Thursday, May 31, 2012

पेट्रोल-ही-पेट्रोल ...

पेट्रोल के दाम ... 
पेट्रोल के दाम बढ़ाना 
हमारी मजबूरी है 'उदय' 
गर 
हम नहीं बढ़ाएंगे 
तो 
शायद 
पड़ोसी मुल्क 
हमसे आगे निकल जाएं ? 

पेट्रोल की कीमतें ... 
ये अपना देश किस आग में 
झुलस रहा है ?
चहूँ ओर 
आग की लपटें-ही-लपटें हैं !
क्या हुआ ?
कब हुआ ?
कैसे हुआ ? 
कुछ नहीं हुजूर 
सिर्फ पेट्रोल की कीमतों में -
उछाल आया है !!

पेट्रोल का रेट ... 
तुम्हारा जितना जी चाहे 
उतना बढ़ा दो पेट्रोल का रेट 
क्योंकि - 
तुम सरकार हो !
पर 
ये मत भूलो कि - 
हमने ही बनाई है सरकार !!
हम 
उस रेट में भी खरीद लेंगें -
पेट्रोल !!!

Wednesday, May 30, 2012

ऐ दोस्त ...


मंशा ... 
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वो, मेरी आँखों के सामने 
काला-पीला करते रहें 
और मैं, खामोश देखता रहूँ 
यही है उनकी मंशा !
काश ! खुद-ब-खुद ... मैं ... 
हो जाता ...
उनकी मंशा के अनुरूप !!
... 
धूर्त ... 
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ऐ ... हाँ ... हाँ ... तू ... 
मूर्ख ... पाखंडी ... 
तू ... 
अपने आप को बहुत बड़ा ... 
ज्ञानी ... मत समझ !
मुझे ... 
हाँ ... मुझे ... पता है !!
तू ... 
कितना बड़ा ... धूर्त है !!!
... 
जहर ... 
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ऐ दोस्त ... 
मैं जानता हूँ, तुम्हारे अन्दर 
मेरे लिए 
बहुत जहर भरा हुआ है 
जिसे तुम ... मौके-बे-मौके ... 
उगलते रहते हो !
पर, क्या मिला तुम्हें -
आज तक ? 
शायद कुछ भी नहीं !!
न तो तुम 
मुझे अपने जहर से मार पाए !
और न ही 
तुम किसी शिखर को छू पाए !!
फिर क्यों -
तुम खुद को बदल नहीं लेते ? 
कहीं ऐंसा न हो - 
किसी दिन ... उलटा ... 
ये जहर तुम्हारी जान ले ले ?? 

Tuesday, May 29, 2012

मुर्दों के ढेर ...


ज़रा समय की नींद तो खुल जाने दो 'उदय' 
फिर देखते हैं, फकीरी हमारी औ अमीरी जमाने की !
... 
छपने-छपाने के दस्तूर खूब निराले हैं 'उदय' 
उफ़ ! हम भेजेंगे नहीं, और वो छापेंगे नहीं ?
... 
ऐ दोस्त, ये फकीरी कोई सजा नहीं है 
ये तो अंतिम रास्ता है मेरे मुकाम का ! 
... 
ये कैंसे लोगों की बस्ती है 'उदय' 
जहां लोग, मुर्दों के ढेर में तमगे तलाश रहे हैं ? 
... 
ये भ्रम था तेरा, कि - ............ हम तेरे दीवाने हैं 
पर सच्चाई तो ये है कि - हम तुम्हें चाहते बस हैं !
... 
ताउम्र हम अपने हांथों की लकीरों को चमकाते रहे 
पर पहुँचना था यहाँ, लो, न चाहकर भी पहुँच गए !

Monday, May 28, 2012

कलम के देवता ...


