Wednesday, May 2, 2012

संगत ...

हम जानते हैं, ये 'सांई' का कुसूर नहीं है 'उदय' 
वो तो हम ही हैं, जो ईशारा समझ नहीं पाए !! 
... 
ये तेरी संगत का ही तो असर है 'उदय' 
कि अब उनके भी पैगाम आने लगे हैं ! 
... 
मेरे अन्दर बैठा आदमी, मुझसे रूठा हुआ है 
उसे जवाब चाहिए, झूठ से परहेज क्यूँ है ?

3 comments:

Pratik Maheshwari said...

अंतिम पंक्तियाँ बेहतरीन हैं!

Unknown said...

सुन्दर प्रस्तुति |

प्रवीण पाण्डेय said...

सच सुनना है, अच्छा सुनना है, अजब विसंगति है।