Thursday, November 29, 2012

टारगेट ...


जिन्हें लोग, 
आज ...
मचल-मचल के, बाप-बाप कह रहे हैं !

अब तो बस 'उदय' 
हमारा ... 
इक ... यही टारगेट है !

कि - 
अब ... 
उनके बाप, ... हमें ... बाप-बाप कहें !!

Wednesday, November 28, 2012

बंठाधार ...


उन्हें चिट्ठी लिखी, और खुद ही डर के फाड़ डाली 
मुहब्बत में 'उदय', ये दौर भी... देखा है हमने ?
... 
आज, बेहद हंसी मौक़ा है 'उदय', ............... दुकां सजाने का 
क्योंकि - कदम कदम पे उनको जीत के फार्मूलों की दरकार है ? 
... 
बेरुखी पे, तुम एतबार मत करना 
'रब' जानता है, मजबूरियां हमारी ? 
... 
वैसे तो उन्ने 'उदय', हमें बदनाम करने का बीड़ा उठाया था 
पर लग रहा है ऐंसे, जैंसे वे खुद का बंठाधार कर रहे हों ??
... 
इक दिन 'उदय', दलालों-औ-भ्रष्टाचारियों की भी मजारें होंगी 
लोग सिद्दत से, ...................... 'हुनर' की दुआएँ मांगेंगे ?

Tuesday, November 27, 2012

इबादत ...


अब देखते हैं 'उदय', कितने 'आम' ....... सरेआम होते हैं 
या फिर, चोरी-छिपे किसी-न-किसी के 'ख़ास' बने रहते हैं ? 
... 
कुछ तो शर्म करो, ........... बेशर्मो 
देश की आबरू सरेआम लुट रही है ? 
...
हे 'खुदा', ............ मेरे उस रकीब को तू सलामत रख 
भले बद्दुआ में सही, उसकी इबादत में मेरा नाम तो है ?  
... 
बात पते की, पते पे पहुँच गई है 
आओ यारो, ..... जश्न मनाएं ?
... 
उफ़ ! भूख से बच्चे बिलख के सो गए हैं 
तनिक देर हो गई तन उसको बेचने में ?

Sunday, November 25, 2012

टेंशन ...


क्यूँ जनाब, क्या हुआ ... 
क्यूँ ...
चिंता के बादल ...
सिर पे ... मंडराये हैं ? 
हुजूर ... बाई !!
कौन-सी ?
 
बोले तो ??
जनाब ... बोले तो ... 
कामवाली ?
नामवाली ?
या दामवाली ? 

हुजूर ... आप भी ... 
नामवाली ...
दामवाली ... के लिए भी ... 
कोई -
टेंशन में रहता है कभी ?

ओह-हो ... यू मीन ... 
कामवाली बाई !!
उफ्फ़ ... 
अब हम ... क्या कहें !!!

Saturday, November 24, 2012

मजार ...


छपने की लालसा, 
कब की हमने 
दफ्न कर दी है 'उदय' 
अब 'खुदा' ही जाने, 
कब वहां -
इत्र ... 
फूल ... 
चादरें ... 
चढ़ाई जाएंगी ???

Friday, November 23, 2012

मारा-मारी ...


एक के बाद एक ...
फिर ... एक के बाद एक ...
इस तरह ... 
एक-एक कर ... सब को जाना है !

और ... तथा ... 
सब के, सब लोगों के, हम सब के - 
गड़े धन ... 
तिजोरी में बंद धन ... 

परिजनों के घरों में -
छिपा के रखे सुरक्षित धन ... 
नौकरों के नाम -
इन्वेस्ट किये गए धन ...

मित्रों के कारोबार में लगाए गए -
काले-पीले-नीले-हरे धन ... 
उधार लिए-दिए गए काले-सफ़ेद धन 
यहीं छूट जाना हैं !

जब ... सब ...
यहीं ..... छूट ही जाना है 
फिर ... ये मारा-मारी 
क्यों ? ............... किसलिये ???

गुनह ...


हिट होने का फार्मूला, बेहद सरल है 'उदय' 
बस, पांवों की धूल.. माथे पे लगाते चलो ?
...
लो, उन्ने अपनी कीमतें तय कर दी हैं 
अब, .......... आगे तुम्हारी मर्जी ???
... 
अब कैसा संशय 'उदय', खुद उन्ने गुनह क़ुबूला है  
क्यूँ न, ..... अब उन्हें, फाँसी पे चढ़ा दिया जाए ?
... 
समय-समय की बात है 'उदय' 
एक समय, हम उनसे बेमौके भी मिल लिया करते थे ? 

