Tuesday, August 31, 2010

दोस्त-दुश्मन

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क्या करें अफसोस अब हम, दोस्तों की चाल पर
कहने को तो दोस्त थे, पर आज वही दुश्मन निकले

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Monday, August 30, 2010

रश्म-ओ-रिवाज

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अजब रश्म--रिवाज हैं तेरे
चाहते भी रहो, और खामोश भी रहो

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झूठा

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वो भी सच था, मैं भी सच था
गल्त क्या था, जब सब झूठा था

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Sunday, August 29, 2010

हतप्रभ

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जब से देखा है आईना, चहरे से सुकूं गायब है
शायद आज वह खुद पे हतप्रभ हुआ है

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Saturday, August 28, 2010

मोहब्बतें


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फर्क इतना ही है यारा, तेरी-मेरी मोहब्बत में
कि तू खामोश रहती है, और मैं कुछ कह नहीं सकता

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Friday, August 27, 2010

मंदिर-मस्जिद

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मंदिर-मस्जिद तो हम बहुत बना लेंगे
पर दिलों में जगह ईश्वर को हम कब देंगे

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Wednesday, August 25, 2010

ॐ पर्वत


हाल-ए-वतन

नक्सलियों -
ने कत्ले-आम,
तो आतंकियों ने -
धमाकों से
गाँव-गाँव,
शहर-शहर को
खून से -
लत-पथ कर दिया

रही-सही कसर को
भ्रष्टाचारियों
ने -
पूरा कर दिया
आम इंसान का
अपने ही
मुल्क
में -
जीना दूभर कर दिया

Monday, August 23, 2010

रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाएं



प्रेम का बंधन है राखी, दिलों में धड़कन है राखी
प्रेम-स्नेह का पर्व है राखी, रक्षा का बंधन है राखी



Sunday, August 22, 2010

मंदिर-मस्जिद

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ईश्वर को रास आते नहीं, अब मंदिर-मस्जिद
उसे तो बस, तुम्हारे दिलों में अब जगह चाहिये

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Saturday, August 21, 2010

तौबा तौबा

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इक पल में, हज करके मैं बन गया हाजी
दूजे पल जब खुदा ने लिया इम्तिहां, ... तौबा तौबा

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Friday, August 20, 2010

खुदा का रास्ता बेहद जुदा है !

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मैं मानता हूं, खुदा सचमुच मेरा खुदा है
पर उसके रास्ते पर चल पाना बेहद जुदा है

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Thursday, August 19, 2010

आजाद करें ...

चलो आजाद करें, बढ़ो आजाद करें
भ्रष्टतंत्र के कीड़ों से, लोकतंत्र को आजाद करें !

चलो आजाद करें, बढ़ो आजाद करें
भय-दहशत के शूरमाओं से, जनतंत्र को आजाद करें !

चलो आजाद करें, बढ़ो आजाद करें
झूठे,फरेबी, मक्कार इंसानों से, देश को आजाद करें !

चलो आजाद करें, बढ़ो आजाद करें
अमीरों के चंगुल में फंसे गरीबों को आजाद करें !

चलो आजाद करें, बढ़ो आजाद करें
मौकापरस्त जननेताओं से जनता को आजाद करें !

चलो आजाद करें, बढ़ो आजाद करें
आधुनिक संस्कृति में फंसे, सु-संस्कारों को आजाद करें !

चलो आजाद करें, बढ़ो आजाद करें
भेडियानुमा आँखों से, लोक-लाज को आजाद करें !

चलो आजाद करें, बढ़ो आजाद करें
धार्मिक सरहदों में फंसे भाईचारे को आजाद करें !

चलो
आजाद करें, बढ़ो आजाद करें !
बोली-भाषा, रंग-रूप, आचार-विचार, से खुद को आजाद करें !!

Wednesday, August 18, 2010

ब्लागिंग बाजार

चल रहे हैं
जो सिक्के
ब्लागिंग बाजार में,
वही असली हैं

फिर
भले चाहे
वो खोटे,
या चमड़े के हैं,

चलने
वालों की
जय जय
तो चलाने वालों की
जय जय

जय जय ब्लागिंग !

टेलीविजन कार्यक्रम के दौरान रिपोर्टर व नेता के बीच हुई मारपीट !

