Friday, January 25, 2013

अस्मत के सौदाई ...


डर ...

सुनो 'उदय' ... उसे कुछ मत कहना !
क्यों ? 
क्योंकि - 
वो ..... बहुत डरी व सहमी हुई है !!

क्यों, ऐंसा क्या हुआ ??
पिछले ... दो-तीन दिनों से ...
उसकी ... व उसके रंग-रोगन की ... 
किसी ने ... तारीफ़ नहीं की है !!

सुनते हैं ... ऐंसा डर है हमें ...
कि - 
कहीं आपकी ... तीखी टिप्पणी से ...
वो .... टूट कर .... बिखर न जाए ???
... 
...
जिस्म की आग...

तुम तो, .... आज .... निरंतर ...
पिघलने दो ... 
टपकने दो ... 
जिस्म की आग... बूँद-बूँद बन के... 
उसने हमें ... बेहद ...
तपाया है ... 
जलाया है ... बरसती रात में भी ? 
और ...... ठिठुरती ठण्ड में भी ??
... 
...
पैसा ... हाँथ की खुशबू है !!!

न जाने ... किसने ? ... कब ?? ... क्यों ???
पैसों को ... हाँथ का मैल कहा था ... कहा है ????
वह मूर्ख था ? 
धूर्त था ?? 
या महाविद्वान था ???
यह सवाल ... बार बार ... मेरे जेहन में गूँज रहा है !!!

क्यों ? 
क्योंकि - 
पैसा ... हाँथ का मैल ... हो ही नहीं सकता !
वो तो ... अर्थात पैसा तो ... 
सदा-सदा से ... सदियों से ... युगों युगों से ... 
हाँथ की ... खुशबू रहा है !!

जब तक ... जब जब ... हाँथों में ... 
पैसारुपी ... खुशबू रही है ... 
तब तब ... तब तक ... लोगों ने ... ज़माने ने ... 
हाँथों से ... हाँथ मिलाया है ... हाँथों को चूमा है ... 
और तो और ... 
हाँथों को ... अपने माथे से भी लगाया है !!
दोस्तों ... यारों ... मित्रों ... 
पैसा ... हाँथ का मैल नहीं ... हाँथ की खुशबू है !!!
... 
...
...
बात निकली है तो अब तुम मेरी भी सुन लो 
अस्मत के सौदाई भी कल पुरुष्कृत होंगे ??
... 
गणतंत्र की शान-औ-शौकत में डूबा है वतन 
मगर अफसोस,... अब भी कहीं गुलामी है ?
... 
शेर की खाल में उन्ने खूब छुपाया था खुद को 
पर, देर तक जात छिपती कहाँ है भेड़िये की ?
... 
अब तुम इतने भी सिकुड़ के मत बैठा करो 
कि..... चहूँ ओर से देखन में सपाट लगो ?
... 
आओ चलें, गंगा में... एक डुबकी लगा लें 
सुनते हैं, तमाम पाप धुल जायेंगे अपने ?
... 
बुझदिलों की सियासत में, बहादुरों को नमन 
कुर्बां हुए जवानों.... जय हिन्द-जय हिन्द ??
... 
उनकी भिखमंगाई की.... हद तो देखो 'उदय' 
करोड़ों जेब में हैं, फिर भी कटोरा हाँथ में है ?
... 
बगैर कुछ, बोले-सुने..... वे मुस्कुराए हैं 
लगता है, क़यामत की घड़ी नजदीक है ?
... 
लो, अब उन्हें भी, उपाधी बाँटने का जिम्मा मिल गया है
जिनकी खुद की 'उदय', ...... कहीं कोई औकात नहीं है ? 
... 
हम पे,.. बेवफाई के इल्जाम पुराने हो गए हैं 
गर, कुछ और है शिकवा-शिकायत तो कहो ? 
... 
ऊँची शख्सीयत हो के भी उसके हाँथ मेरे कंधे तक नहीं पहुँचे 
सुनते हैं, जब जब उठे हैं हाँथ उसके .... तो पांवों तक उठे हैं ? 
... 

Friday, January 18, 2013

आबरू ...