उनकी जरूरतों ने, हमें उनका बाप बनाया था 'उदय' 
अब, जब जरूरतें नहीं हैं, तो वो हमें पहचानते नहीं !
... 
चरणों में दंडवत तो हजारों की फ़ौज है 'उदय' 
पर लगता नहीं, कोई तूफानों में संग नजर आए ? 
... 
दोस्तों में, दबी मायूसी देख के, यकीं है 'उदय' 
कि - कदम हमारे सही राह पर हैं !
... 
दौर-ए-बुराई तो गुजर जाना है 'उदय' 
पर, क्या खोया - क्या पाया, कशमकश कायम रहेगी !
... 
सच ! गर मर्जी होगी 'सांई' की, तो तय है 'उदय' 
किसी दिन, महसूस कर लेंगे खुशबू गुलाब की !!
... 
कलम मेरी 'उदय', उन मगरुरों के लिए नहीं चलती 
सच ! जो, खुद को कलम के देवता समझते हैं !!
... 
तेरे आदाब का ढंग, किसी सजदे से कम नहीं है दोस्त 
चाहकर - न चाहकर भी, तू मुझे अपना बना लेता है ! 

प्रहार ...

प्रहार ...
-----

हाँ ... बहुत दूर हूँ मैं 
तेरे शहर से 
पर ... तेरी धड़कनों से दूर नहीं हूँ 
और, हो भी नहीं सकता !
क्यों ? ... क्योंकि - 
मैं ... रोज प्रहार करता हूँ 
शब्दों से 
तेरी धड़कनों पर !
वे रोज कंप-कंपाती हैं 
मेरे प्रहार से 
बोल ... सच कहा न !
मैं दूर होकर भी ... दूर नहीं हूँ !!
.... 
जागीर ...
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ऐ दोस्त ... तू जिसे 
अपनी जागीर समझ के 
मुझसे छिपा रहा है 
वो 
मेरे लिए 
सड़क पर पडा 
महज एक पत्थर है !
भले चाहे ... वो हीरा हो, तेरे लिए !!
तू कहे तो 
जिस दिन चाहूँ ... उस दिन 
उसे 
एक ठोकर मार कर 
इस ओर से ... उस ओर पहुंचा दूं !!!
... 
मुहब्बत ...
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हाँ ... 
हाँ ... 
हाँ ... 
हाँ ... 
हाँ ... 
और कितने बार कहूँ ... हाँ ... 
कहा न ... 
हाँ ... मुझे तुमसे मुहब्बत है !!

Sunday, May 27, 2012

तुम ...


जब ... तुम थे पास 
तब ... जी चाहता था बहुत कुछ कहना 
किन्तु ... शब्द नहीं थे !
अब ... जब जी नहीं चाहता कुछ कहना 
शब्द ही शब्द हैं !!
पर, तुम पास नहीं हो !!!

हंसी-ठिठोली ...


चित भी मेरी - पट भी मेरी 
आगे-आगे ममता, पीछे-पीछे रैली !
समर्थन भी, औ विरोध भी 
क्या खूब है जग में, हंसी-ठिठोली !!

Saturday, May 26, 2012

साहित्य के ज्ञाता ...


देर-सवेर तो सभी को मिट्टी में मिल जाना है 
कहो यारा, फिर आज घमंड किस बात का है ? 
... 
समय के बुरे दौर में, हमने क्या खोया वो तो हम जानते हैं 
पर, क्या पाया है ये तो आने वाला समय ही बताएगा ? 
... 
लो, वो शायरी में कायदा-क़ानून ढूंढ रहे हैं 'उदय' 
उफ़ ! जैंसे एक वही साहित्य के ज्ञाता हों ? 
... 
'खुदा' ने रौशनी उतनी ही दी थी 'उदय', जितने अंधेरे थे 
फिर, आगे का सफ़र तो दिन के उजालों में मुक़र्रर था ! 
... 
गरीब की लंगोटी, औ देश की लुटिया 
ये किन लोगों के हांथों में है 'उदय' ? 

Friday, May 25, 2012

उड़ान ...


