Saturday, March 31, 2018

चीख !

चीख !
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किसी की चीख तुम्हें पुकार रही है
वहाँ .. उस खंडहर से ...

तुम जाओगे न ?

शायद तुम्हारी हिम्मत
किसी छेड़छाड़, बलात्कार, हत्या को रोक दे

हिम्मत करोगे न ?

या फिर, आस-पास से गुजर रहे
अन्य लोगों की तरह
तुम भी, चीख को अनसुना मान गुजर जाओगे ??

जोखिम तो है
चीख सुनने में, हिम्मत दिखाने में ..

पर तुम, कभी, अपने आप से झूठ नहीं बोल पाओगे
कि -
तुमने चीख सुनी ही नहीं ???

- श्याम कोरी 'उदय'

Friday, March 30, 2018

अचानकमार में टाइगर है ?

अचानकमार में टाइगर है ?
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कुछ लोग चाटुकारिता के मद में इतने मदमस्त हैं कि गौर (बाइसन) व चीतल (डिअर) की फोटो सोशल मीडिया में लगा-लगा कर तथा हर 10-12 घंटे में चर्चा कर इस महिमा मंडन में लगे हुए हैं कि अचानकमार टाइगर रिजर्व एक स्वर्ग है।

अगर वे ... टाइगर की फ़ोटो लगाते व चर्चा करते तो निसंदेह मुझे उनकी पीठ थप-थपाने से परहेज नहीं होता, लेकिन वे बाइसन व डिअर की बार-बार चर्चा कर चाटुकारिता के नए अध्याय लिखने का जो प्रयास कर रहे हैं निंदनीय हैं ।

आज ... आवश्यकता है अचानकमार में टाइगर को केंद्र-बिंदु मानने की, टाइगर की उपलब्धता को शोध का विषय  मानने की, यदि कुछेक वर्ष ऐसा ही चलता रहा तो टाइगर की चाह में जो पर्यटक भूले-भटके आ रहे हैं उनका आना भी बंद हो जाएगा ।

जहाँ तक मेरा मानना है ... शासकीय अमले को चाहिए कि अचानकमार में टाइगर के लिए ऐसा माहौल निर्मित किया जाए कि जो टाइगर अब तक सिर्फ और सिर्फ शासकीय अमले के खूफिया कैमरों में नजर आता है वह आमजन (पर्यटकों) को भी नजर आ सके ।

साथ ही साथ ... वाइल्डलाइफ लवर्स, वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर्स व शासकीय अमले को मेरी सलाह है कि वे आपस में कुछ इस तरह का ताल-मेल बना कर चलें जो अचानकमार टाइगर रिजर्व के नाम के अनुरूप हो व हित में हो ।

- श्याम कोरी 'उदय'

Wednesday, March 28, 2018

भ्रम

यदि आप अंधकार में हैं
तो स्वयं आपको
अंधकार से बाहर निकलने का प्रयास करना पड़ेगा,

अगर आप यह सोच रहे हैं
कि -
कोई कुदरती चमत्कार होगा, और आप बाहर निकल आयेंगें
तो यह, आपका भ्रम भी हो सकता है,

चलो कुछ देर के लिए हम यह मान भी लें
कि -
यह भ्रम नहीं है,

तो, सच्चाई तो यह भी है
कि -
कुदरती चमत्कारों की कोई समय सीमा नहीं होती
तो क्या, तब तक आप अंधकार में बैठे रहेंगें ??

- श्याम कोरी 'उदय'

Saturday, March 17, 2018

प्यार में ...

हर बार की तरह ...

इस बार भी
वो खामोशी से गुजर गए करीब से

पर ...
उन्ने कुछ कहा - मैनें कुछ सुना
ऐसा लगा ... दिल को .....

शायद ... ये भ्रम हो ..... ?

क्योंकि -
प्यार में ... अक्सर .... मन ही मन .....
बहुत कुछ कह देते हैं - बहुत कुछ सुन लेते हैं ... ??

Thursday, March 1, 2018

अब .. आगे ... तुम्हारी मर्जी ..... ?

आज .. इंकलाब की जरूरत नहीं है
कत्लेआम की है,

ये कलयुग है
यहाँ तर्कों से जीत नहीं होगी,

अगर जीतना है राक्षसों से .. पिशाचों से .. तो ...
तलवार उठानी ही पड़ेगी,

नहीं तो .. वे ... तुम्हारा खून पी-पी कर
तुम्हें .. हरा देंगें ... मार डालेंगें .....

अब .. आगे ... तुम्हारी मर्जी ..... ?

- श्याम कोरी 'उदय'