Monday, March 31, 2014

मट्टी पलीत ...

जुबां को नर्म रख, लहू को गर्म रख 
मंजिलें हैं सामने, पग मजबूत रख !
… 
न तो वो उत्तम हैं 'उदय', और न ही हैं सर्वोत्तम 
बस, उनकी … 
खुद की, अपनी डफली है और अपना राग है ???
… 
कुछ ज्यादा ही गड्ड-मड्ड हो गई है उनसे 
वर्ना, खिचड़ी भी स्वादिष्ट बनती है 'उदय' ?
कोई बात नहीं, कोई अफसोस नहीं 
जंग जारी है, अबकि उनकी बारी है !
वे खुद ही खुद की मट्टी पलीत करवा रहे हैं 
इसमें 
कहीं भी, किसी भी … 
'आम आदमी' का दोष नहीं है 'उदय' ???? 
… 

Thursday, March 27, 2014

फर्क ...

सच ! हम तो सिर्फ इतना जानते हैं 'उदय' 
दिल जो कह दे, लिख दे, वही कविता है ? 
… 
वक्त की शाख पे,… जो सबसे ऊपर बैठा है 
'उदय', वह 'खुदा' न होकर भी 'खुदा' जैसा है ?
… 
दलबदलुओं ने दल को दलदल बना दिया 
छप्प … छप्प … छप्प … छप्पाक … ?
… 
बस, … थोड़ा, … तनिक, … मामूली-सा … फर्क है दोनों में 'उदय' 
एक कांग्रेस मुक्त भारत चाहता है तो दूसरा भ्रष्टाचार मुक्त भारत ? 
… 
जब वो मेरे नाम की सुपाड़ी ले रहा था 'उदय' 
ठीक तभी, 
अपुन ने भी … 
पूरा पान चबा लिया था उसके नाम का ??? 
.... 

Monday, March 24, 2014

तोड़-मरोड़ ...

इत्मिनान रख, हम आयेंगे जरुर 
हिसाब तेरा, हम चुकायेंगे जरुर ?
… 
सच ! मेरी वाइफ ही मेरी लाइफ है 
अब, इससे ज्यादा और क्या कहें ?
… 
वो, किस से वफ़ा करेंगे औ किस से दगा 'उदय' 
दो-दो चुनाव क्षेत्र से, …… जो लड़ रहे हैं आज ?
… 
सच ! उनकी मौकापरस्ती, … चरम पे है 'उदय' 
गटर के पानी को, वो गंगाजल कह रहे हैं आज ?
… 
अभी भी वो मानेंगे नहीं 'उदय' 
शब्दों को तोड़-मरोड़ के, फिर से उन्हें 'खुदा' कह देंगे ? 
… 

Sunday, March 23, 2014

संशय ...

खुद को मुकद्दर का सिकंदर मत समझ 
हवाओं का रुख भी तो तनिक देख ले ? 
… 
'उदय' ये कैसी लहर है, कैसी हवा है उनके नाम की 
न सिर्फ वे, वरन उनके हमकदम भी हैं संशय में ? 
… 
जबकि, पूरा ध्यान उनका लिपस्टिक-पॉवडर पे था 
फिर भी उन्ने 'उदय', है लिक्खी क्या खूब कविता ? 
… 
काश ! हमारे पास भी होते करोड़ रुपये 'उदय' 
तो आज, हम भी, उनकी पार्टी के नेता होते ?
… 
जब मानना ही था, तो रूठे क्यूँ थे 
उन्ने, हठ को तमाशा बना दिया ?
… 

Saturday, March 22, 2014

समय और कुल्हाड़ी ...

समय, सिर्फ इतना बदला है 'उदय' 
कि -
पहले लोग … 
पाँव पे कुल्हाड़ी मारते थे, 
और अब … 
पाँव कुल्हाड़ी पे मारने लगे हैं ????

Thursday, March 20, 2014

मुहब्बत ...

जब से, उनकी तारीफ़ का जिम्मा, उन्ने लिया है 
ठीक तब से, उनमें उन्हें, भगवान नजर आते हैं ? 
… 
पत्थरों को कोई पत्थर कह के न पुकारे 'उदय' 
वे खुद कह रहे हैं, … उनके लोग कह रहे हैं ? 
… 
'आम आदमी' न तो कभी मरा है, और न ही कभी मरेगा 
चिंता तो, आज हमें भी है 'उदय', कुछेक 'ख़ास' लोगों की ? 
… 
उन्हीं से मुहब्बत, और उन्हीं से तकरार 
ए दिल, बता आखिर तू चाहता क्या है ?
…  
उफ़ ! उनकी ढलती उम्र पे तो कोई तरस खाये
बस, उन्हें एक आख़िरी मौक़ा और मिल जाये ?
… 
झूठी पत्तलों को भी, चाटने से, वो बाज नहीं आ रहे हैं 
सत्ता में बने रहने के लिए दर दर भटक रहे हैं आज ? 

Tuesday, March 18, 2014

जुर्म ...

