उनसे मिलने की, हमें कोई मुकम्मल वजह नहीं दिखती
फिर भी, न जाने क्यूँ, पग हमारे उनकी ओर बढ़ रहे हैं ?
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हमें तो वे, घुटने से ऊपर, कभी दिखे नहीं हैं
शायद होंगे, .................. ..... सरकार हैं ?
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तुम इसी तरह, हम पे झूठे इल्जाम लगाते रहो
गर कोई हमें, भूलना भी चाहे तो भूल न सके ?
2 comments:
badhiya samkalleen
बहुत ही सुन्दर एवं सार्थक लिखा है महोदय.
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