Friday, May 25, 2018

मौकापरस्त

वो सियाने हैं इतने
कि -
कभी शेर, कभी भालू, तो कभी खुद को चीता समझते हैं
मगर अफसोस ..
बिच्छू देखकर ... वो बंदर से उछलते हैं !

यही तो होती है फितरत
मौका परस्तों में ...

कभी बाहों में होते हैं
कभी हाथों में होते हैं
कभी चरणों में होते है .... !!

~ उदय 

Tuesday, May 22, 2018

यही जीवन है .... !

वक्त हमेशा हवा की गति के साथ उड़ते रहता है, दौड़ते रहता है ... उस पर किसी का जोर नहीं है किसी का नियंत्रण नहीं है .... यदि हम उसके साथ कदम मिलाने से जरा भी चुके तो समझो हम खो गए, बिछड़ गए ....

बिछड़ने के बाद हम कहाँ होंगे, कितने पीछे होंगे, किसके साथ होंगे .... ईश्वर जाने ... !

इसलिए .. सदा ... वक्त की रफ्तार को पकड़े रहो, उसे अपनी आंखों से ओझल मत होने दो .... जीवन एक दौड़ है और वक्त साँसें हैं, वक्त कदम हैं, वक्त चाल है ...

जिस प्रकार कभी-कभी हवा रुक जाती है अर्थात सन्नाटे का रूप ले लेती है .. तो ठीक इसके विपरीत कभी-कभी तूफान का रूप भी ले लेती है अर्थात बवंडर बन जाती है ...

सन्नाटे और बवंडर जैसे क्षण अक्सर हमारे जीवन में आते -जाते रहते हैं ... इन क्षणों में हमें संयम से काम लेना है ..

संयम और हमारी एकाग्रता हमें हर सन्नाटे व बवंडर से पार ले जाएंगे .. और ....

वक्त .. एक दिन ... हमें हमारी मंजिल पर छोड़ कर .. हमें सैल्यूट मारते हुए आगे निकल जाएगा .... यही जीवन है ..... !

~ उदय 

Monday, May 14, 2018

इम्तहान

पहले कहा उसने
कोई दुख
कोई गम
कोई अपनी परेशानी बता,

फिर कहता है -
छोड़
तू किसी और की, कोई एक अच्छी जुबानी बता

बात हो रही थी अपने 'खुदा' से
इसलिये चुप था

वर्ना, अब तक ... कब का ....
हाल-चाल
ठीक कर चुका होता,

एक हद होती है
तकलीफों में तकलीफ देने की

शायद, चैन छीन कर भी सुकूं नहीं मिला उसको
जो अब
मसखरेपन पर उतर आया है

'खुदा' है
चुप हूँ
ये भी कोई इम्तहान हो शायद ?

~ उदय ~

Sunday, May 13, 2018

शायद .. कोई .. आस-पास है ... !!

प्रेम है, दुआ है, लाड़ है, या डांट है,

कुछ ..
अजीब-सा अहसास है

मन उदास है
शायद .. कोई .. आस-पास है ... !! 

~ श्याम कोरी 'उदय'

Friday, May 11, 2018

भ्रम

राजधानी में
एक बड़े नेता और एक बड़े पत्रकार

दोनों
मुस्कुरा रहे थे
और
एक दूसरे की पीठ थप-थपा रहे थे

देख कर लगा
देश उन्नति में है, विकास की डोर सही हाथों में है

लेकिन, नहीं, शायद, सच्चाई कुछ और थी,

सामने पड़े एक अखबार के पन्ने पर -

तीन किसानों के आत्महत्या,
पांच लोगों के भूख से मरने,
एक मासूम बच्ची के साथ गैंग रेप,
एक दलित को सिर पर चप्पल रख कर घुमाने,

इत्यादि, खबरें ...... सुर्खियां बनीं थीं

उन्नति ... विकास .... मुस्कुराहट ... थप-थपाहट ....
उफ्फ ... शायद .. सब भ्रम है ??

~ श्याम कोरी 'उदय' 

Thursday, May 10, 2018

मोटी किताब

एक मोटी किताब
सुनते हैं, देश चलता है उससे

उसमें लिखा एक-एक शब्द पत्थर की लकीर है
लोगों से
हम तो ऐसा ही सुनते आए थे

पर, अब लगता है, सब झूठ है

आज
सफेद कुर्ते वाले, काले कोट वाले, अपराधी सोच वाले
उसमें ओवरराइटिंग कर दे रहे हैं

उनकी ओवरराइटिंग
कभी-कभी तो
हमें, पत्थर से भी ज्यादा मजबूत लगती है

शायद सब भ्रम था
मोटी किताब की जो कहानी हमने सुनी थी
झूठ थी ???

~ श्याम कोरी 'उदय'

Monday, May 7, 2018

The Ideology

"One Ideology, one Religion, one Nation
no
sorry friends
not possible to me,

Yes, I know, I am not a Butterfly
but
all Flowers are mine,

Yes, I am not a Bird
but
whole sky is mine,

Yes, I am not a God
but
whole world is mine."

~ uday