टेलीविजन न्यूज चैनल्स के रिपोर्टर, एंकर, सब-एडिटर, एडिटर आप सभी महानुभाव ज़रा संभल कर ... अरे संभलने से मेरा तात्पर्य यह है की आये दिन आप लोग चर्चा-परिचर्चा, साक्षात्कार प्रायोजित करते रहते हैं कहीं ऐसा न हो कि जो ब्राजील ... ब्राजील में एक साक्षात्कार कार्यक्रम के दौरान एक नेता ने रिपोर्टर को पीट डाला ... जब नेता जी गुस्से में नजर आये तो कार्यक्रम को बीच में ही ब्रेक कर दिया गया ... हुआ दरअसल यह कि रिपोर्टर ने जब नेता जी से प्रश्न-पर-प्रश्न दागना शुरू किये तो नेता जी उटपटांग प्रश्नों को सुनकर गुस्से में आ गए और आव देखा न ताव सीधे रिपोर्टर पर पिल पड़े ... स्थिति मारपीट तक पहुँच गई ... दोनों ने आपस में एक-दूसरे को पीट डाला ... इस बात की स्वीकारोक्ति बाद में रिपोर्टर ने की तथा नेता के विरुद्ध शिकायत भी दर्ज कराई गई ... भैया ये तो रही ब्राजील की बात अपने देश में भी अक्सर ऐसी स्थिति निर्मित हो ही जाती है ... पर अब ज़रा संभल कर रहने की जरुरत है कहीं किसी दिन किसी लाइव प्रोग्राम में ही ऐसी स्थिति निर्मित न हो जाए और दर्शक एक नए कार्यक्रम का भरपूर आनंद उठा लें !!!

शेर : आजादी

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कुछ लोगों ने आजादी को खिलौना बना दिया
खेलते-खेलते आजादी को, उठा-उठा कर पटक दिया

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Tuesday, August 17, 2010

शेर : तिरंगे

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क्या करूं तुझे अब सलाम, तिरंगे
खून से सने हाँथ भी तुझे, अब फहरा रहे हैं

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... नहीं चाहिए हमें आजादी !

आजादी पर्व की पूर्व संध्या पर देश में बढ़ रहीं ... नक्सली, आतंकी, भ्रष्टाचारी, जमाखोरी, कालाबाजारी, मिलावटखोरी, आपराधिक इत्यादि समस्याओं के समाधान को लेकर दिल्ली में एक सर्वदलीय बैठक का आयोजन हुआ ... बैठक में केन्द्रीय व प्रांतीय मंत्रिमंडल, राष्ट्रीय व क्षेत्रीय दलों के प्रमुख कर्ता-धर्ता शामिल हुए ... बैठक में समस्याओं के समाधान पर चर्चा शुरू हुई, उपस्थित सभी कर्णधारों ने समाधान के लिए आम सहमति जाहिर की ...

... समाधान कैसे हो, क्या उपाय हों, यह किसी को नहीं सूझ रहा था सभी मौन मुद्रा में समस्याओं से समाधान का उपाय सोच रहे थे तभी अचानक एक प्रकाश बिम्ब के साथ साक्षात इन्द्रदेव प्रगट हुए ... सभी आश्चर्यचकित हुए ... इन्द्रदेव ने कहा - आप सभी लोग एक ही समस्या के समाधान पर चिंतित हैं एक साथ इतने लोगों की मांसिक तरंगों ने मुझे यहाँ आमंत्रित कर लिया है मुझे मालुम है की आप लोगों को समस्याओं का समाधान नहीं मिल रहा है और आप सभी लोग समाधान चाहते हैं, हम समाधान बता देते हैं जिससे तीन दिनों के अन्दर ही सारी समस्याएं सुलझ जायेंगी ... आप सभी लोग गंभीरता पूर्वक सोच-विचार कर लीजिये समाधान चाहिए अथवा नहीं ... पंद्रह मिनट के पश्चात हम पुन: उपस्थित होंगे ... (इन्द्रदेव अद्रश्य हो गए) ...