हम तो थक गए 'उदय', उन्हें अपनी बुराइयां बता-बता के 
फिर भी, न जाने क्यूँ उन्हें, हम पे एतबार अब भी है ???
… 
सबूत दो, गवाही दो, … 
वर्ना, चोर को चोर कहना भी जुर्म है 'उदय' ? 
… 
खौफ, दहशत, जिन्दगी, मौत, सन्नाटा, सुरक्षा, आश्वासन  
नक्सल … … … … … बनाम … … … … … सरकारें ?
… 
सच ! राजनीति का जो हाल है, वो है तो है 'उदय'
मगर अफसोस, पत्रकारिता की भी वही चाल है ? 
उनकी उचक्काई के किस्से सरेआम हैं 'उदय' 
फिर भी, वो कहते हैं, कि, वो चौथे चक्के हैं ?

Saturday, March 15, 2014

सर्कस ...

ये कैसा सर्कस है 'उदय', 
जहां -
गधे, 
घोड़े, 
खच्चर, 
चूहे, 
बिल्ली, 
गिरगिट, 
कबरबिज्जू, 
सियार, 
लोमड़ी … 
सब मिलजुल कर 
एक साथ 
करतब दिखाने की फिराक में हैं ?
और तो और 
उनके ही चेले-चपाटे 
पहले से ही 
दर्शकदीर्घा से 
वाह-वाह … वाह-वाह … 
बहुत खूब … बहुत खूब … 
के नारे … ... ... लगा रहे हैं ??

Thursday, March 13, 2014

चमचागिरी ...

पटरियां कमजोर हैं, या हैं ड्राइवर कामचोर 
तरक्की की रेलगाड़ियां बहुत धीमी हुईं हैं ?
… 
'खुदा' जाने 'उदय', वो किस मिट्टी के बने हैं 
खुद की तारीफ़ में खुद ही कसीदे पढ़ रहे हैं ? 
… 
वैसे तो, अक्सर, वो दुम दबा कर ही चलते हैं मगर 
गीदड़ भभकियाँ देते हुये भी, वो जम रहे थे आज ? 
… 
खासम-ख़ास लोगों की राजनीति, और कब तक 'उदय' 
क्या, कभी, कोई, 'आम आदमी' को भी गले लगाएगा ? 
… 
चमचागिरी, इक कला है 'उदय' 
हर किसी के बस की बात नहीं ? 

Wednesday, March 12, 2014

बुनियाद ...

जब उनके चेले-चपाटों ने 
उन्हें 
भगवान मान ही लिया है 'उदय' 
तो फिर 
उनके -
आका … 
चेले-चपाटे … 
समर्थक-प्रचारक … 
मिलकर 
मिलजुल कर 
मंदिर की बुनियाद 
क्यों रख नहीं देते ???

Sunday, March 9, 2014

ठीकरा ...

एक बार, एकाद बार तुम हमें भी आजमा लो 
फिर, शायद, तुम्हारा… टेस्ट ही बदल जाए ?  
… 
बात उनकी नहीं है, और न ही उनकी बात है 
हमें तो लगता है सिक्के दोनों ही खोटे हैं ??
… 
जब सब अपनी-अपनी-अपनी पे हैं 
तो फिर 'उदय', वे भी अपनी पे हैं ? 
… 
सवाल ये नहीं है कि वो शेर हैं या नहीं 
सवाल ये है कि उनकी पूंछ कहाँ है ??
… 
गर, तमाम तरह के हथकंडों के बाद भी, वे नाकामयाब रहे तो 
'खुदा' ही जाने किसके सिर फूटेगा उनकी नाकामी का ठीकरा ?
… 

Wednesday, March 5, 2014

सरकार ...

इक दिन, उन्हें भी दुःख होगा और वो बहुत पछतायेंगे 
मुहब्बत को,… जुबां पे न लाकर गुनह किया है उन्ने ?
… 
हमें, कांव-कांव से परहेज नहीं है 'उदय' 
पर कौन समझाये उन्हें कि न चलें हंस की चाल ? 
… 
दूध का दूध औ पानी का पानी सब अलग हो जाएगा 
गर हिम्मत है, जज्बा है, लड़ लो एक ही मैदान से ? 
… 
अरे भाई, कोई तो उन्हें ख़्वाबों से बाहर निकाले 
कहीं कोई हवा नहीं चल रही है उनके नाम की ? 
… 
सरकार तो बनेगी ही, पर उनकी नहीं जो 
खुद ही खुद से खुद की बनाना चाहते हैं ? 
… 

Saturday, March 1, 2014

हाय-तौबा ...

लो, आज हम भी उनकी बातों में आ गए 
यह जानते हुए भी, कि - वे दगाबाज हैं ? 
… 
जिनकी खुद की, अकल नहीं है ठिकाने पे 
चेले उतारू हैं उन्हीं को गुरु बनाने पे ???
… 
इतनी हाय-तौबा वो भी सत्ता के लिये 
उफ़ ! उफ़ !! उफ़ !!! पहले नहीं देखी ??
… 
मैं शेर नहीं हूँ … 
कम से कम … बब्बर शेर तो नहीं हूँ 
फिर भी, 
अगर, 
उनको लगता है … 
कि - 
उनका नेता 
गीदड़ … 
होकर भी शेर है … उनकी मर्जी ???
… 
सुनो यारो तुम मुझपे यकीं मत करना 
दिल जो कहता है तुम वही करना ???
…