... हुआ ये कि कल की हमारी समसामयिक पोस्ट पर लगे फ़ोटो को देखकर माननीय रचना जी व माननीय फ़िरदौस खान जी ने तीखी टिप्पणी व्यक्त की ... स्वागत है ... टिप्पणी पढने के बाद हम रचना जी के ब्लाग "नारी" पर पहुंचे ... वहां रचना जी ने "कुछ प्रश्न या मोनोलोग" पोस्ट प्रकाशित की है जो मात्र चार लाईन की है तथा यौन शिक्षा को लेकर है ... वहां पर मैंने एक टिप्पणी दर्ज की है जो इस प्रकार है :-
रचना जी
आप सही कह रही हैं कि शादी का प्रलोभन देकर शारीरिक संबंध बनाना अपराध है !
यह भी सही कहा कि लडके नहीं जानते कि लडकी से शारीरिक संबंध बनाना बलात्कार हो सकता है !
यह कहना भी सही है कि सेक्स की सही शिक्षा के खिलाफ़ समाज उठ खडा होता है !
... सेक्स की सही शिक्षा से आपका तात्पर्य क्या है विस्तार रूप से अभिव्यक्त क्यूं नहीं करतीं ?
... क्या ऊपर आपकी पोस्ट पर लिखीं चार लाईनें जो अपराध व बलात्कार को परिभाषित कर रहीं हैं आपकी नजर में यही सेक्स शिक्षा है ?
...यौन शोषण क्या है,बलात्कार क्या है,अपराध क्या है, ... क्या यही आपकी नजर में यौन शिक्षा है?
.... रचना जी यौन शिक्षा की बात तो कर रही हैं पर पोस्ट पर यौन शिक्षा के नाम पर कुछ नहीं है वहीं पर फ़िरदौस खान जी ने भी सहमती दर्ज की है ... मैं सोचता हूं कि जब दोनों मेरी समसामयिक पोस्ट पर व लगे फ़ोटो पर तीखी टिप्पणी दर्ज कर रही हैं तो क्या यौन शिक्षा के गूढ रहस्यों पर प्रकाश डाल पायेंगी ???
... चलो हम ही शुरु करते हैं यौन शिक्षा की पाठशाला .... आपकी टिप्पणी/अभिव्यक्ति के साथ .... ब्रेक के बाद ....!!!!
पार्ट - १
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"यौन शिक्षा" एक ऎसा विषय जिस पर अभी भी मतभेद जारी हैं, कुछ बुद्धिजीवी वर्ग इसके पक्षधर हैं तो कुछ निसंदेह इसके विरोधी भी हैं ... विरोध भी जायज है क्योंकि ये विषय ही ऎसा है कि कोई भी नहीं चाहेगा कि उसके बच्चों को अनावश्यक रूप से समय पूर्व ही "यौन शिक्षा" से अवगत कराया जाये ... वो इसलिये भी यदि उन्हें समय पूर्व ही "यौन शिक्षा" से शिक्षित करने का प्रयास किया जायेगा तो वे उसे प्रेक्टीकल तौर पर व्यवहारिक जीवन में अमल भी कर सकते हैं जिसके दुष्परिणामों से भी इंकार नहीं किया जा सकता ... यह भी स्वभाविक है कि यह विषय पढने और पढाने दोनों ही द्रष्टिकोण से असहजता को जन्म देता है।
सर्वप्रथम तो मैं यहां यह स्पष्ट करना चाहूंगा कि "यौन शिक्षा" से तात्पर्य "शिक्षा" से है न कि "कामक्रीडा" से ... इसलिये इसमे इतनी भयभीत होने वाली बात नहीं है ... यदि बच्चों को समय रहते शिक्षित नहीं किया जाता है तो भी नासमझी में उठे किसी प्रायोगिक कदम के कारण समस्याओं से जूझना पड सकता है जो अक्सर व्यवहारिक रूप में हमें सुनने मिल जाती हैं ... अक्सर ऎसा देखा व सुना जाता है कि अज्ञानता के कारण भी बच्चे यौन संबंधी ऎसे प्रयोग कर बैठते हैं जिसके परिणाम अहितकार ही होते हैं ।
