उन्नें,....बम फोड़े, धमाके किये, जानें ले लीं
............................. अब अपनी बारी है ?
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सुनते हैं, आसमाँ में, कहीं ...घर है 'खुदा' का
किसी दिन, देखने, हमें..........उड़ना पडेगा ?
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कोई समझाये उन्हें, 'कोहिनूर' की बातें तो बाद में हो जायेंगी
पहले, हिन्दुस्तान को ........... ''हिन्दुस्तान' नाम तो दे दो ?
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अगर उन्हें, भाई-भतीजों से फुर्सत होती 'उदय'
तो शायद, हम मान भी लेते, कि वे पारखी हैं ?
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ओखर मन के डफली हे गा, अऊ.......ओखर मन के राग हे
काबर कर ही सुरता ओला, जेखर से मुडी फूटे के आभास हे ?
1 comment:
इन कड़वे सचों को पचा लें पहले..
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