Sunday, December 28, 2008

शेर - 4

‘उदय’ तेरे शहर में, हसीनों का राज है
तुम भी हो बेखबर, और हम भी हैं बेखबर ।

Monday, December 15, 2008

शेर - ३

न छोडी कसर उन ने, कांटो को चुभाने में,
खड़े हैं अब अकेले ही, सँजोकर आरजू दिल में

Tuesday, December 9, 2008

शेर - 2

न चाहो उन्हे तुम, जिन्हे तुम चाहते हो

चाहना है, तो उन्हे चाहो, जो तुमको चाहते हैं।

Saturday, December 6, 2008

शेर - 1

हुई आँखें नम, तेरे इंतजार में 'उदय'
कम से कम, अब इन्हें छलकने तो न दो ।

Saturday, June 28, 2008

बाजार ...

आज के
बदले इस युग मे
बाजार बनी ये दुनिया है !
इंसा का ईमान है क्या ?
इंसा ही खरीदे जाते हैं !!

अस्मिता -
बनी एक वस्तु है !
'शो-केस' मे दिख जाती है !
अस्मिता का कोई मोल नही
बस बिकती है, बस बिकती है !!

रिश्ते-नाते -
सब हुए दिखावे
टूट गए सब दिल के नाते
दौलत से बढ़कर -
अब कोई नहीं !
बस, दौलत ही पूजी जाती है !!

कोई बिकता है -
अपनी मर्जी से, तो कोई
किसी के हांथों -
बिन चाहे बिक जाता है !
आज के
बदले इस युग मे
बाजार बनी ये दुनिया है !!

Friday, May 16, 2008

चांदी के सिक्के ...

दोस्तो क्यों परेशान होते हो
क्यों हैरान होते हो
चांदी के चंद सिक्कों के लिए !

ज़रा सोचो,
चांदी के सिक्कों का करोगे क्या !
क्या इन सिक्कों को
आंखो पर रखने से नींद आ जाएगी ?
या फिर इनसे
रात की करवटें रुक जायेंगी ?

और तो और, क्या कोई बतायेगा
कि इन सिक्कों को देख कर
क्या ‘यमदूत’ डर कर लौट जायेंगे ?

या फिर, इन सिक्कों पर बैठ कर
तुम स्वर्ग चले जाओगे
या इन्हें जेब में रख कर
अजर-अमर हो जाओगे ?

अगर तुम सोचते हो
ऐसा कुछ हो सकता है
तो चांदी के सिक्के अच्छे हैं
और तुम्हारी -
इनके लिए मारामारी अच्छी है !

अगर ऐसा कुछ न हो सके
तो तुम से तो
तुम्हारे चांदी के सिक्के अच्छे हैं
तुम रहो, या न रहो
ये सिक्के तो रहेंगे
न तो तुम्हारे अपने और न ही ये सिक्के
तुम्हें कभी याद करेंगे !

अगर ऐसा हुआ या होगा !
फिर ज़रा सोचो !!

क्यों परेशान होते हो
चांदी के चंद सिक्कों के लिए !
अगर होना ही है परेशान
रहना ही है जीवन भर हलाकान्
तो उन कदमों के लिए हो !

जो कदम उठें तो
पर उठ कर कदम न रहें
बन जायें रास्ते
सदा के लिए, सदियोँ के लिये
न सिर्फ तुम्हारे लिए
न सिर्फ हमारे लिए ... !!