Friday, January 12, 2018

अभी भी वक्त है ... !

यदि ..
व्यवस्था लचर हो चली हो तो

कुछ इस तरह धक्का मारो व्यवस्था में

कि -
थरथरा जाये ..
नींव भी,

अगर
ऐसा नहीं हुआ तो ..
नहीं किया तो ..

इक दिन .. दब कर मर जाओगे
दम घुट जायेगा ...

अभी भी वक्त है
व्यवस्था के .. भरभरा कर गिरने में .... ?

- श्याम कोरी 'उदय'

Sunday, January 7, 2018

विकल्प ...

बहुत खुश थे .. खुशनुमा हालात थे ...
कल तक ..

कल .. तुमसे मिलने से पहले तक
चेहरे पर मुस्कान .. ताजगी ... उत्साह ....
हर पल .. पल-पल ...
सच ... बनी रहती थी .. ठहरी रहती थी ....
तुम जो थे साथ ..
हर कदम पर .. कदम-कदम पर ...

पर .. कल से ...
तुमसे .. आखिरी मुलाक़ात के बाद ...
मन ... शांत .. खामोश .. व्याकुल-सा ... है

काश ...
तुम .. रुठने ... नाराजगी की ..वजह बता जाते ....
काश ...
तुम .. कोई और विकल्प चुन लेते ... ?

~ श्याम कोरी 'उदय'