Tuesday, July 31, 2018

दिल्ली से ...

डसने को आतुर, व्याकुल
कुछ नेता
रोज .. फुफकार रहे हैं
दिल्ली से ... ,

साँप नहीं, पर
साँपों से भी ज्यादा जहरीले उनके मंसूबे हैं

कब .. डस लें, लील लें
चितकार रहे हैं

बचो ..
छिपो ..
भागो ..
उनकी आँखें .. तुम पर ही टिकी हुई हैं ... !

~ उदय

Monday, July 30, 2018

रोजी-रोटी

खोपड़ी किस की है
दलित की, पंडित की, ठाकुर की या बनिया की
क्या फर्क पड़ता है

वैसे भी ...
कौनसा हर पंडित विद्वान होता है
और हर ठाकुर बहादुर

खैर .. छोड़ो ...
हम तो सभी को विद्वान और बहादुर मानते हैं

और वैसे भी
कौनसा हमें विद्वानी और बहादुरी से करतब दिखाना है
हमें तो खोपड़ी से दिखाना है

इसलिये
लगाओ एक काला टीका खोपड़ी पे
लटकाओ नींबू और हरी मिर्च
फूँको लोभान

और ..
शुरू करो डमरू की डम-डम
आखिर ... रोजी-रोटी का सवाल .... !!

~ उदय

Sunday, July 29, 2018

कीमत

अभी अलट-पलट के टटोल रहे हैं
परख रहे हैं

सिक्का ..
कहीं खोटा तो नहीं है,

फिर
बाजार में उछाल देंगे

और .. वसूल लेंगे
कीमत मेरी !!

~ उदय

Friday, July 27, 2018

जलो मत बराबरी करो

लघुकथा : जलो मत बराबरी करो
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एक दिन .. क्षेत्र में एक नये-नवेले लंगोटी बाबा के बढ़ते प्रभाव से चिढ़कर सारे बाबा .. बाबाओं के बाबा - "बाबा अमरकंटक" के पास पहुँचे .. और लंगोटी बाबा की बुराई करने लगे ...

"बाबा अमरकंटक" 2-3 मिनट में ही सारी कहानी समझ गए .. और बालक हंटरधारी को बुलवाया ... तथा आदेश दिया कि इन सब को लाइन से खड़ा कर 10-10 हंटर का प्रसाद बाँटा जाए ....

हंटर खाने के बाद सभी बाबा तिलमिलाए हुए .. मुंह लटका कर खड़े हो गए ... तब "बाबा अमरकंटक" बोले .. अबे गधो ... धरती के बोझो .... तुम सब लोग शौक से बाबा बने हो .. और उसे मजबूरियों ने बाबा बना दिया है ....

तुम लोग 10-10, 20-20 साल की बाबागिरी में भी अभी उस लेबल तक नहीं पहुंचे हो जहाँ वो 1 साल में ही पहुँच गया है ... अगर तुम उसकी लंगोटी तक पहुँचने की कहानी ....

और लंगोटी से यहाँ तक पहुँचने की कहानी सुनने के इच्छुक हो तो ... मुझे एक बार फिर से बालक हंटरधारी को बुलाना पड़ेगा और इस बार 100-100 हंटर का प्रसाद .... बोलो क्या बोलते हो ???

100-100 हंटर का नाम सुनते ही .. सभी बाबा ... प्रणाम करते हुए जाने की मुद्रा में खड़े हो गए .... बाबाओं के बाबा - "बाबा अमरकंटक" समझ गए कि .. इनके लिए आज इतना डोज (खुराक) पर्याप्त है .. किन्तु ...

अपने-अपने गंतव्य की ओर रवाना करने से पूर्व ... "बाबा अमरकंटक" ने .. सब के कान में सफलता का एक अद्भुत व बेहद प्रभावशाली मंत्र फूँक दिया .. "जलो मत बराबरी करो" .... !!

~ उदय

Thursday, July 26, 2018

चड्डीधारी

लघुकथा : चड्डीधारी
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एक बार ... बालक नरेंद्र पर वक्त की मार ऐसी पड़ी कि उसका सब कुछ तबाह हो गया ... घर-द्वार बिक गया ... पत्नी अपनी चुड़ैल मां की बातों में आकर मायके चली गई ... कर्जदारों ने पेंट-शर्ट तक उतार ली ... इधर-उधर सोते-जगते भटकते-भटकते बनियान भी चिथड़े-चिथड़े होकर गिर गई ....

चड्डी पहने दर-दर की ठोकरें खाते नरेंद्र पर ..

पास से गुजर रहे 'बाबा' की नजर पड़ी ... बाबा ने कहा - बालक तेरा सब कुछ लुट गया है .. क्या अब भी तुझे कुछ आस है ? ... यदि नहीं .. तो ... ले पकड़, ये एक मुट्ठी राख .... इस चड्डी का त्याग कर अर्थात चड्डी को निकाल फेंक और राख मल ले बदन पर .... और चल, मेरे साथ हो ले .....

बालक नरेंद्र .. पत्नी व घर-द्वार रूपी यादों से .. अर्थात माया व मोह रूपी ख्यालों से बाहर निकला तब तक 'बाबा जी' अदृश्य हो चुके थे ... और मुट्ठी में बंद राख ने भी कोयले का रूप ले लिया था .... वहाँ एक आकाशवाणी गूँज रही थी .. "जब चड्डीधारी का ये हाल है तो दूसरों का क्या होगा" .... !!

