न टूटा था कभी, न टूटेगा 'उदय'
सफ़र में फ़ासले हैं, गुजर ही जायेंगे ।
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देखना चाहते हैं हम भी, तेरी 'इबादत' का असर
कम से कम, इसी बहाने 'खुदा' के दीदार तो होंगे ।
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मेरी हस्ती का मत पूछो, कहां तक है मेरी हस्ती
सफ़र में फ़ासले हैं, गुजर ही जायेंगे ।
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देखना चाहते हैं हम भी, तेरी 'इबादत' का असर
कम से कम, इसी बहाने 'खुदा' के दीदार तो होंगे ।
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मेरी हस्ती का मत पूछो, कहां तक है मेरी हस्ती
जहां पे पस्त है दुनिया, शुरु होती मेरी हस्ती ।
13 comments:
मेरी हस्ती का मत पूछो, कहां तक है मेरी हस्ती
जहां पे पस्त है दुनिया, शुरु होती मेरी हस्ती ।
कायल हैं हम तो आपकी हस्ती के. सुन्दर शेर
सुन्दर अभिव्यक्ति /
शेर लिख लेने से कोई शेर नहीं हो जाता है. आदमी तभी शेर होता है जब वह अपने भीतर आलोचना सुनने की आदत डाल लेता है... डम-डम डम, निबूंडा-निबूंडा के कांचा-कांचा पका निबूंडा लाई लो...ढफली वाले ढफली बजा...
@Kumar Jaljala
...स्वागत है जलजला जी !!!
@Kumar Jaljala
... जलजला जी ...बुंदेलखंड में एक गीत है ....
"...ओ गोरी घुंघटा न डाल
हम तो चुनरिया से चीन गए हैं ..."
बेहद ही खुबसूरत ........
क्या आशिकाना अंदाज़ है ........ बहुत खूब .......
"देखना चाहते हैं हम भी, तेरी 'इबादत' का असर
कम से कम, इसी बहाने 'खुदा' के दीदार तो होंगे!"
बहुत अच्छे उदय जी.....
जीतना चाहते हो हार कर भी.....
सब अपना बना लिया उस पर वार कर भी...
कुंवर जी,
न टूटा था कभी, न टूटेगा 'उदय'
सफ़र में फ़ासले हैं, गुजर ही जायेंगे ।
क्या बात कही है । सुन्दर ।
लगता है की फांसले तय करके ही उदय हुए हो बधाई
देखना चाहते हैं हम भी, तेरी 'इबादत' का असर
कम से कम, इसी बहाने 'खुदा' के दीदार तो होंगे
वाह उदय जी .. कमाल के तेवर हैं इस शेर में .. बहुत खूब ...
बहुत सुंदर रचना जी, धन्यवाद.
वेसे लगता है इस जलजले को आप से प्यार हो गया है
Aisa gazab likhte hain,ki,dang rah jatee hun!
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