... सभाभवन में सन्नाटा-सा छा गया, सभी लोग एक-दूसरे को देखते हुए हतप्रभ हुए ... सभी अपनी अपनी घड़ी देखने लगे ... फिर अचानक एक साथ सब बोल पड़े - ... तीन दिन में समाधान हो जाएगा तो फिर हम लोग कहाँ जायेंगे ... हमारी बर्षों की मेहनत का क्या होगा ... कहीं अपना ही राजपाट न छिन जाए ... तीन दिन में समाधान कैसे संभव है ... भगवान हैं संभव कर देंगे ... जल्दी सोचो क्या करना है ... नहीं नहीं तीन दिन में समाधान ठीक नहीं है ... अरे ये तो समस्याओं से भी बड़ी समस्या खडी हो गई है ... भगवान ने न जाने क्या उपाय सोच रखा है ... सोचो, जल्दी करो, टाइम बहुत कम है ... अरे इस नई समस्या का समाधान ढूंढो कहीं लेने-के-देने न पड़ जाएँ ... अरे ज्यादा सोचो मत सभी हाँ कह देते हैं ... अपन लोगों ने तो बहुत धन -दौलत कमा लिया है समस्याएं मिट जायेंगी तो अच्छा ही है ... नहीं नहीं नहीं ... तभी एक चतुर नेता उठकर बोले ...

... अरे भाई कोई हमरी भी सुनेगा की नहीं ... हाँ हाँ बोलो क्या बोलना है ... ये सब तीन-पांच-तेरह छोडो और तनिक सब लोग कान-खुजा के सुनो, कहीं ऐसा न हो की देर हो जाए और भगवान जी आकर अपना फैसला मतलब समस्याओं का समाधान सुना जाएं ... चारों ओर पिन-ड्राप-साइलेंस .... हाँ हाँ बताओ जल्दी करो ... ये जो समस्याएँ हैं जिसका समाधान हम ढूँढने के लिए यहाँ बैठे हैं, ये सारी समस्याएं हम सब लोगों की पैदा की हुई हैं, अरे भाई सीधा सीधा मतलब ये है की इन समस्याओं की जड़ हम सब लोग ही हैं इसलिए ये मीटिंग-सीटिंग बंद करो और भगवान के आने के पहले ही निकल लो, कहीं ऐसा न हो कि यहीं हम सब का राम नाम सत्य हो जाए ... चारों ओर से आवाज निकली ... हाँ ये बिलकुल सच है, यही सर्वविदित सत्य है, ... छोडो मीटिंग-सीटिंग ... छोडो समस्याएं व समाधान ... नहीं चाहिए हमें आजादी ! इन समस्याओं से ... अभी साढ़े-आठ मिनट ही हुए थे कि सभी सदस्य एक नारे को बुलंद करते हुए ... नहीं चाहिए हमें आजादी ... नहीं चाहिए हमें आजादी ... नहीं चाहिए हमें आजादी ! इन समस्याओं से ... चिल्लाते हुए चले गए !!!

Monday, August 16, 2010

शेर : जख्म

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वो आज क्यूं जख्म बन, मेरी आँखों में उतर आये थे
जब आँख से निकले तो, खून के कतरे निकले

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Sunday, August 15, 2010

शायद ! वो सही हों !

जीवन में हर क्षण
उतार-चढ़ाव भरे हैं
कभी खुशी-कभी गम
कभी खुद-कभी अपने
इन सब के बीच
जीवन चलता रहता है
पर कभी कभी मन
कुछ नया सोचता है
तय भी करता है
पर चलने की कोशिश
दो कदम चलकर
ठहर जाती है
जाने क्यों !
मन आगे बढ़ने से
रोकता सा लगता है
आज चिंतन करते हुए
मुझे महसूस हुआ
ये मन नहीं करता
मन में बसे अपने हैं
जो छिटकने से रोकते हैं
पकडे रखना चाहते हैं
खुद से, खुद के लिए
शायद ! वो सही हों !

स्वतंत्रता की ओर !

नई सोच
नई उमंगें
नई राहें
नई मंजिलें

नए कदम
नए जज्बे
नए हौसले
नया सफ़र

आओ चलें
हम-तुम
स्वतंत्रता के साथ
स्वतंत्रता की ओर !

Saturday, August 14, 2010

स्वतंत्रता से अभिप्राय ........... एक कडुवा सच !!!

स्वतंत्रता, आजादी, स्वछंदता, मनमौजीपन किसे पसंद नहीं है इस धरा पर जीवन-यापन करने वाला प्रत्येक इंसान स्वतंत्रता पूर्वक जीवन जीना चाहता है पर उसकी स्वतंत्रता के मायने क्या हैं और क्या होना चाहिए !

... स्वतंत्रता का सीधा-सीधा तात्पर्य एक अनुशासित मर्यादित जीवन को जीने से है क्या हम अनुशासित मर्यादित जीवन जी रहे हैं ?