यहां पर "यौन शिक्षा" से मेरा सीधा-सीधा तात्पर्य सामान्य व्यवहारिक ज्ञान से है जो बच्चों के लिये बेहद जरूरी है जिसका ज्ञान उन्हें होना ही चाहिये ... यह ज्ञान न सिर्फ़ लडकियों को वरन लडकों को भी होना चाहिये वो इसलिये कि "यौन संबंधी समस्याओं" का शिकार कोई भी हो सकता है ... यह ज्ञान "यौन शोषण" से बचाव के लिये ही जरुरी नहीं है वरन यौन संबंधी अपराध बोध के लिये भी आवश्यक है ... शिक्षा व ज्ञान के परिणाम देर-सबेर हितकर ही होते हैं ... यहां पर यह भी स्पष्ट कर देना मैं आवश्यक समझता हूं कि "यौन शिक्षा" अर्थात यौन संबंधी सामान्य व्यवहारिक ज्ञान एक "चाकू" की तरह है जिसका सही इस्तमाल सब्जी काटने या आपरेशन के रूप में किया जाये तो हितकर है और प्रयोग के तौर पर किसी के हाथ या गला काटने में किया जाये तो अहितकर है ।
सर्वप्रथम तो मैं यहां यह स्पष्ट करना चाहूंगा कि "यौन शिक्षा" से तात्पर्य "शिक्षा" से है न कि "कामक्रीडा" से ... इसलिये इसमे इतनी भयभीत होने वाली बात नहीं है ... यदि बच्चों को समय रहते शिक्षित नहीं किया जाता है तो भी नासमझी में उठे किसी प्रायोगिक कदम के कारण समस्याओं से जूझना पड सकता है जो अक्सर व्यवहारिक रूप में हमें सुनने मिल जाती हैं ... अक्सर ऎसा देखा व सुना जाता है कि अज्ञानता के कारण भी बच्चे यौन संबंधी ऎसे प्रयोग कर बैठते हैं जिसके परिणाम अहितकार ही होते हैं ।
यहां पर "यौन शिक्षा" से मेरा सीधा-सीधा तात्पर्य सामान्य व्यवहारिक ज्ञान से है जो बच्चों के लिये बेहद जरूरी है जिसका ज्ञान उन्हें होना ही चाहिये ... यह ज्ञान न सिर्फ़ लडकियों को वरन लडकों को भी होना चाहिये वो इसलिये कि "यौन संबंधी समस्याओं" का शिकार कोई भी हो सकता है ... यह ज्ञान "यौन शोषण" से बचाव के लिये ही जरुरी नहीं है वरन यौन संबंधी अपराध बोध के लिये भी आवश्यक है ... शिक्षा व ज्ञान के परिणाम देर-सबेर हितकर ही होते हैं ... यहां पर यह भी स्पष्ट कर देना मैं आवश्यक समझता हूं कि "यौन शिक्षा" अर्थात यौन संबंधी सामान्य व्यवहारिक ज्ञान एक "चाकू" की तरह है जिसका सही इस्तमाल सब्जी काटने या आपरेशन के रूप में किया जाये तो हितकर है और प्रयोग के तौर पर किसी के हाथ या गला काटने में किया जाये तो अहितकर है ।
पार्ट - २
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यौन शिक्षा का मतलब समझना व समझा पाना उतना ही कठिन है जितना इस शिक्षा के अभाव के कारण जन्म लेने वाली समस्याओं से जूझना कठिन है ... मैं नहीं कहता कि यौन शिक्षा अत्यंत आवश्यक है पर इसे नजर-अंदाज करना भी बुद्धिमानी नहीं है !!
... यह संभव है कि यौन शिक्षा के कारण हमें आधुनिकता का शिकार होना पड सकता है जैसा कि पश्चिमी देशों में हो रहा है ... पर जो पश्चिमी देशों में हो रहा है वह जरुरी तो नहीं कि "यौन शिक्षा" के कारण ही हो रहा हो ... हम यह कैसे कह सकते हैं कि पश्चिमी देशों में जो समस्याएं सामने परिलक्षित हो रही हैं उसका कारण "यौन शिक्षा" ही है ... यह भी तो संभव है कि इन समस्याओं की जडें वहां के पारिवारिक परिवेश के कारण जन्म ले रही हैं !!
