शेर - 83
मोहब्बतें हैं या रंजिशें हैं, कोई समझाये हमें
जब भी उठती है नजर, अंदाज कातिलाना है ।
शेर - 82
जमीं से आसमां तक, नजारे-ही-नजारे हैं
तुम देखो तो क्या देखो, हम देखें तो क्या देखें।
शेर - 81
मंजिलें हैं जुदा-जुदा, तो क्या हुआ
कम-से-कम ‘दुआ-सलाम’ तो करते चलो ।
शेर - 80
मिले हैं राह में, सुकूं से देख लो हमको
‘उदय’ जाने, कहाँ लिक्खीं हैं फिर मुलाकातें।
शेर - 79
अब फिजाएं भी कह रही हैं उड निकल
क्यूँ खडा खामोश है, तू जमीं को देखकर।
मोहब्बतें हैं या रंजिशें हैं, कोई समझाये हमें
जब भी उठती है नजर, अंदाज कातिलाना है ।
शेर - 82
जमीं से आसमां तक, नजारे-ही-नजारे हैं
तुम देखो तो क्या देखो, हम देखें तो क्या देखें।
शेर - 81
मंजिलें हैं जुदा-जुदा, तो क्या हुआ
कम-से-कम ‘दुआ-सलाम’ तो करते चलो ।
शेर - 80
मिले हैं राह में, सुकूं से देख लो हमको
‘उदय’ जाने, कहाँ लिक्खीं हैं फिर मुलाकातें।
शेर - 79
अब फिजाएं भी कह रही हैं उड निकल
क्यूँ खडा खामोश है, तू जमीं को देखकर।
19 comments:
अब फिजाएं भी कह रही हैं उड निकल
क्यूँ खडा खामोश है, तू जमीं को देखकर।
Excellent!
बहुत बढिया शेर हैं आपके ।
बहुत सुन्दर शेर हैं !! ब्लॉग की दुनिया मैं आकर आप जैसी हस्तियों से मिल कर अपने आपको बड़ा गर्वान्वित महसूस करता हूँ !!
ek se badhkar ek sher....
ek se badhkar ek sher....
अब फिजाएं भी कह रही हैं उड निकल
क्यूँ खडा खामोश है, तू जमीं को देखकर.
aur
मोहब्बतें हैं या रंजिशें हैं, कोई समझाये हमें
जब भी उठती है नजर, अंदाज कातिलाना है
waah!bahut khoob!!!!!
Sabhi sher Umda lage!
बेहतरीन शेर...वाह...तालियाँ...
नीरज
आपके सभी शेर उम्दा हैं
मोहब्बतें हैं या रंजिशें हैं, कोई समझाये हमें
जब भी उठती है नजर, अंदाज कातिलाना है ।
बहुत ही कातिलाना अंदाज है आपका। बधाई
मंजिलें हैं जुदा-जुदा, तो क्या हुआ
कम-से-कम ‘दुआ-सलाम’ तो करते चलो ।
मिले हैं राह में, सुकूं से देख लो हमको
‘उदय’ जाने, कहाँ लिक्खीं हैं फिर मुलाकातें।
दोनों ही शेर लाजवाब हैं बहूत ही सुन्दर............ जीवन का दर्शन समेटे हुवे
जमीं से आसमां तक, नजारे-ही-नजारे हैं
तुम देखो तो क्या देखो, हम देखें तो क्या देखें।
बहुत खूब....!!
मिले हैं राह में, सुकूं से देख लो हमको
‘उदय’ जाने, कहाँ लिक्खीं हैं फिर मुलाकातें।
ये भी लाजवाब......!!
मंजिलें हैं जुदा-जुदा, तो क्या हुआ
कम-से-कम ‘दुआ-सलाम’ तो करते चलो ।
behatreen
सभी शेर उम्दा
वाह,बहुत सुंदर!!!
behatreen wichaaro ke aap dhani hai .....tabhi to aap khari khari sunate hai.............badhiya
jamee par paavn jamaa liye ab to uth jaa,iske baad hi to udne ka kaam hai.
jallevichar.blogspot.com
paanch kaa dam./
wah ji wah bahut khoob likhe he paancho she'r/
badhaai,,//
Behatrin likha apne.
मंजिलें हैं जुदा-जुदा, तो क्या हुआ
कम-से-कम ‘दुआ-सलाम’ तो करते चलो ।
-वाह!
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