... शायद इस प्रश्न के उत्तर में ढेरों लोग यह चिल्लाने लगें कि हाँ हम अनुशासित मर्यादित जीवन जी रहे हैं, बहुत से लोग आपस में घुसुर-पुसुर करने लगें तथा बहुत से लोग बिलकुल मौन हो जाएँ ... कुछ भी संभव है !

... हम क्या सोच रहे हैं, हम क्या कर रहे हैं, और क्या हमारे अन्दर है ... संभवत: तीनों में विरोधाभाष हम स्वयं महसूस करें, यह विरोधाभाष क्यों - किसलिए !

... इसमे आश्चर्यजनक ज्यादा कुछ नहीं है हम मानव हैं और मानव जीवन जी रहे हैं इसलिए यह विरोधाभाष हो सकता है सांसारिक जीवन स्वमेव आश्चर्यो का एक पुलिंदा है जहां हर क्षण उथल-पुथल होते रहते हैं किन्तु हमें इस उथल-पुथल को संयमित करते हुए अनुशासन बनाकर मर्यादित स्वतन्त्र जीवन जीना चाहिए !

गुरु - चेला !

हास्य-व्यंग्य - " गुरु - चेला "


( जिला मुख्यालय का पुलिस ग्राउंड - १५ अगस्त आजादी का पर्व )

चेला - भईय्या मेरी इच्छा हो रही है कि आप भी किसी दिन ... अपने शहर के इस पुलिस ग्राऊंड पर आजादी का झंडा फहराओ ... देखा आपने कैसे कलेक्टर, एस.पी. मिलकर मंत्री को सैल्यूट मार रहे थे
गुरु - हां देख रहा हूं पर अपुन लोग चोर-उचक्के हैं ... कैसे झंडा फहरा सकते हैं !... शहर के सभी पुलिस थाणे में अपुन लोग का क्रिमनल रिकार्ड है

चेला - तो क्या हुआ भईय्या ... क्या फर्क पड़ता है ... आजकल क्रिमनल रिकार्ड वाले भी झंडा फहरा रहे हैं ... आप भी फहरा सकते हो ... आप को तो मालुमिच्च है कि सीबू सोरेन को ह्त्या के मामले में सजा हो गयेला था कोर्ट से, फिर भी वह मुख्यमंत्री बन गयेला था और झंडे-पे-झंडा फहरा रहा था ... और देखो कितने सांसद विधायक हैं जिनके ऊपर क्रिमनल-ही-क्रिमनल रिकार्ड हैं फिर भी डंके की चोट पर नेतागिरी कर रहेले हैं ... ये तो दूर की बात हो गई, अपुन के पास में ही देख लो वो "फिरकी पठान" ... साला कबाड़ी कितने बार अन्दर हुयेला है जब से मंत्री ने उसकी पीठ पर हाथ क्या रख दिया है तब से उसके तेवर ही बदल गए हैं आखिर गृहमंत्री का चेला जो बन गया है ... उसने ही छब्बीस जनवरी को अपने थाणे में झंडा फहराया था ...
गुरु - तू ठीक कह रहा है ... (सीना तानते हुए) हाँ अपुन भी झंडा फहरा सकता है ... पर तू कुछ उपाय बता ... तू तो जानता है अपुन जो भी करता है तेरेच्च से पूंछ के करता है

चेला - एक काम करने का ... आज से चोरी, लूट, छिन्टाई, उठाईगिरी, मारपीट, ... टोटली बंद ... आज से फुल्ली नेतागिरी करने को मांगता ... देखते हैं कौन रोकता है अब अपुन को झंडा फहराने से ... आखिर अपुन के देश में लोकतंत्र है, प्रजातंत्र है, मानव अधिकार आयोग है, हाईकोर्ट है, सुप्रीमकोर्ट है ... ये सब अपुन का मदद करेगा, कोई टांग अडायेगा तो अपुन इन्हीच्च का दरवाजा खटखटाएगा ... अब झंडा फहराने से कोई नहीच्च रोक सकता ... अपुन है भईय्या
गुरु - ठीक है तू बोलता है तो मान लेता हूँ ... हाँ अब अपुन ही झंडा फहराएगा ... बस तू बताते चल आगे आगे क्या करना है ...