टैक्स के भरोसे ही तो सरकारी टैक्सियाँ चल रही हैं 'उदय' 
वर्ना, किसकी मजाल जेब के पैसों से पानी भी पी ले ?
... 
क्या नैतृत्व का सिर, फिर गया है 'उदय' 
जो उन्हें आमजन नजर नहीं आते ? 
... 
चाहते तो हम भी हैं 'उदय', एक उड़ान में नाप लें आसमां सारा 
मगर डरते हैं, कहीं वहां अकेले न रह जाएं ? 
... 
गैरों के सामने मुस्कुराने की सजा, हमें खूब मिली है 'उदय' 
चिढ-ही-चिढ में उन्ने रकीबों को अपना बना लिया है ! 
... 
उनसे रूठकर हमने 'उदय', कहीं ऐंसा तो नहीं किया 
कि - अपने ही पांव में कुल्हाड़ी मार ली हो ? 

Wednesday, May 23, 2012

बसर ...


ये किसने कह दिया तुमसे, कि हम सरकारी गुलाम हैं 
गुलाम हैं तो, मगर दौलत के हैं !!
... 
आज उनके रुख की कुछ झलक-सी दिखी है 
मगर अफसोस, वो भी धुंधली-धुंधली-सी है ! 
... 
पंछी तक तो उड़ान भर रहे हैं, शहर से तेरे 
गर बसर होता, तो हमारा होता कैसे ?

Tuesday, May 22, 2012

अजीब शख्स ...


तेरे एक इशारे पे, हम इल्जाम अपने नाम ले लेते 
बेवजह, झूठे इल्जाम लगाने की जरुरत क्या थी ? 
... 
हमारी मौत की चाह में, क्यूँ दुआएं बर्बाद कर रहे हो दोस्त 
वैसे भी रुसवाईयाँ, जीते-जी किसी मौत से कम नहीं होतीं !
... 
वो भी बड़ा अजीब शख्स है 'उदय' 
जेब में गिन्नियाँ हैं सोने की, औ जुबां पे मुफलिसी की बातें हैं ! 

परहेज ...


इरादे क्या हैं उनके, हमें आगरा बुलाने के 
उफ़ ! किस्से तो, दो ही मशहूर हैं वहां के !
... 
काश ! हम भी पत्थर होते 'उदय' 
तो शायद, किसी के सजदे से 'खुदा' हो गए होते !!
... 
न जाने किस चाह में, उन्ने दरवाजा खटखटाया है 
उफ़ ! कल तक तो, उन्हें परहेज था हमसे !!

Monday, May 21, 2012

तन्हाई ...


अब ये तो 'खुदा' ही जानता है, क्या कमी थी हममें 'उदय' 
क्योंकि, सजदे तो हमने भी किये थे ... किसी की चाह के ! 
... 
अब क्या कहें, हम तेरी तन्हाई पे 
कौन है, जो भीड़ में तन्हा नहीं ? 
...  
अब क्या कहें, 'रब' ही जानता है वक्त हमारा 
कि - हम चाहकर भी, क्यूँ दूर हैं तुमसे ? 

Saturday, May 19, 2012

सौदा ...


सुना है उन्हें कफ़न के सौदे में भी कमीशन की चाह थी 
मगर अफसोस, उनकी किस्मत में जनाजा नसीब था ! 
... 
शान-औ-शौकत बेच के, कहाँ जा रहे हो यार 
क्या कहीं ईमान का सौदा हुआ है ? 
... 
ये तुम, आज किन उसूलों की जिद में अड़ रहे हो यार 
उस दिन कहाँ थे जब तुमने ईमान का सौदा किया था ? 

Friday, May 18, 2012

अहमियत ...


हमारी मुफलिसी पर, वो कुछ इस कदर मुस्कुराए हैं 'उदय' 
उफ़ ! जैसे उन्हें कोई, गड़ा खजाना मिल गया हो !!
... 
उफ़ ! बहुत मुश्किल बसर है, संग बुद्धिमानों के 
उनकी बस की चले तो, सभी को मूर्ख कह दें !!
...
जो चमचाई में जूते उठाने की आदत को, 'हुनर' मान बैठे हैं 'उदय'
अब उन्हें कौन समझाए, पगड़ी की अहमियत ?