Thursday, November 22, 2012

करिश्माई ...


सौदागिरी का हुनर, हम सीख के भी क्या लेते 'उदय' 
क्योंकि - ईमान का सौदा हमसे मुमकिन नहीं होता ? 
... 
कहीं मातम, तो कहीं जश्न के मंजर हैं  
उफ़ ! मौत उसकी, करिश्माई निकली ?
... 
खौफ का साये में, वे सलाम को तो मजबूर थे 'उदय' 
किन्तु सलामती दुआ के लिये,.. उनके हाँथ न उठे ? 

Wednesday, November 21, 2012

अड़चन ...


अब क्या बयां करता, वो ख्वाहिशें दिल की 
जब दो घड़ी के बाद, जहन्नुम नसीब था ? 
... 
जी चाहे है, किसी दिन फुर्सत निकाल के तुम्हें पूरा पढ़ लूँ 
ताकि, ........ फिर कभी, ........ कहीं कोई अड़चन न हो ?
... 
क्या खूब तसल्ली दे रहे हैं वे ........... आज खुद को 'उदय' 
लूट-खसोट जारी रखो, इसी रकम से हम चुनाव जीत लेंगे ? 

Tuesday, November 20, 2012

चंडाली ...


बगैर चक्खे, अब हम ...... ये कैसे कह दें 
कि - तुम कितने खट्टे हो कितने मीठे हो ?
...
गर उन्ने हमें, एक बार भी सिद्दत से रोका होता 
कसम से, क़यामत भी जुदाई से मुंह मोड़ लेती !
... 
उफ़ ! क्या गजब चंडाली छाई है अपने मुल्क में 'उदय' 
माल के सांथ-सांथ चोरों को भी गटक जा रहे हैं लोग !!

Monday, November 19, 2012

वक्त ...


बदलते वक्त ने, 
हमको ...
बदलना चाहा था !

पर, 
हम ... ठहरे रहे !

लो, ... अब ...
वक्त ...
बदल रहा है 'उदय' ? 

Thursday, November 15, 2012

राज ...


गर तुम कहो तो, किसी दिन तुम्हें भी आजमा लें 
ताकि तुम्हें भी एहसास हो जाए, कितने गहरे हो ? 
... 
लगा के आग, अब क्या ढूंढते हो यारा 
राख में दफ़्न हो गए हैं, वो राज सारे ?
... 
मिला है क्या तुम्हें, आज .......... रूठ कर हमसे 
हमने आज के दिन के लिये ही तो तुम्हें चाहा था ?

Wednesday, November 14, 2012

पाबंदी ...


चलो माना 'उदय', कि - उनके स्वीस खाते ..... काले नहीं हैं 
पर, सवाल तो ये है, कि - उनमें जमा धन कितना सफ़ेद है ?
... 
अब हम क्या कहें 'उदय', कि वे, अपनों की नजर में शेर हैं 
मगर अफसोस, कभी वे ..... पिंजड़े से बाहर नहीं दिखते ? 
... 
हम जानते हैं 'उदय', इक दिन, वे भी, उनके जैसे हो जाएंगे 
क्यों ? ... क्योंकि - वे भी ... पहले इनके जैसे ही तो थे ??
... 
ये तुमसे किसने कह दिया, है मस्जिद 'खुदा' का घर 
अम्मी तो कह रही थीं, .... 'खुदा' बसते हैं 'दिल में ? 
... 
निर्दलीय प्रत्याशियों की जीत पे, चुनावी अखाडों में भी पाबंदी नहीं है 'उदय'
पर अब, ..... उन्हें .... कौन समझाये, कि - ..... ये साहित्य नगरी है ???

Tuesday, November 13, 2012

हौसला आफजाई ...


सच ! सितारे जगमगाएँ, लाख चाहे आसमां में 
कल बिन तेरे, अंधेरा.. लग रहा था आंगना में !!
... 
सच ! तुम्हारे आगमन से, घर का अंधेरा छट गया है 
बस, तनिक छू लो हमें, हम भी जगमगा जाएँ फिर !!
... 
जो तू कहे तो रात सारी, 'दीप' बन जलता रहूँ 
बस दो घड़ी तू ठहर जा हौसला आफजाई को ! 

कुबेर ...


वैसे तो रोज बरस पड़ते थे 
छोटी-छोटी बातों पे 
आज ... 
जब ...
कुबेर बन के बरसने की घड़ी है, 
तो ... 
तुम, गुमसुम खड़े हो ???

