Monday, July 6, 2009

शेर - 83

शेर - 83
मोहब्बतें हैं या रंजिशें हैं, कोई समझाये हमें
जब भी उठती है नजर, अंदाज कातिलाना है ।
शेर - 82
जमीं से आसमां तक, नजारे-ही-नजारे हैं
तुम देखो तो क्या देखो, हम देखें तो क्या देखें।
शेर - 81
मंजिलें हैं जुदा-जुदा, तो क्या हुआ
कम-से-कम ‘दुआ-सलाम’ तो करते चलो ।
शेर - 80
मिले हैं राह में, सुकूं से देख लो हमको
‘उदय’ जाने, कहाँ लिक्खीं हैं फिर मुलाकातें।
शेर - 79
अब फिजाएं भी कह रही हैं उड निकल
क्यूँ खडा खामोश है, तू जमीं को देखकर।

19 comments:

Smart Indian said...

अब फिजाएं भी कह रही हैं उड निकल
क्यूँ खडा खामोश है, तू जमीं को देखकर।

Excellent!

Asha Joglekar said...

बहुत बढिया शेर हैं आपके ।

Murari Pareek said...

बहुत सुन्दर शेर हैं !! ब्लॉग की दुनिया मैं आकर आप जैसी हस्तियों से मिल कर अपने आपको बड़ा गर्वान्वित महसूस करता हूँ !!

mark rai said...

ek se badhkar ek sher....

mark rai said...

ek se badhkar ek sher....

Alpana Verma said...

अब फिजाएं भी कह रही हैं उड निकल
क्यूँ खडा खामोश है, तू जमीं को देखकर.
aur
मोहब्बतें हैं या रंजिशें हैं, कोई समझाये हमें
जब भी उठती है नजर, अंदाज कातिलाना है

waah!bahut khoob!!!!!
Sabhi sher Umda lage!

नीरज गोस्वामी said...

बेहतरीन शेर...वाह...तालियाँ...
नीरज

अर्चना तिवारी said...

आपके सभी शेर उम्दा हैं

मथुरा कलौनी said...

मोहब्बतें हैं या रंजिशें हैं, कोई समझाये हमें
जब भी उठती है नजर, अंदाज कातिलाना है ।

बहुत ही कातिलाना अंदाज है आपका। बधाई

दिगम्बर नासवा said...

मंजिलें हैं जुदा-जुदा, तो क्या हुआ
कम-से-कम ‘दुआ-सलाम’ तो करते चलो ।

मिले हैं राह में, सुकूं से देख लो हमको
‘उदय’ जाने, कहाँ लिक्खीं हैं फिर मुलाकातें।

दोनों ही शेर लाजवाब हैं बहूत ही सुन्दर............ जीवन का दर्शन समेटे हुवे

हरकीरत ' हीर' said...

जमीं से आसमां तक, नजारे-ही-नजारे हैं
तुम देखो तो क्या देखो, हम देखें तो क्या देखें।

बहुत खूब....!!

मिले हैं राह में, सुकूं से देख लो हमको
‘उदय’ जाने, कहाँ लिक्खीं हैं फिर मुलाकातें।

ये भी लाजवाब......!!

Girish Kumar Billore said...

मंजिलें हैं जुदा-जुदा, तो क्या हुआ
कम-से-कम ‘दुआ-सलाम’ तो करते चलो ।
behatreen

M VERMA said...

सभी शेर उम्दा

विनोद कुमार पांडेय said...

वाह,बहुत सुंदर!!!

ओम आर्य said...

behatreen wichaaro ke aap dhani hai .....tabhi to aap khari khari sunate hai.............badhiya

jamos jhalla said...

jamee par paavn jamaa liye ab to uth jaa,iske baad hi to udne ka kaam hai.
jallevichar.blogspot.com

अमिताभ श्रीवास्तव said...

paanch kaa dam./
wah ji wah bahut khoob likhe he paancho she'r/
badhaai,,//

www.dakbabu.blogspot.com said...

Behatrin likha apne.

hem pandey said...

मंजिलें हैं जुदा-जुदा, तो क्या हुआ
कम-से-कम ‘दुआ-सलाम’ तो करते चलो ।

-वाह!