... क्या कोई है जो यह कह सकता है कि वहां का पारिवारिक परिवेश ऎसा नहीं है कि "यौन शिक्षा" को भी विफ़ल कर रहा है ... क्या वहां पारिवारिक संस्कार ऎसे नही हैं कि "यौन शिक्षा" भी बच्चों को बिगडने से रोक सके ... जब परिवार कि महिलाएं व पुरुष खुले रूप से व्यावहारिक आधुनिक जीवन जी रहे हों तब क्या संभव है कि कोई भी "शिक्षा" वहां असर कारक हो सकती है ...
... फ़िर क्यॊं हम या वहां के बुद्धिजीवी लोग विकृतियों को "यौन शिक्षा" की कमजोरी मान सकते हैं ... क्या हम यह नहीं कह सकते कि जहां का पारिवारिक व सामाजिक वातारण ही ऎसा हो गया हो कि वहां कोई "शिक्षा" असर कारक हो ही नही सकती !! ... फ़िर हम किसी "यौन संबंधी अनहोनी" को "यौन शिक्षा" के कारण उपजी घटना कैसे मान सकते हैं !!
... जब वहां पति-पत्नी ... माता-पिता ... भाई-वहन ... दादा-दादी ... नाना-नानी जैसे रिश्तों को कोई तबज्जो नहीं दिया जा रहा हो तो बच्चों को स्वछंद रूप से जीने से कोई कैसे रोक सकता है ... जब स्वछंदता की कोई सीमा नही रहेगी तो "यौन संबंधी अपराधों" को जन्म लेने से कैसे रोका जा सकता है ... इन हालात में जब "यौन अपराध" होना तय है तो हम "यौन शिक्षा" को इसका दोषी कैसे मान सकते हैं ???
... यह संभव है कि यौन शिक्षा के कारण हमें आधुनिकता का शिकार होना पड सकता है जैसा कि पश्चिमी देशों में हो रहा है ... पर जो पश्चिमी देशों में हो रहा है वह जरुरी तो नहीं कि "यौन शिक्षा" के कारण ही हो रहा हो ... हम यह कैसे कह सकते हैं कि पश्चिमी देशों में जो समस्याएं सामने परिलक्षित हो रही हैं उसका कारण "यौन शिक्षा" ही है ... यह भी तो संभव है कि इन समस्याओं की जडें वहां के पारिवारिक परिवेश के कारण जन्म ले रही हैं !!
... क्या कोई है जो यह कह सकता है कि वहां का पारिवारिक परिवेश ऎसा नहीं है कि "यौन शिक्षा" को भी विफ़ल कर रहा है ... क्या वहां पारिवारिक संस्कार ऎसे नही हैं कि "यौन शिक्षा" भी बच्चों को बिगडने से रोक सके ... जब परिवार कि महिलाएं व पुरुष खुले रूप से व्यावहारिक आधुनिक जीवन जी रहे हों तब क्या संभव है कि कोई भी "शिक्षा" वहां असर कारक हो सकती है ...
... फ़िर क्यॊं हम या वहां के बुद्धिजीवी लोग विकृतियों को "यौन शिक्षा" की कमजोरी मान सकते हैं ... क्या हम यह नहीं कह सकते कि जहां का पारिवारिक व सामाजिक वातारण ही ऎसा हो गया हो कि वहां कोई "शिक्षा" असर कारक हो ही नही सकती !! ... फ़िर हम किसी "यौन संबंधी अनहोनी" को "यौन शिक्षा" के कारण उपजी घटना कैसे मान सकते हैं !!
... जब वहां पति-पत्नी ... माता-पिता ... भाई-वहन ... दादा-दादी ... नाना-नानी जैसे रिश्तों को कोई तबज्जो नहीं दिया जा रहा हो तो बच्चों को स्वछंद रूप से जीने से कोई कैसे रोक सकता है ... जब स्वछंदता की कोई सीमा नही रहेगी तो "यौन संबंधी अपराधों" को जन्म लेने से कैसे रोका जा सकता है ... इन हालात में जब "यौन अपराध" होना तय है तो हम "यौन शिक्षा" को इसका दोषी कैसे मान सकते हैं ???
पार्ट - ३
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यौन शोषण क्या है ?
