Wednesday, November 14, 2012

पाबंदी ...


चलो माना 'उदय', कि - उनके स्वीस खाते ..... काले नहीं हैं 
पर, सवाल तो ये है, कि - उनमें जमा धन कितना सफ़ेद है ?
... 
अब हम क्या कहें 'उदय', कि वे, अपनों की नजर में शेर हैं 
मगर अफसोस, कभी वे ..... पिंजड़े से बाहर नहीं दिखते ? 
... 
हम जानते हैं 'उदय', इक दिन, वे भी, उनके जैसे हो जाएंगे 
क्यों ? ... क्योंकि - वे भी ... पहले इनके जैसे ही तो थे ??
... 
ये तुमसे किसने कह दिया, है मस्जिद 'खुदा' का घर 
अम्मी तो कह रही थीं, .... 'खुदा' बसते हैं 'दिल में ? 
... 
निर्दलीय प्रत्याशियों की जीत पे, चुनावी अखाडों में भी पाबंदी नहीं है 'उदय'
पर अब, ..... उन्हें .... कौन समझाये, कि - ..... ये साहित्य नगरी है ???

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