क्राईटेरिया ...
सुनो 'उदय'... जा के... कह दो सब से ... 
सिर्फ ... 
कुत्ते-औ-कुकुरमुत्ते ... ही हैं ... 
अपने .... क्राईटेरिया में !
सिबाय उनके ... 
किसी और को, ... 
बादशाहत ............ नसीब नहीं होगी ??
... 
मन ...
जी चाहता है ...
तुम्हें ..... खोलने का ... 
प्रयास करूँ !
क्यों ? 
क्योंकि - 
तुम... बेहद अनोखे हो !!
सिर्फ ... टटोल कर ... 
मन नहीं भरता ??????
...
रफूचक्कर ... 
जब तक ................ टन्न-
टन्न ... 
की आवाज ......... आती रही ...
सब ... टन-टनाते रहे ...
बाद उसके ... जब ...
भुस्स ... फुस्स ... फुस्स ... 
भुस्स ... 
होने .......... लगी ...........
तो ... सब के सब .....
हुए ....... हो गए ....... रफूचक्कर ??
... 
...
... 
वजह कुछ तो जरुर होगी 'उदय', आज उनके अजनवीपन की 
वर्ना, देखते ही बांहों में सिमटने से रोक नहीं पाते थे खुद को ?  
... 
उनका, जब मन करता है.......... तब ईमान बेच देते हैं 
शायद, यह एक वजह हो, आज उनकी ऊँची कीमतों की ? 
... 
धड़ यहाँ पे छोड़ के, तुम सर उठा के ले गए 
देखना इक दिन वही, काल बन मंडराएगा ? 
... 
न जाने,... क्या घड़ी थी ... जो अजनबी बना गई हमको 
वर्ना, ... हर घड़ी ... उनकी धड़कनों में नाम था अपना ? 
... 
ऐंसा सुनते हैं 'उदय', कि - सरकार होश-औ-हवाश में है 
गर कोई है, ........................ तो जनता मदहोश है ? 
... 
सड़क पे आबरू उनकी... बिखरी पडी है 
फिर भी कहते हैं 'उदय', कि पाक हैं वो ? 
... 
कोई, पाक हो के भी नापाक है 
हे 'खुदा', रहम कर बन्दों पर ? 
... 
यकीनन यकीं मानिए, कोई और नहीं है तुम्हारे सिबा 
पीछे.... किसी साये को देख के तुम्हें भ्रम हुआ होगा ? 
... 
बात उनकी, इतने भी पते की नहीं है 'उदय' 
कि - उस पे,........ टिकट लगाया ही जाए ?
... 

Friday, January 11, 2013

पुलिस अंकल ...


सख्त क़ानून ...

सख्त क़ानून से 
उन्हें परहेज नहीं है 'उदय' 
डर तो इस बात का है 
कि - 
कहीं कल 
खुद उनकी बारी न आ जाये 
फांसी पे चढ़ जाने की ?
...
कुकुरमुत्ते ...

जैसे ... कुकुरमुत्ते ऊग जाते हैं 'उदय' 
ठीक वैसे ही ... 
आज ... उन्ने ... 
अभी-अभी ... 
शब्द-रूपी ... कुछ पौधे उगाये हैं 
आज उनकी ... खूब ...
जय-जयकार ... वाह-वाही ... होगी ? 
...
पुलिस अंकल ... 

पुलिस अंकल ... 
आप इतने क्रूर क्यूँ हैं ? 
क्या आपके घर में ... 
बहु ... 
बेटी ... 
बहन ... 
पोती ... 
नातिन ...... नहीं हैं ??
... 
... 
... 
बांहों में, उनके सिमटने का एहसास हुआ ही था 'उदय' 
कि - ठीक तभी.........................क़यामत आ गई ?
... 
जाते-जाते, आज उन्ने मुड़ के मुस्कुराया है 
अब 'खुदा' ही जाने, .......... मंसूबे उनके ? 
...
मुश्किलों से लड़ने का भी, अपना एक मजा है 'उदय' 
हार-जीत तो ..................... 'बाबा' के हाँथ में है ? 
... 
गर होता 'उदय', जेहन में उनके, गुलामी का खौफ 
तो कदम उनके,..... आज इतने बेख़ौफ़ नहीं होते ? 
...