ब्लागिंग नशा है
हम आदि हैं
रोज लेते हैं मजा
चुस्की की तरह
कभी एक पोस्ट में ही
हो जाता है नशा
और कभी
फ़ट जाता है नशा
एक ही टिप्पणी से
और जब कभी
बढ जाता है नशा
तो भटकते फ़िरते हैं
ब्लाग दर ब्लाग
ठोकते-पीटते टिप्पणियां
किसी को खरी-खोटी
तो किसी को चिकनी-चुपडी
जब उतरता है नशा
तो वापस पहुंचते हैं
अपनी ब्लागरूपी कस्ती पे
और सो जाते हैं
शट-डाउन कर
नशे मे चूर हो कर !
8 comments:
वाह …………………बिल्कुल सही कहा …………………ब्लोगिंग ऐसा ही नशा है।
बिन पिये जो चढ जाये
उसे ब्लोगिंग कहते हैं
और टिप्पणियों से
जो उतर जाये
उसे ब्लोगिंग कहते हैं
ये चढ चढ कर उतरती है
उतर कर ना चढती है
ब्लोगिंग ऐसा नशा है
ब्लोगिंग ऐसा नशा है
बिल्कुल सही कहा …………………ब्लोगिंग ऐसा ही नशा है
अजी लग जाये तो बहुत गहरा नशा है. सच कहा आप ने
बढिया रचना!
सही कहा ।
सब जानते हैं फिर भी खिंचे चले आते हैं ।
ये ऐसा ही नशा है ।
बहुतै नशा है भैया,
कुछ इलाज ढुंढिए,जिससे फ़ोकट की बेगार से बचा जाए।
मस्त रहो मस्ती में,आग लगे बस्ती में
मर्द को दर्द,श्रेष्ठता का पैमाना,पुरुष दिवस,एक त्यौहार-यहाँ भी आएं
uday bhaai khb phchaanaa mere mn ki bhi yhi baat he sch bloging nshaa he bdhaayi ho. akhtar khan akela kota rajsthan
ये नशा कम भी तो नही होता कब्बख़्त ....
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