~ उदय

Wednesday, July 25, 2018

तीन इक्के

जिन्दगी भर .. हम ...
दाँव लगाते रहे
कभी जीतते, तो कभी हारते रहे
पर,
कभी नुकसान में नहीं रहे

तमाम उम्र ... एक अफसोस-सा रहा
कि -
कभी तीन इक्के नहीं आये

पर,
कल आये .. हाँ ... तीन इक्के ....
लेकिन
हम हार गए
और,
दुक्की-तिक्की-पंजा .. पत्तों वाला जीत गया

मुफ़लिस चाल थी ..
मुफ़लिस में .. छोटे पत्ते बड़े होते हैं
और .. बड़े छोटे .... !!

~ उदय

Sunday, July 22, 2018

खुबसूरती

सुनो मैडम ..
आपकी खुबसूरती की वजह

कभी लिपस्टिक
कभी पावडर
कभी काजल
कभी बिंदिया
तो कभी चकमक ड्रेस होती है
वर्ना ....

खैर ... छोड़ो ....
ये तो आप भी जानती हैं
कि -
आपका आईना
कभी आपसे झूठ नहीं बोलता ?

~ उदय

Saturday, July 21, 2018

ब्यूटीफुल गर्ल

चलो आओ फिर से एक नया ख्वाब देखें
इस बार ब्यूटीफुल गर्ल का नहीं
टैलेंटेड गर्ल का देखें

क्यों ?

क्योंकि -
ब्यूटीफुल गर्ल सिर्फ ब्यूटीफुल होती है
देख चुके हैं
आजमा चुके हैं
सह चुके हैं

सुना है
कि -
टैलेंटेड गर्ल ज्यादा ब्यूटीफुल होती है
इसलिए
अब उसकी चाह है !

~ उदय

Thursday, July 19, 2018

दोस्त

बहुत होनहार है, दोस्त मेरा
सब समझता है
कब मुझसे मिलना है, कब नहीं

उसे चतुर कहना, चालाक कहना
अच्छा नहीं होगा
क्योंकि
वह दोस्त है मेरा

मुझे जब उसकी चाह होती है तब
वह ढूंढे भी नहीं मिलता है

पर
वह अपनी जरूरत पर
मुझे ढूंढ लेता है !!

~ उदय

Saturday, July 14, 2018

तिकड़म

कभी आपको
खुद रास्ता .. खुद सीढ़ी ..
तो कभी खुद पीठ बनना होगा,

वर्ना
पिछड़ जाओगे .. बिछड़ जाओगे ..
किसी से,

ये मायावी संसार है
यहाँ
तिकड़म, तीन-पांच-तेरह, पांच-तीन-अठारह ..
बहुत जरूरी हैं !

~ उदय

Saturday, July 7, 2018

कर्म और भाग्य

लघुकथा : कर्म और भाग्य
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एक दिन ... 'कर्मदेव' और 'भाग्यदेव' .... इस बात पर आपस में बहस करते हुए कि - मैं बड़ा हूँ, मैं सर्वेसर्वा हूँ, मैं महान हूँ, इत्यादि तर्कों के साथ तू-तू मैं-मैं करते हुए  'महादेव' के पास पहुँचे ...

'महादेव' समझ गए कि - समस्या अत्यंत गंभीर है तथा तर्कों के माध्यम से इन्हें समझा पाना कठिन है इसलिए ...

'महादेव' ने उन्हें पृथ्वीलोक भेजते हुए कहा कि - आप दोनों सभी मनुष्यों के कर्मों और भाग्यों का अध्ययन कर के आओ, फिर मैं तुम्हें बताऊँगा कि तुम दोनों में ज्यादा महान कौन है ....

यह कहते हुए 'महादेव' अंतरध्यान हो गए तथा 'कर्मदेव' और 'भाग्यदेव' पृथ्वी की ओर कूच कर गए ... 'कर्मदेव' और 'भाग्यदेव' का पृथ्वी पर ... अभी तक शोध जारी है कि दोनों में ज्यादा महान कौन है .... ?

~ उदय

Thursday, July 5, 2018

मायानगरी

ये मायानगरी है दोस्त
यहाँ
सब भ्रम है
धोखा है
छल है ...

खाली हाथ आये थे
खाली हाथ ... .... जाना है

ये तिलस्म, ये खजाने, ये कारीगरी
सब यहीं की है

पर, हम,
यहाँ के नहीं हैं .... ?

~ उदय

Tuesday, July 3, 2018

गड़े मुर्दे

हम गड़े मुर्दे खोदेंगे ...
उखाड़ेंगे

नीबू-मिर्ची का भोग लगाकर
उन्हें जगायेंगे

फिर आधा लाल और आधा काला टीका लगाकर
हम अपनी मर्जी के माफिक
उनकी सवारी निकालेंगे

कुछ लोग ...
यह देखकर ड़र जाएंगे, घर से बाहर नहीं निकलेंगे
और जो निकलेंगे ..
वे डरकर नतमस्तक हो जाएंगे

इस तरह, हम, अपना मकसद साध लेंगे
हम जीत जायेंगे .... !!

~ उदय