Monday, November 12, 2012

जगमग-जगमग ...


सच ! आज, तेरे होने बस से 
जगमग-जगमग हो रहा 
है ये जहां 
कल जब तुम नहीं थे ... 
तब, 
सितारों से भरा 
ये आसमां, 
भी ...
मायूस हमको लग रहा था !!

Sunday, November 11, 2012

पहली बधाई ...


सच ! कल.. जो तू कहे, उस रंग में रंग जाऊँ मैं 
बस आज की रात, तू रौशनी बन जा मेरे संग !!
... 
आओ, गले लग कर, मना लें हम दिवाली 
गिले-शिकवों ...... में क्या रक्खा है यारा !
... 
उनकी मुस्कान, दिवाली की पहली बधाई है 
लग रहा है अबकि, हम तर-बतर हो जाएंगे !

Friday, November 9, 2012

कलंकी लाल ...


खूब सोच-विचार के बाद, 
माँ-बाप ने 
नाम उसका 'राम' रखा था 
उनके जेहन में 
इस बात का 
अंदेशा भी नहीं रहा होगा 
कि -
इक दिन ...
बेटा 
बड़ा होकर 
उन्हें और 'राम' 
दोनों को ... 
सरेआम कलंकित करेगा ? 

बे-कसूर ...


जब ख्वाहिशों से जियादा मिल चुका है तुम्हें 
फिर, ख्याली पुलाव क्यूँ पका रहे हो मियाँ ? 
... 
दागी मंत्री-और-अफसर तो उनकी शान हैं 'उदय' 
तुम भी, खामों-खाँ उन पे निशाने साध रहे हो ? 
... 
दोस्तो, कुछ तो रहम करो, वे रहम के हकदार हैं 
अल्टी-पल्टी से, हमने ही उन्हें, सत्ता सौंपी है ?  
... 
अब तो ...... उन्हें, छोड़ दो, बख्श दो, जाने दो 
उन्ने, खुद ही खुद को, बे-कसूर ठहरा लिया है ? 
... 
'उदय' .................. हम झुके नहीं, टूट गए 
गर, झुक जाते, तो रौंदे जा रहे होते अब तक ?

Thursday, November 8, 2012

आम आदमी ...


क्या खूब, अजब-गजब सल्तनतें हैं अपने मुल्क में 'उदय' 
जिधर देखो उधर, मूर्ख, धूर्त, ढोंगी, पाखंडी... सुलतान हैं ? 
... 
सुनो, ... वे ... बेक़सूर हैं, खुद की अदालत में 
अब आगे तुम्हारी मर्जी, जहाँ जाना है जाओ ?
... 
लो, फूंक दिए उन्ने .............. सवा-चार-सौ करोड़ 
खोदा पहाड़ और निकली चुहिया, जय छत्तीसगढ़ !
... 
तू, अपने समुन्दर से, आगोश में डूब जाने दे मुझे 
सच ! जी भर गया है अब इस खुदगर्ज जमाने से !!
... 
चलो, उन्ने कुबूला तो, कि - आम आदमी... आम आदमी है 
जिनके लिए, रहनुमाई के दर, बा-अदब सदा-सदा से बंद हैं ?

Wednesday, November 7, 2012

जिंदाबाद ...


बहुत हुई, बहुत हो चुकी, 
गांधीगिरी दोस्तो 
अब तो, 
चलो, 
उठो, 
उठाएं लट्ठ, 
और ... 
फोड़ दें -
भ्रष्टाचारियों ... 
औ ...
देशद्रोहियों को !
क्यों ? ... क्योंकि - 
अब ... 
भ्रष्टाचारी ... सीधेतौर पर 
दादागिरी पे ...
और ........... देशद्रोही ... 
सीनाजोरी पे ... 
......... उतर आये हैं !
इंकलाब ....... जिंदाबाद !!

Tuesday, November 6, 2012

इल्जाम ...


उन्हें, खुद शौक है, 
कुल्हाड़ी पे, 
पांव .... 
खचा-खच मारने का 
और अब, 
टपकते ...
लहु को देख के, 
इल्जाम ...
हम पे मढ़ रहे हैं ??

दोनों तरफ ...


अलग अलग वक्त की, 
अलग अलग ... 
बातें हैं ... 
अलग अलग ... किस्से हैं !

बातें ..... किस्से ... 
कुछ सच्चे हैं 
तो कुछ ... 
...... अभी कच्चे हैं ? 