( तालियों की गडगडाहट ने गुरु-चेले को दो साल पुरानी यादों से बाहर निकाला )

चेला - देखा भईय्या ... दो साल पहले अपुन ने इसीच्च पुलिस ग्राउंड पर ... दूर वहां बैठकर सपना देखा था ... जो आज जब आपने झंडा अपने हांथों से फहराया तो पूरा हुआ ... याद है आपको अपुन क्या बोला था ...
गुरु - हाँ ... सब कुछ याद है ... वो सब तेरी बदौलत पूरा होएला है ... सचमुच ये अपना देश है ... भारत महान है ... आज अपुन सच्चे दिल से सैल्यूट मारा है ...

चेला - ... भईय्या अपुन ये सोच रहेला है कि जब अपने टाईप के चिरकुट लोग यहाँ तक पहुँच गए हैं तो पूरे देश ...
गुरु - ... अरे चुप ... आगे कुछ मत बोल ... अभी तक अपुन तेरी सुन सुन कर यहाँ तक पंहुच गयेला है आगे भी सुनते रहेगा ... पर मेरी एक बात तू सुन ले ... ये अपुन का देश है ... अपुन दोनों का एकिच्च नारा होना चाहिए ... जय हिंद ... जय हिंद ... जय हिंद ... जय हिंद ... !

Friday, August 13, 2010

घटिया पोस्टें .... टिप्पणियों की भरमार ... क्या श्रेष्ठ लेखक बन गए हैं !!!

ब्लागिंग में सफलता, पोस्ट पर पोस्ट, लिंक पर लिंक, हवाले-घोटाले, टिप्पणियों की भरमार ... बहुत खूब, बेहतरीन, लाजवाब, अदभुत, बेमिसाल, अतिसुन्दर, बगैरह बगैरह ... बिलकुल इस तरह की टिप्पणियों की भरमार ब्लागिंग में आम बात है ... पर क्या टिप्पणियों की भरमार, हवाले-घोटाले, रेंकिंग आपको एक सफल लेखक व् साहित्यकार बना रहे हैं ... सोचिये, ज़रा गौर फरमाइए स्वयं के लेखन पर ... इसका फैसला तो बाद में हो ही जाएगा की आप अच्छे लेखक हैं अथवा अच्छे ब्लॉगर ... एक बात और गौर करने योग्य है कि ब्लॉगर तो चाहता ही है कि उसकी प्रत्येक पोस्ट पर टिप्पणियों की भरमार हो, पर क्या पाठक / ब्लॉगर / लेखक / साहित्यकार भी अपनी अपनी आँखे मूँद कर टिप्पणियाँ दर्ज किये जा रहे हैं उन्हें यह दिखाई नहीं देता कि पोस्ट कितनी बढ़िया / घटिया है ... मुझे तो देखकर आश्चर्य होता है कि आधारहीन / औचित्यहीन / निर्थक / व्यर्थ की पोस्टों पर भी हम टिप्पणियों की भरमार कर रहे हैं और पोस्ट लेखकों को सफल ब्लॉगर की श्रेणी में खडा कर रहे हैं ... चूंकि मैं टिप्पणीकारों को मना तो नहीं कर सकता और न ही पोस्ट लेखकों को .... फिर भी इतना जरुर कहूंगा कि लेखक टिप्पणियों की संख्या देख देख कर गलतफहमी न पालें कि वे एक सफल लेखक बन गए हैं उन्हें अभी सार्थक व श्रेष्ठ लेखन करना है !

Thursday, August 12, 2010

ब्रेकिंग न्यूज ... व्यंग्य सच साबित हुआ ... मुख्यमंत्री ने की स्वीकारोक्ति ...!!!

... बिलकुल ताजा-ताजा खबर ... जी हाँ ब्रेकिंग न्यूज ... अभी-अभी मैं "सहारा समय - मध्यप्रदेश/छत्तीसगढ़" देख रहा था मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री बाबूलाल गौर ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर जनता को दोषी ठहराया उन्होंने कहा की - जनता रिश्वत माँगने वाले अधिकारियों को रिश्वत के रूप में रुपये देना बंद कर दे तो भ्रष्टाचार धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगा ...