यौन शोषण की एक बृहद परिभाषा है किंतु यहां पर बच्चों के यौन शोषण पर प्रकाश डालना आवश्यक है, सामान्य तौर पर लडके व लडकियों दोनो को ही यौन शोषण का सामान्य ज्ञान दिया जाना चाहिये क्योंकि इसके शिकार दोनों ही हो सकते हैं।
यौन शोषण से तात्पर्य बच्चों के गुप्तांगों से छेडछाड करना, बेवजह चिपकना,चूमना, गले लगा लेना, अश्लील बातें करना या फ़िर उन्हें अपने गुप्तांगों के संपर्क में लाना, इत्यादि।
लडकियों का यौन शोषण बडे उम्र के पुरुष या महिला द्वारा किया जा सकता है और लडकों का यौन शोषण सामान्यतौर पर बडे उम्र के पुरुषों द्वारा या न्यूली मैच्योर लडकी द्वारा किये जाने की संभावना रहती है।
यौन शोषण को विकृत मांसिकता का धोतक मान सकते हैं किंतु कभी कभी तत्कालीन उपजी सेक्सुल उत्तेजनाओं के कारण भी यौन शोषण की घटनाएं हो जाती हैं।
यौन शोषण एक दण्डनीय अपराध है बालिग व नाबालिग दोनों ही अपराध के लिये दोषी हो सकते है।
यौन विकास, यौन शोषण, यौन अपराध का सामान्य ज्ञान ग्रोईंग बच्चों को दिया जाना अत्यंत आवश्यक है।
यौन शोषण की एक बृहद परिभाषा है किंतु यहां पर बच्चों के यौन शोषण पर प्रकाश डालना आवश्यक है, सामान्य तौर पर लडके व लडकियों दोनो को ही यौन शोषण का सामान्य ज्ञान दिया जाना चाहिये क्योंकि इसके शिकार दोनों ही हो सकते हैं।
यौन शोषण से तात्पर्य बच्चों के गुप्तांगों से छेडछाड करना, बेवजह चिपकना,चूमना, गले लगा लेना, अश्लील बातें करना या फ़िर उन्हें अपने गुप्तांगों के संपर्क में लाना, इत्यादि।
लडकियों का यौन शोषण बडे उम्र के पुरुष या महिला द्वारा किया जा सकता है और लडकों का यौन शोषण सामान्यतौर पर बडे उम्र के पुरुषों द्वारा या न्यूली मैच्योर लडकी द्वारा किये जाने की संभावना रहती है।
यौन शोषण को विकृत मांसिकता का धोतक मान सकते हैं किंतु कभी कभी तत्कालीन उपजी सेक्सुल उत्तेजनाओं के कारण भी यौन शोषण की घटनाएं हो जाती हैं।
यौन शोषण एक दण्डनीय अपराध है बालिग व नाबालिग दोनों ही अपराध के लिये दोषी हो सकते है।
यौन विकास, यौन शोषण, यौन अपराध का सामान्य ज्ञान ग्रोईंग बच्चों को दिया जाना अत्यंत आवश्यक है।
............. जारी है ............
15 comments:
सार्थक पहल होगी..शुरु करिये.
aadrniy abaai saaheb aadaab hmaare sbhi prkaar ke dhrm grnthon men yon shikshaa kaa mehtvpurn sthaan he or shiv ling ki pujaa isi shikshaa kaa hissa he yon shiksha kaa arth kevl shaaririk snbndhon se nhin lekr yon snbndh kese sthaapit hon kyaa saavdhaaniyaan hon or aantrik yon snmbndhit bimaariyaan hon to ise saamaany lekr iskaa ilaaj krvaayen nhin to sex klinikon or nim hkimon ke naam pr log shupkr lutte rhenge. akhtar khan akela kota rajasthan
आज आपने पोस्ट के साथ कोई फोटो नहीं लगाईं?
@निशांत मिश्र - Nishant Mishra
... फ़ोटो पोस्ट की विषय सामग्री के अनुरुप लगाई जाती है ... इस पोस्ट पर फ़ोटो लगाना क्या जायज होता ??