Thursday, May 17, 2012

सिस्टम ...


परिंदे तक तो महफूज नहीं है तेरे शहर की फिजाओं में
अगर हम ठहरें, तो भला क्यूँ ठहरें ?
...
गर शक है, तुझे मेरी आशिकी पर
तो उठा खंजर, दिल को खुद ही टटोल ले यारा !
...
क्या खूब 'सिस्टम' हुआ है मुल्क में 'उदय'
कहीं सिसकियाँ, तो कहीं शोर है !!

Wednesday, May 16, 2012

धूप ...

हर अति का अंत तो तय है 'उदय'
फिर भृष्टाचार  से, क्यूँ जन हुआ मायूस है ?
...
तेरे रहमो-करम से, हम धूप में भी सलामत हैं 'सांई'
वर्ना, लोग हैं जो छाँव में भी झुलसे हुए हैं !

Tuesday, May 15, 2012

भरोसा ...

रंज-औ-गम के दौर तो कब के जा चुके हैं 'उदय'
सच ! अब तो ... है आलम जश्न-औ-मौज का !!
...
शुक्र है 'खुदा' का, कि हमें अंधेरे भी रास आने लगे हैं
वैसे भी, उजालों का ... कोई भरोसा नहीं रहता !!

छिपा-छिपाई ...

हमने चाहा ही क्या था ?, सिर्फ दो पल को पनाह
उफ़ ! अब क्या कहें 'उदय', उनकी खामोशियों पर !!
... 
कभी हम, तो कभी तुम, खुद को छिपा के चलते हैं 
उफ़ ! ये आशिकी है, या छिपा-छिपाई है ? 

Sunday, May 13, 2012

मर्जी ...

कभी मौक़ा मिला तो, हम ये हुनर भी सीख लेंगे 'उदय' 
कि सामने रहकर भी, कैसे, खुद को छिपा के चलना है !
... 
अब 'सांई' की मर्जी तो 'सांई' ही जानता है 'उदय'
पर, हौसलों व आरजुओं पर तो जोर अपना ही है !

Saturday, May 12, 2012

चराग ...

कोशिशें हमारी, तमाम नाकाम रही थीं 'उदय' 
पर मिलना नसीब था, बगैर कोशिश के हम मिले !
... 
जिंदगी में हादसे तो 'उदय', कदम कदम पे गुजरे हैं 
मगर 'खुदा' की मंशा से, ये चराग जगमगाते रहा ! 

Wednesday, May 9, 2012

वटवृक्ष ...


मेरे साये में शीतलता 
मीठे फलों-सी है ... 
मंद-मंद हवाओं के झौंके 
भीनी खुशबू-से हैं ... 
हर पल ... हर क्षण ...
सुकून, चैन, आराम ...
बेहिसाब हैं, मेरे साये में !
चिलचिलाती धूप हो 
या हो मुसलाधार बारिश 
तुम, मेरे साये में ... 
जिंदगी गुजार सकते हो 
मैं कोई और नहीं ...
वटवृक्ष हूँ ! तुम्हारा हूँ !!

Sunday, May 6, 2012

सबब ...


सच ! ये हुनर भी कोई उनसे सीखे 'उदय' 
बिना नकाब के, वो रुख को छिपा के चलते हैं ! 
... 
मौक़ा मिले तो देखें, तेरी आँखों का हम समुन्दर 
पलकों पे हर घड़ी, क्यूँ लहरें हिलोर भरतीं ?
... 
सच ! अब ये तो 'रब' ही जानता है 'उदय' 
हंसते-हंसते उनके शर्माने का सबब ? 

Saturday, May 5, 2012

औरत ...


