुनहरें और सार्थक उसमे लोभ-लालच की अति न हो तो जरूर आतुर होना चाहिए और इसका स्वागत भी होना चाहिए ,लेकिन दुर्भाग्य से आज ज्यादातर लोगों का ख्वाब पैसा और सिर्फ पैसा है जो सारे दुखों का कारण है ,उम्दा प्रस्तुती ऐसे ही लिखिए !
बहुत सुन्दर!१
आपकी डायरी के पन्ने तो कमाल के हैं.
वाकई में डाइरी के पन्ने कमाल के हैं....
बहुत सुन्दर !
Aameen! Aameen ! Aapko zaroor wah khushnuma manzil milegi!
wah................KYVBON KI BASTI....
अपनी नई मंजिल पर
ख्बाबों के साथ
ख्बाबों की बस्ती में !...................बहुत बढिया श्याम भाई
एक सुधार अगर आप करना चाहें तो
यह "ख्वाबों" है मेरे ख्याल से, "ख्बाबों" नहीं।
बाकी है बढ़िया।
शुभकामनाएं
पुत्र
तू ये डायरी के पन्ने कब तक चिपकाते रहेगा
क्या तेरे पास ज्वलंत मुद्दे नही हैं देख संजीत त्रिपाठी कुछ सलाह दे रहा है मान ले वह सकल सूरत से समझदार ब्लागर लग रहा है
पापा जी
@Sanjeet Tripathi
...त्रूटि में सुधार आवश्यक था, ध्यान आकर्षण के लिये ...आभार !!!
@पापा जी
...कुछ ज्वलंत मुद्दे भी छोड जाते तो अच्छा होता !!!
काश आप की ख्बाबों की बस्ती में सच मै इतनी ही सुंदर हो, बहुत अच्छी लगई आप की यह कविता
नई राह मुबारक हो ।
यदि धूम्रपान करते हों तो आज से ही छोड़ दें ।
पुत्र उदय
हमारा बेटा पापा जी बनकर घुम रहा है।
जब से घर से भागा है तब से इसकी अम्मा
बहुत परेशान है।
अगर कहीं मिले तो इसे पकड़ कर मेरे पास लाना
बहुत नालायक हो गया है।
दादा के सामने पापा जी बन रहा है।
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