उदय जी ,चर्चा किसी भी चीज की सार्थकता से होनी जरूरी है और होनी भी चाहिए लेकिन किसी के सार्थक और सही सुझाव को भी सम्मान देना चाहिए / कल रचना जी और फिरदौस जी की टिप्पणियां एक दम सटीक और सही थी और उस विषय को आपको चर्चा के वजाय सम्मान के रूप में प्रस्तुत करना चाहिए था / आप काफी समझदार हैं , लेकिन मुझे लगता है की आप तथ्यों को विवेचना की जगह भावना में या मान अपमान पे ले जाते हैं / मेरा आपसे फिर आग्रह है की आप ऐसा ना करें और टिप्पणियों को सम्मान दें / अगर आपको कोई टिप्पणियां बहुत ही अपमानजनक लगती है तो उसे हटा दें या उस पर अपनी कोई भी राय रखे बिना ब्लोगरों की राय के लिए पोस्ट के रूप में डाल दें / इससे एक सार्थक माहौल की स्थिति बनेगी / आगे आप खुद ही समझदार हैं /
अगर मेरी पोस्ट पढी होती तो ये प्रश्न ही ना उठता उदय क्युकी मैने जिस शिक्षा कि बात कि उसको नेट पर पहला कर पहले से इकठे कूड़ा कबाड़ मे और कबाड़ जोडने कि नहीं हैं मैने बात कि हैं अभिभावक और बच्चो के संवाद की ।
सार्थक पहल!
जबरदस्त हंगामा होने वाला है।
यौन शिक्षा अच्छी है या फ़िर अच्छॆ चरित्र निर्माण की शिक्षा?? यौन शिक्षा का प्रभाव युरोप ओर अमेरिका मै क्या गुल खिला रहा है???
@रचना जी
... आपका कहना है कि मैंने आपकी पोस्ट ही नहीं पढी है यदि पढी होती तो ये प्रश्न ही नही उठता ... आपकी पोस्ट की कुछ पंक्तियां इस प्रकार हैं :-
"... क्यूँ सेक्स कि सही शिक्षा के खिलाफ ये सामज उठ खड़ा होता हैं ???
क्या एक अभिभावक के लिये अब ये जरुरी नहीं होगया हैं कि वो अपने बच्चो को सेक्स सम्बंधित व्यावहारिक ज्ञान भी उसी प्रकार से दे जैसे वो उसको अन्य ज्ञान देता हैं । ..."
...क्या इन पंक्तियों मे आपका तात्पर्य यौन शिक्षा से नहीं है ????
राज भाटिया जी से पूर्णत : सहमत । क्या सचमुच हम तैयार हैं इसके लिए ?
वैसे यौन शिक्षा कितनी दी जाये और कैसे दी जाये , यह बात तो अभी तक डॉक्टर्स भी ठीक से नहीं समझ पाए ।
@honesty project democracy
... लगता है आप रचना जी व फ़िरदौस जी के कंधे पर बंदूक रखकर चला रहे हैं !!!!!
आपने सार्थकता / सम्मान / विवेचना / टिप्पणी / समझदार / भावना / मान अपमान / ब्लोगरों की राय / सार्थक माहौल ... जैसे महत्वपूर्ण शब्दों के साथ राय दर्ज की है ... जरा एक बार पुन: गौर फ़रमा लीजिये ... इन विषयों पर भी चर्चा होगी वो इसलिये मैं आपकी टिप्पणी से पूर्णत: सहमत नहीं हूं !!!
उदय जी ,आपने अपने पोस्ट में रचना जी और फिरदौस जी को संबोधित किया है,इसलिए मैंने इनका जिक्र किया है और पोस्ट पे कमेन्ट किया जा रहा है तो उसकी विषय वस्तु को तो देखकर ही कमेन्ट करना होगा / वैसे इसमें मुझे जो अच्छा लगा मैंने अपना मत व्यक्त किया है / आगे आपका ब्लॉग है और आप इसके मालिक /
ये एक अच्छी शुरूवात होगी ... हां सिक्षा पक्ष मजबूत रहना चाहिए ...
उदय जी आपकी पूरी पोस्ट में ये साफ नहीं है की यौन शिक्षा क्या है.. जो देना ज़रूरी है.. सिर्फ ज़रूरी या गैर ज़रूरी कह देना काफी नहीं.. फ़ायदा या नुक्सान बताना भी काफी नहीं.. ये तो अभिभावकों के ऊपर छोडिये...!!
हम जानना चाहते हैं कि इस के अंतर्गत आप बताना क्या चाहते हैं..दूसरे शब्दों में कहें तो यौन शिक्षा के कोर्स में ऐसा क्या होगा जिसकी जानकारी अन्य किसी स्थान से नहीं होगी..!
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