मैं एक औरत हूँ, बहादुर हूँ 
एक बड़ी अफसर हूँ 
ये हूँ, वो हूँ 
दुनिया पर नैतृत्व कर सकती हूँ !
कर रही हूँ !!
मगर, फिर भी 
मैं खुद से मुक्त नहीं हूँ 
क्यों, क्योंकि - 
मैं एक औरत हूँ !
गर्भाधान ... 
प्रसव पीड़ा ... 
बच्चे को जनना ... 
यही है कुदरत का विधान !!

Friday, May 4, 2012

पलाश ...


आज में, जीने की आदत डाल लो 'उदय' 
वैसे भी, कल की दास्ताँ, देखी है किसने ?
... 
तुम कौन होते हो, बेवजह हम पे इल्जाम लगाने वाले 
चेलागिरी तो हमारा एक विजयी हुनर है 'उदय' !!
... 
तुम्हें ढेरों शुभकामनाएं माली-औ-बहारों की 
अपुन तो पलाश हैं, धूप में भी खिल जायेंगे !

ताज-औ-तख़्त ...


चलो खुद पर, हम आज एतबार कर भी लें 'उदय'
पर कोई और भी तो हो जिसपे एतबार हो हमको ?
... 
किसे, क्या मिला है अब तक, जंग जीत कर 'उदय' 
सिर्फ, ताज-औ-तख़्त जिंदगी नहीं होते !!
... 
'उदय' खेल तू खेल ले, अब हार होय या जीत 
खाली हाँथ है जाना सबको, अमर रहेगी प्रीत !

Thursday, May 3, 2012

मर्ज ...


सच ! जी तो चाहता है, किसी दिन, 'हू-ब-हू' तुझे ही पोस्ट कर दूं 
पर, बेहिसाब लाईक-औ-कमेन्ट के डर से, दिल हामी नहीं भरता ! 
... 
तुम भी मीठे, हम भी मीठे, फिर क्यूँ बातें तीखी हों 
आओ, बैठो, लगो गले ... कुछ मीठा-मीठा हो जाए !
... 
सच ! हमारे हरेक मर्ज की दबा, एक तुम हो 
जब तुम सांथ नहीं होते, हाल बेहाल होते हैं ! 

Wednesday, May 2, 2012

संगत ...

हम जानते हैं, ये 'सांई' का कुसूर नहीं है 'उदय' 
वो तो हम ही हैं, जो ईशारा समझ नहीं पाए !! 
... 
ये तेरी संगत का ही तो असर है 'उदय' 
कि अब उनके भी पैगाम आने लगे हैं ! 
... 
मेरे अन्दर बैठा आदमी, मुझसे रूठा हुआ है 
उसे जवाब चाहिए, झूठ से परहेज क्यूँ है ?

सन्नाटा ...


चाहते तो हैं, करें इजहार-ए-मुहब्बत 
पर, अब किसी पे एतबार नहीं होता ! 
... 
काश ! दिल्ली में, हमारा भी बसेरा होता 
तो तय था 'उदय', रोज नया सवेरा होता !!
... 
रंज भी नहीं है, द्वन्द भी नहीं है 
मगर फिर भी 'उदय', है सन्नाटा पसरा !

Tuesday, May 1, 2012

नायाब ढंग ...


उफ़ ! छेड़छाड़ के 
कईयों आरोप हैं जिन पर 
लो, उन्हीं के हाँथ में 
नारी कल्याण का जिम्मा 
दे दिया सरकार ने !!
... 
तुम्हें खुश देख के 
खुश हो लेते हैं 
जीने का 
ये नायाब ढंग  
हमने 
तुम से ही सीखा है 'उदय' !

चाहत ...


कहीं कोई खामोश, तो कोई चीख रहा है 
'उदय' ये कैसा तंत्र है, क्या लोकतंत्र है ? 
... 
अब क्या कहें, उनके सवाल पर 
कि - 'उदय' ये चाहत क्यूँ है ? 
... 
यहाँ तो कदम-कदम पर, 'खुदा' बैठे हैं 'उदय' 
किसका सजदा करें, कुछ समझ नहीं आता ?