... जी हाँ बिलकुल यही तथ्य मेरे व्यंग्य - भ्रष्टाचाररूपी दानव के निष्कर्ष में हैं ... आप भी पढ़िए -

भ्रष्टाचार .... भ्रष्टाचार ....भ्रष्टाचार की गूंज "इंद्रदेव" के कानों में समय-बेसमय गूंज रही थी, इस गूंज ने इंद्रदेव को परेशान कर रखा था वो चिंतित थे कि प्रथ्वीलोक पर ये "भ्रष्टाचार" नाम की कौन सी समस्या आ गयी है जिससे लोग इतने परेशान,व्याकुल व भयभीत हो गये हैं न तो कोई चैन से सो रहा है और न ही कोई चैन से जाग रहा है ....बिलकुल त्राहीमाम-त्राहीमाम की स्थिति है .... नारायण - नारायण कहते हुए "नारद जी" प्रगट हो गये ...... "इंद्रदेव" की चिंता का कारण जानने के बाद "नारद जी" बोले मैं प्रथ्वीलोक पर जाकर इस "भ्रष्टाचाररूपी दानव" की जानकारी लेकर आता हूं।


........ नारदजी भेष बदलकर प्रथ्वीलोक पर ..... सबसे पहले भ्रष्टतम भ्रष्ट बाबू के पास ... बाबू बोला "बाबा जी" हम क्या करें हमारी मजबूरी है साहब के घर दाल,चावल,सब्जी,कपडे-लत्ते सब कुछ पहुंचाना पडता है और-तो-और कामवाली बाई का महिना का पैसा भी हम ही देते हैं साहब-मेमसाब का खर्च, कोई मेहमान आ गया उसका भी खर्च .... अब अगर हम इमानदारी से काम करने लगें तो कितने दिन काम चलेगा ..... हम नहीं करेंगे तो कोई दूसरा करने लगेगा फ़िर हमारे बाल-बच्चे भूखे मर जायेंगे।



....... फ़िर नारदजी पहुंचे "साहब" के पास ...... साहब गिडगिडाने लगा अब क्या बताऊं "बाबा जी" नौकरी लग ही नहीं रही थी ... परीक्षा पास ही नहीं कर पाता था "रिश्वत" दिया तब नौकरी लगी .... चापलूसी की सीमा पार की तब जाके यहां "पोस्टिंग" हो पाई है अब बिना पैसे लिये काम कैसे कर सकता हूं, हर महिने "बडे साहब" और "मंत्री जी" को भी तो पैसे पहुंचाने पडते हैं ..... अगर ईमानदारी दिखाऊंगा तो बर्बाद हो जाऊंगा "भीख मांग-मांग कर गुजारा करने के अलावा कोई विकल्प नहीं रहेगा"।



...... अब नारदजी के सामने "बडे साहब" ....... बडे साहब ने "बाबा जी" के सामने स्वागत में काजू, किश्मिस, बादाम, मिठाई और जूस रखते हुये अपना दुखडा सुनाना शुरु किया, अब क्या कहूं "बाबा जी" आप से तो कोई बात छिपी नहीं है आप तो अंतरयामी हो .... मेरे पास सुबह से शाम तक नेताओं, जनप्रतिनिधियों, पत्रकारों, अफ़सरों, बगैरह-बगैरह का आना-जाना लगा रहता है हर किसी का कोई-न-कोई दुखडा रहता है उसका समाधान करना ... और उनके स्वागत-सतकार में भी हजारों-लाखों रुपये खर्च हो ही जाते हैं ..... ऊपर बालों और नीचे बालों सबको कुछ-न-कुछ देना ही पडता है कोई नगद ले लेता है तो कोई स्वागत-सतकार करवा लेता है .... अगर इतना नहीं करूंगा तो "मंत्री जी" नाराज हो जायेंगे अगर "मंत्री जी" नाराज हुये तो मुझे इस "मलाईदार कुर्सी" से हाथ धोना पड सकता है ।



...... अब नारदजी सीधे "मंत्री जी" के समक्ष ..... मंत्री जी सीधे "बाबा जी" के चरणों में ... स्वागत-पे-स्वागत ... फ़िर धीरे से बोलना शुरु ... अब क्या कहूं "बाबा जी" मंत्री बना हूं करोडों-अरबों रुपये इकट्ठा नहीं करूंगा तो लोग क्या कहेंगे ... बच्चों को विदेश मे पढाना, विदेश घूमना-फ़िरना, विदेश मे आलीशान कोठी खरीदना, विदेशी बैंकों मे रुपये जमा करना और विदेश मे ही कोई कारोबार शुरु करना ये सब "शान" की बात हो गई है ..... फ़िर मंत्री बनने के पहले न जाने कितने पापड बेले हैं आगे बढने की होड में मुख्यमंत्री जी के "जूते" भी उठाये हैं ... समय-समय पर "मुख्यमंत्री जी" को "रुपयों से भरा सूटकेश" भी देना पडता है अब भला ईमानदारी का चलन है ही कहां!!!