फिर भी ..... उनमें तुम 
कभी ... 
उस पार हो ...
तो कभी ... इस पार हो !

पर तुम ... हो जरुर ... 
दोनों तरफ ... 
दोनों तरफ ... 
................ दोनों तरफ !!

Monday, November 5, 2012

सलीका ...


डियर ...... आई एम सॉरी 
आज ... 
पहली ... मुलाक़ात में 
तुम ... कुछ खफा-खफा से हो !

हाँ ... जबकि ... कोशिशें तो ...
तमाम ... की हैं तुमने 
हमें ...
खुश करने की ... पर !

बोले तो ?
बस ... तुम ... तनिक ...
'----का' सीख लो यार 
यू मीन ... सलीका या तरीका ? 

ओह ... यू ... नॉटी ... 
आई मीन ... सलीका ... 
तरीका तो ... 
कोई भी ........... चल जाएगा !!

Sunday, November 4, 2012

सरेआम ...


अब तो जाग जाओ ... 
मूर्खो, 
चाटूकारो, 
दलालो, 
मौकापरस्तो ...
तुम बुद्धिजीवी नहीं हो, 
आला दर्जे के धूर्त हो ? 
क्यों ? ... क्योंकि -
तुम्हारा मुल्क ... 
तुम्हारी ही आँखों के सामने 
सरेआम लुट रहा है ??

Saturday, November 3, 2012

नासूर ...


बात इत्ती-सी, न जाने क्यूँ, हम समझ नहीं पाए 'उदय' 
कि - बदले में ...... उनकी, हमसे कोई चाहत नहीं थी ?
... 
अब क्या कहें, हम उनकी बेरुखी पर 
कल ही तो, वो वादा कर के गए थे ? 
... 
ऐंसे नहीं न सही, वैसे ही सही 
बस, एक बार तुम हाँ तो कहो ?
...
सच ! वक्त रहते, बयां कर दो, तुम जज्बात दिल के 
कहीं ऐंसा न हो, कसक दिल में ... नासूर बन जाए ?

Friday, November 2, 2012

चर्चित लेखक ...


हाँ 'उदय' ... ये सच है कि - 
मैं एक चर्चित लेखक ... 
जीते-जी ... कभी नहीं बन पाऊँगा !

क्यों ? ... क्योंकि - 
मैं किसी 'गुट' में नहीं हूँ ... जब 'गुट' में नहीं हूँ तो - 
मेरी किताबें भी छपना मुश्किल हैं !

और फिर, ... ऐंसे में ...
पुरूस्कार बगैरह ... तो बहुत दूर की बात है 
पर हाँ ... मरने के तुरंत बाद ही ... हो जाऊँगा !!

वो कैसे ?? 
वो ऐंसे ... कि - 
मरने के बाद ... मेरा मुझ पर ... 
जब ... कोई जोर नहीं रहेगा ... 

तब ... कोई धुरंधर 'गुटबाज' ... 
मेरी आत्मा को ...
ससम्मान -
अपने 'गुट' में मिला लेगा, तथा -

गोष्ठियाँ, चर्चाएँ, श्रद्धांजलि सभाएँ ... 
समीक्षाएँ, किताबें, इत्यादि ... 
और मैं, ... इस तरह ... 
एक चर्चित लेखक ... हो जाऊँगा ... 

वाह ... वाह-वाह ... 
क्या बात है ... बधाई ... शुभकामनाएँ !!!

बेरुखी ...


विवादों में बने रहना तो उनका पब्लिसिटी स्टंट है यारो 
क्योंकि - वो जानते हैं, उनके नतीजे सिफर ही होंगे ??
... 
मुश्किल है 'उदय', अब जीत पाना उनसे, ... क्यों ? 
क्योंकि - दिल भी उनका है, धड़कनें भी उनकी हैं !!!
... 
बेरुखी का मतलब ................... बेवफाई नहीं है दोस्तो 
सुनते हैं, कुछ-कुछ बातें, देर से समझ में आती हैं उन्हें ? 

Thursday, November 1, 2012

देर-सबेर ...


पुख्ता इल्जामों पे, अब वो, जवाब दें तो क्या दें 
इसलिये उन्नें, इल्जामों से मुंह मोड़ लिया है ?
... 
कुछ तो रहम करो, तुम ............... उनपे यारो 
भले चोर सही, पर उन्हें जिताया तो हमने ही है ? 
... 
देर-सबेर तमाम दौलतें उनकी, यहीं छूट जानी हैं 
फिर भी, चैन नहीं है उन्हें, ... लूट-खसोट से ??