Monday, July 27, 2009

शेर - 100

शेर - 100
सुकूं से बैठकर, क्या गुल खिला लेंगे
चलो दो-चार हाँथ आजमा लें हम ।
शेर - 99
अगर है तो, बहुत कुछ है
नहीं तो, कुछ नहीं यारा ।
शेर - 98
अब नहीं लिखता किताबें, तेरे इरादे भाँप कर
है कहाँ फुर्सत तुझे, पुस्तक उठा के देख ले ।
शेर - 97
अब भी क्यों रोते हो मुफलिसी का रोना
हम जानते हैं, दौलतें चैन से तुम्हें सोने नहीं देतीं।
शेर - 96
चलो आए, किसी के काम तो आए
किसी दिन फिर, किसी के काम आएंगे ।
शेर - 95
फूल समझ हमने, उन्हें छुआ तक नहीं
वे काँटे समझ हमको, सहम कर गुजर गये।
शेर - 94
चलो उमड जाएँ, बादलों की तरह
सूखी है जमीं, कहीं तो बारिस होगी ।
शेर - 93
‘रब’ भी मेरी खताएँ माफ कर देता
गर मैने झुककर सजदा किया होता।
शेर - 92
मेरी रातें भी दिन जैसी ही हैं
फर्क है तो , तनिक अंधेरा है ।

Monday, July 20, 2009

शेर - 91

शेर - 91
कैसे बना दूँ गैर तुझे, एक शुक्रिया अदा कर
तेरा ही शुक्रिया है, हमें जीना सिखा दिया।
शेर - 90
तेरे हम-कदमों से, मंजिलें आसां हैं
तेरे साथ होने से, जिंदगी खुशनुमा है।
शेर - 89
‘उदय’ तेरी ही दोस्ती है, जो हमें जिंदा रखे है
मरने को, तो हम, कब के मर चुके हैं ।
शेर - 88
वक्त ने न जाने क्यूं, बदल दिया हमको
वरना हम थे ऎसे, कि खुद के भी न थे ।
शेर - 87
‘उदय’ कहता है मत पूछो, क्या आलम है बस्ती का
हर किसी का अपना जहां, अपना-अपना आसमां है।

Monday, July 13, 2009

शेर - 86

शेर - 86
कभी राहें नहीं मिलतीं, कभी मंजिल नहीं मिलती
ये जिंदगी के सफर हैं, कभी हमसफर नहीं मिलते ।
शेर - 85
तुम्हे हम चाहते हैं, न जाने क्यों ये चाहत है
पर हमको है खबर, मिटटी पे पानी की इबारत है।
शेर - 84
जब चंद लम्हों में, मिट जाए सदियों की थकान
फिर रात के ठहरने का, इंतजार किसको है।

Monday, July 6, 2009

शेर - 83

शेर - 83
मोहब्बतें हैं या रंजिशें हैं, कोई समझाये हमें
जब भी उठती है नजर, अंदाज कातिलाना है ।
शेर - 82
जमीं से आसमां तक, नजारे-ही-नजारे हैं
तुम देखो तो क्या देखो, हम देखें तो क्या देखें।
शेर - 81
मंजिलें हैं जुदा-जुदा, तो क्या हुआ
कम-से-कम ‘दुआ-सलाम’ तो करते चलो ।
शेर - 80
मिले हैं राह में, सुकूं से देख लो हमको
‘उदय’ जाने, कहाँ लिक्खीं हैं फिर मुलाकातें।
शेर - 79
अब फिजाएं भी कह रही हैं उड निकल
क्यूँ खडा खामोश है, तू जमीं को देखकर।