......अब नारदजी के समक्ष "मुख्यमंत्री जी" ..... अब क्या बताऊं "बाबा जी" मुझे तो नींद भी नहीं आती, रोज "लाखों-करोडों" रुपये जाते हैं.... कहां रखूं ... परेशान हो गया हूं ... बाबा जी बोले - पुत्र तू प्रदेश का मुखिया है भ्रष्टाचार रोक सकता है ... भ्रष्टाचार बंद हो जायेगा तो तुझे नींद भी आने लगेगी ... मुख्यमंत्री जी "बाबा जी" के चरणों में गिर पडे और बोले ये मेरे बस का काम नहीं है बाबा जी ... मैं तो गला फ़ाड-फ़ाड के चिल्लाता हूं पर मेरे प्रदेश की भोली-भाली "जनता" सुनती ही नहीं है ... "जनता" अगर रिश्वत देना बंद कर दे तो भ्रष्टाचार अपने आप बंद हो जायेगा .... पर मैं तो बोल-बोल कर थक गया हूं।



...... अब नारद जी का माथा "ठनक" गया ... सारे लोग भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और प्रदेश का सबसे बडा भ्रष्टाचारी "खुद मुख्यमंत्री" अपने प्रदेश की "जनता" को ही भ्रष्टाचार के लिये दोषी ठहरा रहा है .... अब भला ये गरीब, मजदूर, किसान दो वक्त की "रोटी" के लिये जी-तोड मेहनत करते हैं ये भला भ्रष्टाचार के लिये दोषी कैसे हो सकते हैं !



.... चलते-चलते नारद जी "जनता" से भी रुबरु हुये ..... गरीब, मजदूर, किसान रोते-रोते "बाबा जी" से बोलने लगे ... किसी भी दफ़्तर में जाते हैं कोई हमारा काम ही नहीं करता ... कोई सुनता ही नहीं है ... चक्कर लगाते-लगाते थक जाते हैं .... फ़िर अंत में जिसकी जैसी मांग होती है उस मांग के अनुरुप "बर्तन-भाडे" बेचकर या किसी सेठ-साहूकार से "कर्जा" लेकर रुपये इकट्ठा कर के दे देते हैं तो काम हो जाता है .... अब इससे ज्यादा क्या कहें "मरता क्या न करता" ...... ....... नारद जी भी "इंद्रलोक" की ओर रवाना हुये ..... मन में सोचते-सोचते कि बहुत भयानक है ये "भ्रष्टाचाररूपी दानव" ...!!!



... व्यंग्य सच साबित हुआ ... वर्त्तमान न सही पर पूर्व मुख्यमंत्री ने की स्वीकारोक्ति ...!!!

इंसान कम ..... शैतान ज्यादा हो गया है !

इंसान अब, इंसान कम,
हैवान ज्यादा हो गया है
हर गली - हर मोड पर,
शैतान बन कर घूमता है

क्या मिला उसको
वो जब तक इंसा था
हैवान जब से बना
तो सरेआम हो गया है

भीख में मिलती नहीं
थीं रोटियां
लूटने निकला तो खूब
मिल रहीं हैं बोटियां

बद हुआ, बदनाम हुआ
और ज्यादा क्या हुआ
था निकम्मा वो बहुत
पर आज तो काम गया है

देखता है जब खुदी को
आँख के आईने में वो
शर्म क्या, शर्मसार वो
खुद के जहन में हो गया है

क्या हुआ इंसान को
जो हैवान ज्यादा हो गया है
इंसान अब, इंसान कम
शैतान ज्यादा हो गया है !

Wednesday, August 11, 2010

क्या मिला उनको बम फोड़ने से !

बोल बम बोल बम गूँज रहा था
बाहर कोई बेवजह बम फोड़ रहा था
मर गए दो-चार बम फूटने से
क्या मिला उनको बम फोड़ने से

अल्लाह-ओ-अकबर के नारे गूँज रहे थे
बाहर कोई बेवजह बम फोड़ रहा था
मर गए आठ-दस बम फूटने से
क्या मिला उनको बम फोड़ने से

जय माता दी, जय माता दी सब गा रहे थे
बाहर कोई बेवजह बम फोड़ रहा था
मर गए तीन-चार बम फूटने से
क्या मिला उनको बम फोड़ने से !

