Saturday, June 28, 2008

बाजार ...

आज के
बदले इस युग मे
बाजार बनी ये दुनिया है !
इंसा का ईमान है क्या ?
इंसा ही खरीदे जाते हैं !!

अस्मिता -
बनी एक वस्तु है !
'शो-केस' मे दिख जाती है !
अस्मिता का कोई मोल नही
बस बिकती है, बस बिकती है !!

रिश्ते-नाते -
सब हुए दिखावे
टूट गए सब दिल के नाते
दौलत से बढ़कर -
अब कोई नहीं !
बस, दौलत ही पूजी जाती है !!

कोई बिकता है -
अपनी मर्जी से, तो कोई
किसी के हांथों -
बिन चाहे बिक जाता है !
आज के
बदले इस युग मे
बाजार बनी ये दुनिया है !!