सलमान कौन होता है कहने वाला की सब देखें ... पीपली लाइव !!!

हद हो गई अब तो ... फिल्म स्टार सलमान यह कहते फिर रहे हैं की सभी लोगों को "फिल्म - पीपली लाइव" देखनी चाहिए ... एक अच्छी फिल्म है ... मतलब अब फिल्म भी ये लोग बनायेंगे और जनता पर दवाब भी डालेंगे की फिल्म देखो ... अच्छी फिल्म है ... बगैरह बगैरह ... भइये आप फिल्म बनाओ और जनता पर छोड़ दो क्या देखना या क्या नहीं देखना है ... ये भी अच्छा तरीका हो गया है की फिल्म मेकर खुद ही ... तौबा-तौबा ... न जाने क्या होगा अब दर्शकों का ... दर्शक न जाने कितने दवाब में रहेंगे अब फिल्मों को लेकर ... हम तो सिर्फ इतना ही कहेंगे की सलमान कौन होता है कहने वाला की सब देखें ... पीपली लाइव !!! ... जनता को जो फिल्म पसंद आयेगी उसे देखेगी और जो पसंद नहीं आयेगी उसका बाक्स आफिस पर राम नाम ... !!!

Tuesday, August 10, 2010

ईश्वर

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कागजों में इबादत नहीं करता, जुबां से कुछ बयां नहीं करता
ईश्वर बसता है धडकनों में मेरी, इसलिये मैं दिखावा नहीं करता

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Monday, August 9, 2010

बड़े ब्लॉगर - छोटे ब्लॉगर

बड़े ब्लॉगर - यार तुम लोग अभी अभी ब्लागिंग में आये हो जमने के लिए जी-तोड़ मेहनत करनी पड़ेगी
छोटे ब्लॉगर - क्या क्या करना पडेगा भाई साहब

बड़े
ब्लॉगर - सबसे पहले तो स्थापित ब्लागरों के संपर्क में रहना पडेगा तथा उनके ब्लॉग-पोस्ट पर निस्वार्थ भाव से टिप्पणी करनी पड़ेंगी, पोस्ट अच्छी हो या ... ।
छोटे ब्लॉगर - हां समझ गया भैया, और क्या करना पडेगा ?


बड़े ब्लॉगर - दो-चार धुरंधर ब्लागरों को अपना गुरु मान लेना,जल्द ही ब्लागिंग में स्थापित हो जाओगे और तुम्हारी रेंकिंग भी वे ऊपर कर देंगे
छोटे ब्लॉगर - भैया ये रेंकिंग ऊपर कर देना उनके हाँथ में रहता है ?


बड़े ब्लॉगर - और नहीं तो क्या, उनके बांये हांथ का खेल है वे जिस ब्लॉग को चाहें दना-दन ऊपर ले जा सकते हैं , अब ये मत पूछना की ऐसा कैसे करते हैं जब साथ में रहोगे तो सब सीख जाओगे
छोटे ब्लॉगर - भैया एक बात और बता देते ... मैं अच्छा लिख नहीं पाता हूं ... क्या मेरी पोस्टें भी ऊपर हो जायेंगी ?


बड़े ब्लॉगर - उसकी चिंता तुम छोड़ दो ... हम जिसे चाहें उसे उसकी पोस्ट को ऊपर ले जा सकते हैं ... तुम जब कभी भी देखोगे जितनी पोस्ट ऊपर रहती हैं ... उसमें लगभग ८० प्रतिशत "सड़ी-गली" पोस्टें ही ऊपर रहती हैं ... हम लोग अच्छी प्रभावशाली पोस्टों को ऊपर चढ़ने ही नहीं देते
छोटे ब्लॉगर - धन्य हैं आप लोग .... और धन्य है आपकी ब्लागरूपी मायानगरी .... आपकी इसलिए, क्योंकि आप लोग अप्रत्यक्ष रूप से संचालित कर रहे हैं ... मैंने अपना पहला गुरु तो आप को मान लिया है, दूसरा,तीसरा,चौथा कौन कौन रहेगा आप ही बता दें ... मैं सीधा जाकर उनके चरणों मैं बैठ जाता हूँ ... मैं पुन: हाजिर होता हूँ आपका आशीर्वाद प्राप्त करने ... दंडवत प्रणाम